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हर क्रिप्टो एक अलग एसेट

हर क्रिप्टो एक अलग एसेट
बिटकॉइन
मजेदार तथ्य: बिटकॉइन के खोजकर्ता को लेकर अभी तक एक रहस्य ही बना हुआ है। इसका नाम हर क्रिप्टो एक अलग एसेट सातोशी नाकामोतो है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह नाम बस एक छद्म व्यक्ति है और कुछ लोग मानते हैं कि यह कुछ लोगों का समूह है जिन्होंने बिटकॉइन की खोज की है। बिटॉइन्स को जनवरी 2009 में एक डिजिटल करेंसी के रूप में लॉन्च किया गया था। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जुड़ी हुई प्रणाली है जहां पर प्रत्येक लेनदेन दो लोगों के बीच में होता है। हर क्रिप्टो एक अलग एसेट ब्लोच्क्चैन टेक्नोलॉजी को पहली बार बिटकॉइन लेनदेनों में शुरू किया गया था जिसने यूजर्स को बगैर किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से पैसे का लेनदेन करने में मदद की। इसलिए आपको अपनी पहचान का खुलासा करने की जरूरत नहीं है और फिर भी अनाधिकृत पहुंच से सुरक्षित है।

RBI Deputy Governor T Rabi Sankar Fintechs replacing banks a misconception (Jagran File Photo)

Explained : क्रिप्टो पर टैक्स के नियमों को जान लें, फायदे में रहेंगे

सरकार ने इसलिए 1 फीसदी टीडीएस लगाया है, क्योंकि वह यह जानना चाहती है कि एनएफटी और क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स कौन बेच और खरीद रहा है। क्रिप्टो एक्सचेंज 1 फीसदी टैक्स काटेंगे, फिर उसे सरकार को दे देंगे।

क्या आपने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में इन्वेस्ट किया है? दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को पेश बजट में क्रिप्टो से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स का ऐलान किया है। इसे लेकर चर्चा गर्म है। इसके अलग-अलग तरह से मायने निकाले जा रहे हैं। कन्फ्यूजन दूर करने के लिए हमारी कोशिश आपको क्रिप्टो पर टैक्स से जुड़े हर पहलू को समझाने की है। आइए शुरू करते हैं।

क्या बिटकाइन वर्चुअल डिजिटल एसेट है?

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में क्रिप्टोकरेंसी शब्दा का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने वर्चुअल डिजिटल ऐसेट शब्दों का इस्तेमाल किया। चूंकि, क्रिप्टोकरेंसी को कई केंद्रीय बैंक इश्यू नहीं करता है, इसलिए सरकार की नजर में यह करेंसी नहीं है। करेंसी शब्द का इस्तेमाल उस एसेट के लिए किया जा सकता है, जिसे किसी देश के केंद्रीय बैंक ने इश्यू किया है। इस तरह बिटकॉइन सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल डिजिटल एसेट के दायरे में आएंगी।

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क्रिप्टोकरेंसीज कई हाथों से होकर गुजरती है। यह शेयर, म्यूचुअल फंड्स और इस तरह के दूसरे रेगुलेटेड एसेट्स की खरीद-फरोख्त से अलग है। क्रिप्टोकरेंसीज सिर्फ एक्सचेंज के जरिए खरीदे और बेचे नहीं जाते हैं। कई बार दो लोगों के बीच उनके वॉलेट के जरिए क्रिप्टो का एक्सचेंज होता है। सराफ एंड पार्टनर्स के पार्टनर लोकेश शाह ने कहा, "ट्रांसफर एक व्यापक टर्म है। इसके तहत एक्सचेंज भी आता है। आपके पास बिटकॉइन है और मेरे पास इथेरियम है और हमलोग कॉइन एक्सचेंज करते हैं।" यह टैक्स के लिहाज से ट्रांसफर डेफिनिशन के तहत आता है। इसलिए सरकार ने सभी तरह के ट्रासंफर को टैक्स के दायरे में लाने के लिए ट्रांसफर शब्द का इस्तेमाल किया है। दूसरी तरफ क्रिप्टो कॉइन की बिक्री में नॉर्मल कैश या करेंसी शामिल होती है। बजट प्रस्तावों में दोनों तरह के ट्रांजेक्शन पर टैक्स लगाने की बात कही गई है।

Cypto Currency: कितनी सेफ है डिजिटल करेंसी, कारोबार को लेकर क्या हैं संभावनाएं, एक्सपर्ट्स से जानें हर सवाल का जवाब

By: प्रणय उपाध्याय, एबीपी न्यूज | Updated at : 16 Apr 2022 12:55 PM (IST)

Edited By: rachitk

क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल एसेट, नॉन फाइनेंशियल टोकन, डिजिटल फाइनेंसिंग. ये ऐसे शब्द हैं, जिन्हें आप इन दिनों सुनते तो खूब हैं लेकिन इनके कारोबार और कामकाज को समझते बहुत कम हैं. जब कहा जा रहा हो कि यही शब्द भविष्य में मुद्रा कारोबार का भविष्य हैं तो जाहिर है इसे जानने की इच्छा भी होती है और कई सवाल भी जागते हैं.

