दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच

जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी क्यों | Benefits From GST Registration
GST लागू होने के साथ ही देश भर में सारे Business अब नए नियम-कानून के मुताबिक होने शुरू हो गए हैं। सामान या सेवाओं की बिक्री-खरीद से लेकर सौदों पर Tax जमा करने तक का हिसाब Online रखा जाना है। उनकी निगरानी, जुर्माना, कार्रवाई भी Online हो गई है। इस नए System में अगर आप Business करना चाहते हैं तो GST Registration भी लगभग जरूरी हो गया है। लगभग इसलिए क्योंकि कुछ Business जीएसटी के दायरे से बाहर रखे गए हैं। बहरहाल अगर आपका कारोबार GST Registration के दायरे में आता है तो आप इस सिस्टम में Entry कैसे पा सकते हैं, यानी कि आपका GST Registration कैसे होगा, आइए जानते हैं।
किसे कराना है जीएसटी रजिस्ट्रेशन| Whom To Register Under GST
जिन कारोबारियों के बिजनेस GST के पहले मौजूद Tax कानूनों मसलन केन्द्रीय एक्साइज कानून, सर्विस टैक्स कानून, केन्द्रीय विक्रीकर अथवा राज्य वैट कानून के तहत Registered थे उनको PAN नंबर के आधार पर सीधे GST में Migrate करके Registration Number दे दिया गया। जो इन नियमों के तहत Registered नहीं थे, और उनका कारोबार GST Registration केे दायरे (20 लाख का सालाना टर्न ओवर) में है, उन्हें GST Registration के लिए अप्लाई करना है। साथ ही नए कारोबारी भी, जो इन क्षमताओं के साथ Business शुरू करते हैं उनके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। नियमानुसार, जैसे ही आपका business जीएसटी के दायरे में आ जाए, उसके 30 दिन के भीतर Registration के लिए Apply करना जरूरी है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन किसके लिए जरूरी | GST Registration Is Mandatory For
जिन कारोबारियों का सालाना Turn Over 20 लाख रुपए से अधिक है उन्हें GST के तहत Registration करवाना अनिवार्य है। पूर्वोत्तर के राज्यों के कारोबारियों के लिए सालाना Turn Over की Limit 10 लाख रुपए ही रखी गई है। अगर आप इस Limit में आते हैं तो आप जो भी माल या सेवा की Supply करेंगे, सब पर आपको GST लेकर सरकार को देना होगा।
Note1: यहां Turn Over का मतलब पूरे देश में किए जा रहे पूरे कारोबार से है। अगर एक ही व्यक्ति के Ownership में दो अलग-अलग Places या दो अलग-अलग States में बिजनेस किया जा रहा हो तो भी इसे Business को एक ही unit के अंतर्गत माना जाएगा।
Note2: North-East के जिन राज्यों के कारोबारी 10 लाख के Turn Over वाली सीमा में आते हैं वे हैं Assam, Arunachal Pradesh, Nagaland, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Tripura, Sikkim, Jammu & Kashmir, Himachal Pradesh और Uttarakhand।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी क्यों | Benefits From GST Registration
GST के तहत Registration करवाने के बाद ही आपको वस्तुओं और सेवाओं के Supplier के रूप में कानूनी मान्यता मिल सकेगी। आपको अपने माल या सेवाओं के खरीदारों से GST के तहत Taxजमा करने और फिर बाद में उसे अपनी खुद की खरीद में दिए चुकाए गए GST से Adjust करने की सहूलियत मिल सकेगी। इस तरह से आप अगर अंतिम Consumer नहीं हैं तो जिस भी स्तर पर आपने GST चुकाया है, वह Adjustment के रास्ते सरकार से आपको वापस मिल जाएगा। अगर आप जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दायरे में आते हैं तो आपको अपनी कंपनी या प्रतिष्ठान के बोर्ड और बिल पर जीएसटी नंबर का उल्लेख भी करना अनिवार्य होगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट किसे |Exempted From GST Registration
