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हेजिंग टूल्स

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नई दिल्ली. भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें देर-सबेर बढऩे की आशंका से इक्विटी मार्केट की तेजी थमने के आसार हैं. दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस साल तीसरी लहर के बाद कोविड महामारी खत्म हो जाएगी. ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम हो जाएगा. इस बीच महंगाई लोगों की जेब काटती रहेगी, जिससे बचाव में चांदी तगड़ी हेजिंग टूल साबित हो सकती है.

3 साल में 250 प्रतिशत तक रिटर्न की उम्मीद

ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि 2022 और अगले कुछ वर्षों तक चांदी में जोरदार तेजी का रुझान रहेगा. केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का अनुमान है कि इस साल चांदी 80 हजार और अगले तीन साल में 1.5 लाख रुपए तक का लेवल देख सकती है. फिलहाल यह 61 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है. इस हिसाब से चांदी इस साल 33 प्रतिशत और अगले तीन वर्षों में 250त्न तक रिटर्न दे सकती है. पृथ्वी फिनमार्ट के डायरेक्टर मनोज कुमार जैन का अनुमान है कि इस साल चांदी 74 हजार और तीन साल में 1 लाख हेजिंग टूल्स तक पहुंच सकती है. इस हिसाब से भी चांदी 67 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दे सकती है.

इन तीन कारणों से चांदी में बड़ी तेजी की संभावना

1. जिस हिसाब से मांग बढ़ रही है उतनी तेजी से चांदी की माइनिंग में इजाफा नहीं हो पा रहा है. 2018-20 तक चांदी की माइनिंग लगातार घटती रही.
2. ऑटोमोबाइल, सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से चांदी की अतिरिक्त डिमांड निकल रही है. यह मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है.
3. अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रीन टेक्नोलॉजी को सपोर्ट कर रहे हैं. ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा इस्तेमाल होता है.

पांच साल से लगातार बढ़ रही डिमांड, लेकिन सप्लाई स्थिर

लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, बीते 5 वर्षों से चांदी की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है. 2020 इसका अपवाद रहा, जब कोविड महामारी चरम पर थी. इसके उलट 2017 के बाद से चांदी की माइनिंग में लगातार कमी आ रही है. सिर्फ 2021 में सालाना आधार पर चांदी की माइनिंग बढ़ी थी, लेकिन यह 2020 के लो-बेस के कारण हुआ था. तब भी खनन सिर्फ 8.2त्न बढ़ा था, जबकि उस दौरान चांदी की डिमांड में 15.3त्न की बढ़ोतरी हुई थी. ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट कहती है कि 2022-24 के बीच चांदी की डिमांड 25-30त्न बढ़ेगी. इसके उलट 2022 से लेकर 2024 तक चांदी की माइनिंग में मात्र 8 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है.

जेटली ने लाँच किया देश का पहला एग्री ऑप्शंस

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) के किसानों के लिए कृषि-अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल बनाने और उन्हें उनकी पैदावार को बेहतर मूल्य दिलाने के प्रयास में ग्वार बीज में देश के पहले एग्री कमोडिटी आॅप्शंस की शुरुआत किया। श्री जेटली ने मकर संक्रांति के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम ग्वार उत्पादक किसानों की मौजूदगी में घंटी बाजार कर इसकी शुरूआत हेजिंग टूल्स की जो एक हेजिंग टूल है। इसके किसान ग्वार बीज की कीमत की हेजिंग कर सकेंगे जिससे इस कृषि उत्पाद की कीमतों में गिरावट आने पर उन्हेें नुकसान नहीं होगा और कीमत के हेजिंग मूल्य से अधिक होने पर किसानों को लाभ होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और सरकार की कोशिश आर्थिक लाभों को समाज के सभी तबकों विशेषकर किसानों तक पहुंचाने की है। उन्होंने इसे किसानों के लिए गेम चेंजर बताते हुये कहा कि इस अनूठे हेजिंग टूल से किसानों को कीमतों की जोखिम से निपटने और कीमतें बढ़ने पर अधिक लाभ कमाने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर श्री जेटली ने एक मोबाइल ऐप भी लाँच किया जिससे किसानों को एग्री ऑप्शंस के बारे में जानने में मदद मिलेगी। इस मौके पर देशभर के विभिन्न राज्यों विशेषकर राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश से आए किसानों और एफपीओ भी मौजूद थे। एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी समीर शाह ने कहा कि ग्वार बीज आॅप्शंस एक महत्वपूर्ण हेजिंग टूल है। एग्री कमोडिटी मार्केट के लिए इसकी अहमियत को देखते हुए इस नए साधन को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लाॅन्च किया गया है, जो कि देशभर में फसल से जुडे एक प्रमुख उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