डिजिटल धन पर अपने ऐसे ही कई सवालों को लेकर हम पहुंचे अमेरिका के न्यूजर्सी, जहां दुनिया का चौथा सबसे बड़ा डिजिटल करेंसी एक्सचेंज काम करता है जिसका नाम है क्रॉस टावर. साथ ही इसकी एक खूबी यह भी है कि इसको बनाने वाले संस्थापक और सीईओ कपिल राठी एक भारतीय अमेरिकी हैं. अमेरिकी धनबल का नर्व सेंटर कहलाने वाले वॉल स्ट्रीट पर बरसों तक काम कर चुके कपिल कहते हैं कि दुनिया में कारोबार के तरीके तेजी से बदल रहे हैं और भारत उससे अछूता नहीं है.

फीचर आर्टिकल: सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी 2021, भारत की लगभग 7.3% आबादी के पास क्रिप्टो एसेट

क्रिप्टो, क्रिप्टो, क्रिप्टो! हर कोई क्रिप्टो के बारे में बातें हर क्रिप्टो एक अलग एसेट कर रहा है; इन दिनों यह चर्चा का सबसे लोकप्रिय विषय बना हुआ है। जहां भारत की लगभग 7.3% आबादी के पास कुछ न कुछ मात्रा में क्रिप्टो एसेट है, वहां ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो अभी भी डिजिटल करेंसी के पूरे कॉन्सेप्ट के बारे में आशंकित हैं।

अधिकांश क्रिप्टो करेंसियां ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से संचालित होती हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में ब्लॉक्स एक आधार के रूप में काम करते हैं क्योंकि लेनदेन को इन ब्लॉक्स के भीतर रिकॉर्ड और टाइम-स्टैम्प (समयबद्ध ) किया जाता है।

हर ब्लॉक एक दूसरे से जुड़ा रहता है, और हैकर्स को आपके लेनदेन के डिजिटल लेजर में छेड़छाड़ करने के लिए, उन्हें एक-एक ब्लॉक को उलटना-पलटना पड़ेगा। यानी दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी कोशिश करने का भी कोई अर्थ नहीं है क्योंकि यह एक असंभव कार्य है।ब्लॉक चेन का तीन मुख्य प्रकार की क्रिप्टोकरेंसियों के साथ जुड़ी हुई हैं। पहली ब्लॉकचेन बिटकॉइन थी, इसके बाद ऑल्टकॉइन्स और टोकन्स आईं।

Cryptocurrency पर आरबीआई चाहता है पूर्ण पाबंदी, सरकार एसेट या जिंस के रूप में चलन के पक्ष में

Cryptocurrency Ban Wants RBI, Finance Ministry May Allow Some Cryptos as Asset or Commodity in India

सरकार कुछ क्रिप्टोकरेंसी को एसेट( संपदा) या जिंस (कमोडिटी) के रूप में चलन की अनुमति दे सकती है। लेकिन वह क्रिप्टोकरेंसी किसी लेनदेन के लिए वैधानिक नहीं होगी और क्रिप्टो पर हर क्रिप्टो एक अलग एसेट हर क्रिप्टो एक अलग एसेट सरकार टैक्स भी वसूलेगी। सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल को अंतिम रूप दे रही है

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार कुछ क्रिप्टोकरेंसी को एसेट( संपदा) या जिंस (कमोडिटी) के रूप में चलन की अनुमति दे सकती है। लेकिन वह क्रिप्टोकरेंसी किसी लेनदेन के लिए वैधानिक नहीं होगी और क्रिप्टो पर सरकार टैक्स भी वसूलेगी। सरकार हर क्रिप्टो एक अलग एसेट क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल को अंतिम रूप दे रही है और इस पर अंतिम मुहर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की होगी। उसके बाद इसे कैबिनेट और फिर संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि, संसद में पेश होने के लिए प्रस्तावित विधेयक में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की बात की गई है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाली तकनीक के तहत अपवाद के रूप में कुछ क्रिप्टो को मंजूरी भी दी जा सकती है।

एक या दो क्रिप्‍टोकरेंसी को मिल सकती है मंजूरी

सूत्रों के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध चाहता है, लेकिन वित्त मंत्रालय क्रिप्टो को संपदा के रूप में इजाजत देने के पक्ष में है ताकि उसे टैक्स के दायरे में लाया जा सके। आगामी बजट में क्रिप्टो पर टैक्स संबंधी हर क्रिप्टो एक अलग एसेट नियम लाने की चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक एक या दो क्रिप्टो को संपदा के रूप में चलन की मंजूरी मिल सकती है।