20 लाख रुपये से कम का सालाना Turn Over वाले कारोबारी GST के दायरे में नहीं आएंगे। अगर आप किसी ऐसी वस्तु या सेवा का कारोबार से जुडे हैं जो GST Act के तहत टैक्स से छूट प्राप्त है तो आपको GST में Registration कराने की जरूरत नहीं है।
इन स्थितियों में भी कराना होगा जीएसटी में रजिस्ट्रेशन|
GST Registration Also Mandatory For Followings
आपका सालाना Turn Over 20 लाख रुपए से कम है और आपकी आमदनी Taxable Income में आती है तो भी कुछ स्थितियों में आपको GST Registration करवाना अनिवार्य है। ये स्थितियां कौन सी हैं आइए जानते हैं।
अंतरराज्यीय आपूर्तिकर्ता |Persons Doing Inter-State taxable supply
अगर आप वस्तुओं और सेवाओं की एक State से दूसरे Stateमें Supply करते हैं। साथ ही आपकी आमदनी Taxable Income की सीमा में आती है तो भी आपको GST Registration करवाना जरूरी होगा। भले ही आपका सालाना Turn over 20 लाख रुपए से कम क्यों न हो।
यदा-कदा व्यापार करने वाले|Casual Taxable Person Doing Taxable Supply
इस Category में ऐसे लोग आते हैं जो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर Business तो करते हैं लेकिन उनके माल या सेवाओं के Supply करने का कोई निश्चित स्थान न हो। वह अनुकूल अवसरों के मुताबिक अपना Business करता हो। उदाहरण के लिए दीपावली के आस-पास अस्थायी रूप से पटाखों का कारोबार, रक्षाबंधन के आसपास राखियों का Business या होली के दौरान दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच रंगों और पिचकारियों आदि का Business करने वाले। इनकी भी आमदनी अगर Taxable हो तो उन्हें भी GST Registration करवाना अनिवार्य है।
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Up Secondary Education Employee ,Who is working to permotion of education
Tata Steel ने जर्मनी के साथ क्यों किया समझौता, जानिए
Jamshedpur: टाटा स्टील और इंडो जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (आईजीएसटीसी) ने 21 मार्च को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. समझौता टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (प्रौद्योगिकी और नई समाग्री) डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी और एसके वार्ष्णेय, प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के बीच हुआ. इस करार का मकसद नई प्रौद्योगिकी विकास की सुविधा के लिए एक संयुक्त सहयोगी अनुसंधान और नवाचार (आरएंडआई) ढांचा स्थापित करना है. यह सहयोग विश्व स्तर पर प्रासंगिक प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के नवाचार क्षेत्रों, नई सामग्रियों में उभरती प्रौद्योगिकियों, उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं नवाचार और स्केलिंग-अप के लिए प्रौद्योगिकी विकास के लिए हैं.
टाटा स्टील के उपाध्यक्ष, प्रौद्योगिकी और नई सामग्री व्यवसाय, डॉ देवाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि इस सहयोग का उद्देश्य तीन है. भारत और जर्मनी के बीच एक मानव बुद्धि पुल (ह्यूमन इन्टेलेक्ट ब्रिज) विकसित करना, अत्याधुनिक टिकाऊ प्रौद्योगिकियों का विकास करना और विज्ञान में महिलाओं का समर्थन करना. मौके पर डॉ. स्टीफन नॉर्बर्ट कोच, मंत्री और आर्थिक विभाग के प्रमुख, जर्मन दूतावास, कामेश गुप्ता, प्रमुख – ग्राफीन बिजनेस, इनोवेंचर एंड इनोवेशन, टेक्नोलॉजी एंड न्यू मैटेरियल्स बिजनेस, टाटा स्टील, और अन्य निदेशक और वैज्ञानिक मौजूद थे.