तीन साल में ,डेढ़ लाख रुपए किलो तक बिकेगी चांदी

तीन साल में ,डेढ़ लाख रुपए किलो तक बिकेगी चांदी

लखनऊ , सुनहरी चांदी जिसको शरीर में पहनने मात्र से बहुत से बदलाव दिखते हैं। राजधानी में ऐसी कई जगह हैं जहां पर चांदी के खास उपयोग के बारे में जानकारी दी जाती हैं। हम बात कर रहे हैं ग्रीन टेक्नोलॉजी की जो प्राकृतिक पर्यावरण और संसाधनों के संरक्षण और मानव हस्तक्षेप के फलस्वरूप हुए। नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए पर्यावरण विज्ञान का एक अनुप्रयोग है। विकास ही ग्रीन टेक्नोलॉजी का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। लखनऊ सर्राफा संगठन के महामंत्री प्रदीप ने बतायाकि ग्रीन टेक्नोलॉजी एक ऐसा आविष्कार है जिससे पर्यावरण के साथ मनुष्यो के समाज को लाभ मिलता हैं। ग्रीन टेक्नोलॉजी आज सबसे बड़ी जरुरत है। अगर हम लोग अपनी पृथ्वी की सुरक्षा चाहते है तो ऐसी तकनीक पर जोर देना होगा जिससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहे। बल्कि प्राकृतिक संसाधन पर कम खर्च आये।

चांदी बहुत ही लचीली धातु हैं जिसे कागज से भी पतला बनाया जा सकता है। जानकारों के अनुसार 30 ग्राम चांदी से करीब ढाई किलोमीटर लंबा तार बनाया जा सकता है। जबकि सोना चांदी के मुकाबले ज्यादा लचीला होता है। 30 ग्राम सोने से 8 किलोमीटर लंबा तार बनाया जा सकता है। ग्रीन टेक्नोलॉजी से आने वाले वर्षो में चांदी की माइनिंग बढ़त अच्छी दिखाई दे रही हैं।

देश-दुनिया भर में ब्याज दर में समय के अनुसार बढ़ने की उम्मीद से शेयर बाज़ार में हुए तेजी रुकने के आसार बने हुए हैं। दूसरी तरफ कहा जा रहा हैकि कोरोना की तीसरी लहर के बाद ये महामारी बिल्कुल ही ख़त्म ही हो जाएंगी। ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम होगा। साथ ही महंगाई का असर लोगों की जेब पर बहुत ही बुरा पड़ता रहेगा। इसके बचाव में चांदी बहुत ही बड़ी 'हेजिंग टूल' साबित हो सकेगी है।

सबसे बड़ी बात 2021 के दौरान हर सेक्‍टर में दर्ज हुई थी शानदार बढ़त। वरिष्ठ जानकारों का मानना है कि 2022 व अगले कुछ वर्षों तक चांदी में बहुत ही जोरदार तेजी देखने को मिलेगी और रुझान भी। चौक व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने बतायाकि अगर सही से एक अनुमान लगाया जाये तो इस साल चांदी 80 हजार व अगले तीन साल में 1.5 लाख रुपए तक की पहुंच देखी जा सकती है। वैसे तो यह 61 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है। इस हिसाब से चांदी इस साल 33% साथ ही अगले तीन वर्षों में 250% तक रिटर्न दे सकती है। वही अमीनाबाद सर्राफा मंडल के सदस्य राजू प्रधान में कहाकि मेरे अनुसार इस साल चांदी 74 हजार और तीन साल में 1 लाख तक पहुंच सकती है और इस हिसाब से भी चांदी 67% से ज्यादा रिटर्न दे सकने की उम्मीद हैं।

1: चांदी की मांग जिस तरह से बढ़ रही हैं उतनी चांदी की माइनिंग में इजाफा नहीं देखा जा रहा हैं। चांदी 2018-20 तक बराबर घटती रही।

2: दूसरी सबसे बड़ी वजह ये हैकि ऑटोमोबाइल, सोलर ,इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से चांदी के अलावा भी बहुत ही ज्यादा मांग आ रही हैं। यह मांग साल दर साल बढ़ती जा रही है।

3: सबसे अच्छी बात यह हैकि अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रीन टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करते हैं। ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा प्रगोग होता है। ये खास तीन वजह है जिसके कारण तीन सालो में चांदी की अच्छी बढ़त होने की आशंका हैं।

लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक पिछले 5 वर्षों से चांदी की विश्वव्यापी मांग बराबर बढ़ रही है। 2020 इसका अपवाद रहा हैं । जब कोविड महामारी अपने शीर्ष पर थी। इसका ठीक उल्टा 2017 के बाद से चांदी की माइनिंग में लगातार कमी आ रही है। केवल 2021 हेजिंग टूल्स में सालाना आधार पर चांदी की माइनिंग बढ़ी थी लेकिन यह 2020 के 'लो बेस इफेक्ट' के कारण हुआ था। तब भी खनन केवल 8.2% बढ़ा था। जबकि उस दौरान चांदी की डिमांड में 15.3% की बढ़ोतरी हुई थी।

ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट में बता गया है कि 2022-24 के बीच चांदी की डिमांड 25-30% बढ़ जाएगी और इसके ठीक उल्टा 2022 से लेकर 2024 तक चांदी की माइनिंग में केवल 8 फीसदी का फायदा होने का अनुमान है।06:20 PM

HDFC ने ब्याज दरों का जोखिम कम करने लिए लिया हेजिंग का सहारा, जानिए डिटेल

एचडीएफसी (HDFC) ने रेपो रेट में बदलाव से ब्‍याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्‍स का सहारा लिया है. एचडीएफसी ने एक डेट इश्यू पर रेट रिस्क कम करने के लिए कथित रूप से पूरी तरह रिटर्न स्वैप का इस्तेमाल किया है.

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Day Life

नई दिल्ली। भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), 1 दिसंबर, 2020 को क्रूड डीगम्ड सोयाबीन ऑयल (सीडीएसओ) के लिए अपना पहला एग्रीकल्चर कमोडिटी फ्यूचर्स एग्रीमेंट लॉन्च करेगा। यह एग्रीमेंट मंथली एक्सपायरी कैश सेटल्ड फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट है जिसकी ट्रेडिंग लॉट साइज 10 एमटी है और प्राइस बेसिस कांडला है।

भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा इम्पोर्टर है। यह फ्यूचर्स एग्रीमेंट भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव्स इकोसिस्टम का अनुपस्थित लिंक उपलब्ध करायेगा, और भारत तथा विदेशों में सोयाबीन ऑयल्स प्रोसेसिंग और संबद्ध उद्योगों को सुविधा प्रदान करेगा, जो उनके मूल्य जोखिम के प्रबंधन के मामले में प्रतिरक्षा के लिए एक आदर्श हेजिंग टूल है।

एग्रीकल्चर कमोडिटी फ्यूचर्स एग्रीमेंट की शुरुआत एनएसई के मिशनमें एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। 25 साल पहले शुरू हुआ यह मिशन प्रॉडक्ट्स और सेवाओं को बाजार में लाने की सुविधा प्रदान करता है। हमारे मौजूदा प्रॉडक्ट्स की सूची में एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट्स को शामिल करना, ब्रोकिंग समुदाय को एक ही प्लेटफॉर्म ट्रेड करने और क्लीयर करने के लिए एनएसईका पूरा लाभ प्रदान करता है।

एनएसई के हेजिंग टूल्स एमडी और सीईओ, विक्रम लिमये ने कहा कि एनएसई सुविधाजनक और लागत प्रभावी ऑनशोर हेजिंग प्रॉडक्ट प्रदान करके भारतीय कमोडिटी बाजारों को मजबूत बनाने के लिए समर्पित है। भारत दुनिया में खाद्य तेलों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, इसलिए कच्चे सोयाबीन तेल के लिए एक कुशल हेजिंग सिस्टम की भी आवश्यकता है। यह प्रॉडक्ट आम तौर पर बाजार सहभागियों और कमोडिटी इकोसिस्टम के लिए सही मूल्य जोखिम प्रबंधन टूल के रूप में काम करेगा।

इस अवसर पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एनएसई को बधाई दी है। एसईए के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. बीवी मेहता ने कहा कि एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स बहुत ही उपयोगी टूल है जो उद्योग के लिए मूल्य जोखिम प्रबंधन को सुविधाजनक और आसान बनाता है। मुझे यकीन है कि हमारे सदस्य इन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स को अपने रोजाना के व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भी उपयोगी पायेंगे। आगे इस तरह के और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स को शुरू किया जाना चाहिए, ताकि हम भारत में एक जीवंत कमोडिटी मार्केट्स इकोसिस्टम बना पायें।

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