क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की खबर से गुरुवार को क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में भारी गिरावट देखी गई। क्रिप्टो से जुड़े एक्सचेंज वजीरएक्स के मुताबिक बिटक्वाइन, एथेरियम, डोजक्वाइन व पोल्काडाट जैसी क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में औसतन 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। भारत में क्रिप्टो में निवेश करने वाले 10.07 करोड़ लोग है। क्रिप्टो रिसर्च से जुड़ी फर्म सीआरईबीएसीओ के मुताबिक क्रिप्टो में भारतीयों का निवेश 10 अरब डालर यानी करीब 75,000 करोड़ रुपये मूल्य तक पहुंच चुका है जबकि पिछले साल अप्रैल में यह हर क्रिप्टो एक अलग एसेट निवेश मात्र 90 करोड़ डालर यानी लगभग 6,500 करोड़ रुपये मूल्य के आसपास था। भारत में 15 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चल रहे हैं। ब्लाकचेन एंड क्रिप्टो असेट्स काउंसिल (बाक) ने क्रिप्टोकरेंसी के इन निवेशकों से फिलहाल हड़बड़ी से बचने की है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग व डिस्ट्रीब्यूशन प्रमुख हिमांग जानी के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी को वैश्विक स्तर पर तेजी से अपनाया जा रहा है और भारी जोखिम के बावजूद निवेश से मिलने वाले उच्च रिटर्न को देख निवेशक इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। अभी इस क्षेत्र में नियामक की अनुपस्थिति के चलते क्रिप्टो को लेकर भारी अनिश्चितता है।

प्रतिबंध की स्थिति में

क्रिप्टोकरेंसी का अंतरराष्ट्रीय कारोबार है। हर क्रिप्टो एक अलग एसेट जानकारों के मुताबिक भारत में इसे प्रतिबंधित कर भी दिया जाता है तो दूसरे देश में इसके खरीदार मिल जाएंगे। जिन लोगों ने क्रिप्टो एक्सचेंज में बैंकों के माध्यम से पूंजी लगाई है, उन्हें क्रिप्टो बेचने के लिए सरकार कितना समय देती है, यह देखना होगा। प्रतिबंध लगने की स्थिति वैश्विक रूप से क्रिप्टो के भाव गिरेंगे और हो सकता है जल्दबाजी में बेचने पर निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़े।

आनलाइन सर्वे करने वाली कंपनी लोकल सर्किल्स के मुताबिक लगभग 54 प्रतिशत लोग नहीं चाहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत में कानूनी दर्जा दिया जाए। इसके बजाय वह चाहते हैं कि उसे विदेशों में रखी गई डिजिटल संपत्ति के रूप में मान्यता दी जाए और उसी तरह उस पर टैक्स लगे। सर्वे के दौरान देश के 342 जिलों में रहने वाले 56,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रिया ली गई। सर्वे में 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस तरह वर्चुअल करेंसी को कानूनी दर्जा देना चाहिए और उसका पर कर लगाना चाहिए।

निकट भविष्य में सिर्फ कुछ क्रिप्टोकरेंसी बचेंगी: राजन

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आज भले ही 6,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी हों, लेकिन निकट भविष्य में कुछ का ही अस्तित्व बचेगा। उन्होंने कहा कि लोग सिर्फ दो कारणों से अपने पास क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं। एक उसकी ज्यादा कीमत और दूसरा भुगतान के हर क्रिप्टो एक अलग एसेट लिए। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमें भुगतान के लिए वास्तव में 6,000 वर्चुअल करेंसी की जरूरत है। भविष्य में एक, दो या मुट्ठी भर वर्चुअल करेंसी की आवश्यकता भुगतान में पड़ेगी।

क्रिप्टोकरेंसी उद्योग ने बुधवार को सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने की अपील की है। उद्योग के दिग्गजों ने देश में निवेशकों से जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने का भी आग्रह किया है। बाय-यूक्वाइन के सीईओ शिवम ठकराल ने कहा कि कंपनी उम्मीद करती है कि प्रस्तावित बिल भारतीय क्रिप्टोकरेंसी धारकों, भारतीय क्रिप्टो उद्यमियों और निवेशकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगा। उन्होंने कहा कि नई ब्लॉकचेन परियोजनाओं के फलने-फूलने के लिए क्रिप्टो विधेयक में पर्याप्त हर क्रिप्टो एक अलग एसेट लचीलापन होना चाहिए।

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समायोजित नहीं किया जा सकता: वरिष्ठ टैक्स सलाहकार सीए श्रेष्ठ गोधवानी ने कहा कि क्रिप्टो में किए गए निवेश को नुकसान और मुनाफे में समायोजित नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि 260 मामलों में करदाताओं ने बिटक्वाइन के मुनाफे को अन्य क्रिप्टो करेंसी के नुकसान में एडजस्ट कर दिया।

इनकम टैक्स बचाने के लिए करदाताओं ने मुनाफा 70 फीसदी घटा कर दिखाया। 10 लाख से 1.40 करोड़ तक की कमाई की लेकिन घोषित केवल 40 लाख रुपए किए। बाकी धनराशि को अन्य क्रिप्टो करेंसी में किए गए निवेश से हुए नुकसान से समायोजित कर दिया। अब इस खेल पर आयकर विभाग ने रोक लगा दी है।

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