भास्कर बिजनेस LIVE अपडेट्स: UBS ने भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ अनुमान को घटाकर 7% किया, हाई कमोडिटी प्राइस को बताया कारण
UBS ने शुक्रवार को भारत के 2022-23 के GDP अनुमान को 7.7 से घटाकर 7% कर दिया है। इसका कारण हाई कमोडिटी प्राइस से स्लो ग्लोबल ग्रोथ और एनर्जी प्राइस बढ़ने से कमजोर लोकल डिमांड है। बीते हफ्ते वर्ल्ड बैंक ने भी भारत और पूरे दक्षिण एशिया के लिए अपने इकोनॉमिक ग्रोथ के पूर्वानुमान को कम कर दिया था। सप्लाई चेन की परेशानी और यूक्रेन संकट के साथ बढ़ते बढ़ती महंगाई को इसका कारण बताया था।
भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 80% इंपोर्ट से पूरा करता है और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से देश का चालू खाता घाटा बढ़ गया है। रुपया भी इससे कमजोर हो रहा है। RBI ने इस महीने की शुरुआत में चालू वित्त वर्ष के लिए अपने महंगाई पूर्वानुमान को बढ़ाकर 5.7% कर दिया था, जो फरवरी के पूर्वानुमान से 120 बेसिस पॉइंट ज्यादा था। इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को भी 7.8% से घटाकर 7.2% कर दिया था।
अन्य अपडेट्स:
MPC बैठक के मिनट्स ऑफ द मीटिंग जारी, मेंबर्स का महंगाई पर रहा सबसे ज्यादा फोकस
नए फाइनेंशियल ईयर FY23 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी बैठक (6-8 अप्रैल) के मिनट्स ऑफ द मीटिंग शुक्रवार को जारी किए गए। इसमें कहा गया है कि मीटिंग में ज्यादातर मेंबर्स ने बढ़ती महंगाई पर जोर दिया। RBI गवर्नर और 6 सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के हेड शक्तिकांत दास ने कहा, 'मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति ने 2022-23 के हमारे इन्फ्लेशन प्रोजेक्शन्स में बढ़ोतरी की है।
मार्च में रिटेल महंगाई 6.95% रही थी जो 17 महीनों का उच्चतम स्तर है। WPI भी लगातार 12 महीनों से डबल डिजिट में रही है। ऐसे में अब ज्यादातर इकोनॉमिस्ट को उम्मीद है कि MPC जून में अपनी अगली बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगी। MPC ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने रिटेल महंगाई पूर्वानुमान को संशोधित कर 5.7% कर दिया था, जबकि पहले ये अनुमान 4.5% था।
ओला S1 प्रो स्कूटर का पहिया टूटने पर कंपनी बोली- राइडर ने ब्रेकर पर स्पीड कम नहीं की
ओला S1 प्रो स्कूटर की क्वालिटी पर छिड़ी बहस के बीच कंपनी ने आज गुवाहाटी में हुए एक्सिडेट पर बयान जारी किया है। ओला की फाइंडिंग्स के अनुसार, 'ओवरस्पीडिंग' और 'घबराहट में ब्रेक' लगाने से ये एक्सिडेंट हुआ था। स्कूटर को राइड कर रहे शख्स ने बेक्रर के बाद भी स्पीड कम नहीं की थी। एक्सिडेंट का ये मामला 26 मार्च का है जब ओला S1 प्रो स्कूटर का पहिया टूटकर अलग हो गया था। इस हादसे में पीड़ित को 16 टांके आए थे।
इस साल के अंत तक पूरा होगा भारत-यूके ट्रेड एग्रीमेंट
भारत और यूके के बीच दिसंबर तक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पूरा हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूके के PM बोरिस जॉनसन के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमने इस साल के अंत तक FTA को पूरा करने का फैसला लिया है। पिछले कुछ महीने में भारत ने UAE और ऑस्ट्रेलिया के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को पूरा किया है। उसी गति और कमिटमेंट के साथ हम UK के साथ भी FTA पर आगे बढ़ेंगे।
पीएम मोदी ने यूके को भारत के नेशनल हाइड्रोजन मिशन में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया। पीएम ने कहा, 'आज हमने अपनी क्लाइमेंट और एनर्जी पार्टनरशिप को और ज्यादा गहरा करने का निर्णय लिया है। हम UK को भारत के नेशनल हाइड्रोजन मिशन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।'
उन्होंने कहा, 'आज हमारे बीच ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप के इम्प्लीमेंटेशन अरेंजमेंट का समापन एक बहुत महत्त्वपूर्ण पहल साबित होगी। इसके तहत तीसरे देशों में मेड इन इंडिया इनोवेशन के ट्रांसफर और स्केलिंग अब के लिए भारत और UK 100 मिलियन डॉलर तक को-फाइनेंस करेंगे।'
उधर, यूके पीएम बोरिस जॉनसन ने डिफेंस प्रोक्योरमेंट के लिए यूके ने इंडिया स्पेसिफिक ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस का ऐलान किया है। इससे ब्यूरोक्रेसी कम होगी और डिलीवरी का समय भी कम होगा।
भारत-रूस के सेंट्रेल बैंक के अधिकारियों की मीटिंग, रूबल-रुपए में पेमेंट पर हुई चर्चा
भारत और रूस के बीच ट्रेड के पेमेंट ऑप्शन पर चर्चा के लिए बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक और रूसी केंद्रीय बैंक के अधिकारियों ने मुंबई के एक होटल में मुलाकात की। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मीटिंग में रूपए और रूबल पेमेंट पर बात की गई है। 24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर आक्रामण के बाद दोनों केंद्रीय बैंकों के बीच यह पहली बैठक थी।
अधिकारियों ने दोनों देशों में निर्यातकों और आयातकों के सामने आ रही तकनीकी चुनौतियां पर बात की। बैंक ऑफ रशिया के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में RBI के दो सीनियर अधिकारी मौजूद थे। रूस को बेल्जियम स्थित स्विफ्ट सिस्टम से अलग कर दिया गया है, जिसके जरिए ग्लोबल ट्रांजैक्शन किए जाते हैं। इससे रूस से माल भेजने और प्राप्त करने वाली कंपनियों को पेमेंट में परेशानी हो रही है।
सरकार LIC IPO का साइज घटाकर 30,000 करोड़ कर सकती है
सरकार लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) का साइज छोटा कर सकती है। पहले जहां IPO के जरिए 65,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्लान था तो वहीं अब इसे घटाकर 30,000 करोड़ रुपए किया जा सकता है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है। इश्यू साइज घटाने का कारण रूस-यूक्रेन जंग को बताया जा रहा है। सरकार अगले दो हफ्तों में LIC के IPO को लॉन्च करना चाहती है। पूरी खबर पढ़ने के लिए लिए यहां क्लिक करें.
सेंसेक्स 714 पॉइंट की गिरावट के साथ 57197 पर बंद
सेंसेक्स और निफ्टी हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 714.53 पॉइंट (1.23%) की गिरावट के साथ 57,197.15 पर जबकि निफ्टी 220.65 (1.27%) अंक फिसलकर 17,171.95 पर बंद हुआ। आज सबसे ज्यादा बिकवाली बैंक और मेटल स्टॉक्स में रही। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
Economic Survey 2020: निवेश घटने से GDP गिरी, CEA ने कहा- ये 10 फॉर्मूले अर्थव्यवस्था को देंगे रफ्तार
आर्थिक सर्वेक्षण 2020 संसद में पेश हो चुका है. इसमें वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 6-6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.
Economic Survey 2020, Union Budget 2020 Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण 2020 संसद में पेश हो चुका है. इसमें वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 6-6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रहने की बात कही गई है. अब इकोनॉमिक सर्वे पर मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन डिटेल्ड ब्यौरा दे रहे हैं. सुब्रमण्यन ने बताया कि इस बार इकोनॉमिक सर्वे 2020 की थीम वेल्थ क्रिएशन है. हम पुराने और नए को साथ लेकर चलने की सिंथेसिस पर चल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस वित्त वर्ष हम 100 रुपये का नया नोट लेकर आए लेकिन पुराना भी बरकरार रहा.
बजट 2021 Live News Updates: ‘स्वस्थ भारत’ और ‘मजबूत बुनियाद’ पर रफ्तार पकड़ेगी अर्थव्यवस्था, कुल 34,83,236 करोड़ रु का बजट
उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से गुजर रही है. इसका कारण ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती है. विकसित, विकासशील, उभरते सभी बाजारों स्लोडाउन से जूझ रहे हैं. आगे कहा कि नॉन फूड क्रेडिट में कॉरपोरेट लोन्स 2013 में पीक पर थे. जिन कंपनियों ने 2008-2012 के बीच बड़े पैमाने पर लोन लिया, उन्होंने 2013-17 के बीच कम निवेश किया. इसके चलते 2013 के बाद से निवेश घटा और इसका निवेश पर नकारात्मक असर पड़ा. निवेश घटने से 2017 के बाद जीडीपी ग्रोथ भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई.
उन्होंने यह भी बताया कि अगर देश में विलफुल डिफॉल्ट नहीं होते तो सरकार सोशल सेक्टर, रेलवे आदि जैसे क्षेत्रों में अधिक पैसे खर्च करने में सक्षम होती. सोशल सेक्टर में यह अमाउंट लगभग दोगुना होता.
इकोनॉमिक सर्वे के 10 नए आइडिया
1. वेल्थ क्रिएशन सभी के लिए फायदेमंद
2. वेल्थ क्रिएशन में मार्केट मददगार
3. मार्केट के साथ विश्वास को साथ चलने की जरूरत
4. जमीनी स्तर दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच के एंटरप्रेन्योर्स अपने जिलों में वेल्थ क्रिएट करते हैं.
5. प्रो बिजनेस पॉलिसीज समान अवसर उपलब्ध कराती हैं.
6. सरकार के पुराने जमाने के दखल दूर करना
7. विश्व के लिए भारत में असेंबलिंग को प्रोत्साहित कर रोजगार सृजन को बढ़ावा देना
8. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मोर्चे पर कुछ और बदलाव व कदमों के लिए भारत को टॉप 50 में लाना
9. भारत के बैंकिंग सेक्टर की सब स्केलिंग
10. थालीनॉमिक्स
बाजार और विश्वास को साथ मिलकर चलने की जरूरत
उन्होंने बताया कि एंटरप्रेन्योर्स द्वारा वेल्थ क्रिएटर्स का विश्लेषण दर्शाता है कि वेल्थ क्रिएशन सभी के लिए फायदेमंद है. वेल्थ क्रिएशन के लिए बाजार और विश्वास को साथ मिलकर चलने की जरूरत है. इसका जिक्र अर्थशास्त्र में भी है.
बैंकिंग सेक्टर
भारत बैकिंग सेक्टर की सब स्केलिंग में अभी 5वें नंबर पर है. 2019 में ग्लोबल टॉप 100 में बैंकों की संख्या को लेकर भारत काफी पीछे था. ग्लोबल टॉप 100 में भारत का केवल एक बैंक शामिल है, जबकि इसमें टॉप पर चीन है. भारतीय अर्थव्यवस्था के सही आकार के लिए ग्लोबल टॉप 100 में भारत को 6 बैंक लाने चाहिए और 2025 तक इनकी संख्या 8 होनी चाहिए.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
सीईए ने बताया कि विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग के मामले में 2014 में भारत 142 नंबर पर था. 2019 तक रैंकिंग सुधरकर 63 हो गई. इस मोर्चे पर भारत अभी भी कारोबार शुरू करने में आसानी, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, टैक्स भुगतान और कॉन्ट्रैक्ट इन्फोर्सिंग के मामले में पीछे है. भारत में किसी बिजनेस को स्थापित करने में सभी प्रकियाओं को पूरा करने में औसतन 18 दिन लगते हैं. वहीं न्यूजीलैंड में यह सब केवल आधे दिन में हो जाता है.
जॉब क्रिएशन
सर्वे में कहा गया है कि 2025 तक देश में अच्छे वेतन वाली 4 करोड़ नौकरियां होंगी और 2030 तक इनकी संख्या 8 करोड़ हो जाएगी. भारत के पास श्रम आधारित निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन के समान काफी अवसर हैं. दुनिया के लिए भारत में एसेम्बल इन इंडिया और मेक इन इंडिया योजना को एक साथ मिलाने से निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2025 तक 3.5 फीसदी और 2030 तक 6 फीसदी हो जाएगी.
2025 तक भारत को 5 हजार अरब वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जरूरी मूल्य संवर्धन में नेटवर्क उत्पादों का निर्यात एक तिहाई की वृद्धि करेगा. समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत को चीन जैसी रणनीति का पालन करना चाहिए. श्रम आधारित क्षेत्रों विशेषकर नेटवर्क उत्पादों के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विशेषज्ञता हासिल करना. नेटवर्क उत्पादों के बड़े स्तर पर एसेम्लिंग की गतिविधियों पर खासतौर से ध्यान केंद्रित करना.
थालीनॉमिक्स
व्यक्ति के रोज की थाली में शामिल चीजें जैसे- दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मसाले आदि को मिलाकर एक थाली की कीमत कम हुई है. यानी लोगों को सस्ती शाकाहारी थाली मुहैया कराने में तेजी आई है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि अब औद्योगिक श्रमिकों की दैनिक आमदनी की तुलना में भोजन की थाली और सस्ती हो गई है. 2006-2007 की तुलना में 2019-20 में शाहाकारी भोजन की थाली 29 फीसदी और मांसाहारी भोजन की थाली 18 फीसदी सस्ती हुई हैं.
भारत में भोजन की थाली के अर्थशास्त्र के आधार पर समीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला गया है. यह अर्थशास्त्र भारत में एक सामान्य व्यक्ति द्वारा एक थाली के लिए किए जाने वाले भुगतान को मापने की कोशिश है.
इन्वेंटरी की दिन बिक्री – डीएसआई
इन्वेंट्री की बिक्री का दिन (DSI) एक वित्तीय अनुपात है जो उन दिनों में औसत समय को इंगित करता है जो एक कंपनी अपनी इन्वेंट्री को चालू करने के लिए लेती है, जिसमें माल शामिल है जो बिक्री में प्रगति पर है।
DSI को इन्वेंट्री की औसत आयु, दिनों की इन्वेंट्री बकाया (DIO), इन्वेंट्री में दिन (DII), इन्वेंट्री या दिनों की इन्वेंट्री में बिक्री के दिनों के रूप में भी जाना जाता है और इसकी कई तरीकों से व्याख्या की जाती है। इन्वेंट्री की तरलता का संकेत देते हुए, यह आंकड़ा दर्शाता है कि कंपनी के इन्वेंट्री का मौजूदा स्टॉक कितने दिनों तक चलेगा। आमतौर पर, एक कम डीएसआई को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह इन्वेंट्री को बंद करने के लिए एक छोटी अवधि को इंगित करता है, हालांकि औसत डीएसआई एक उद्योग से दूसरे में भिन्न होता है।
फॉर्मूला और गणना डीएसआई
एक बिक्री योग्य उत्पाद का निर्माण करने के लिए, एक कंपनी को कच्चे माल और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होती है जो इन्वेंट्री बनाते हैं और लागत पर आते हैं। इसके अतिरिक्त, इन्वेंट्री का उपयोग करके बिक्री योग्य उत्पाद के निर्माण से जुड़ी लागत है। इस तरह की लागतों में बिजली की तरह उपयोगिताओं की ओर श्रम लागत और भुगतान शामिल हैं, जो बेची गई वस्तुओं (सीओजीएस) की लागत से दर्शाया जाता है और यह उन उत्पादों को प्राप्त करने या निर्माण करने की लागत के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक कंपनी की अवधि के दौरान बेचती है। डीएसआई की गणना इन्वेंट्री के औसत मूल्य और किसी निश्चित अवधि के दौरान या किसी विशेष तिथि के दौरान बेची गई वस्तुओं की लागत के आधार पर की जाती है। गणितीय रूप से, इसी अवधि में दिनों की संख्या की गणना एक वर्ष के लिए 365 और एक तिमाही के लिए 90 का उपयोग करके की जाती है। कुछ मामलों में, इसके बजाय 360 दिनों का उपयोग किया जाता है।
अंकीय संख्या इन्वेंट्री के मूल्यांकन का प्रतिनिधित्व करती है। भाजक (बिक्री की संख्या / दिनों की संख्या) एक बिक्री योग्य उत्पाद के निर्माण के लिए कंपनी द्वारा प्रति दिन खर्च की जाने वाली औसत लागत का प्रतिनिधित्व करता दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच है। नेट फैक्टर कंपनी द्वारा अपने पास मौजूद इन्वेंट्री को साफ करने के लिए लिए गए दिनों की औसत संख्या देता है।
लेखांकन प्रथाओं के आधार पर डीएसआई सूत्र के दो अलग-अलग संस्करणों का उपयोग किया जा सकता है। पहले संस्करण में, औसत इन्वेंट्री राशि को खाते की अवधि के अंत में बताए गए आंकड़े के रूप में लिया जाता है, जैसे कि वित्तीय वर्ष के अंत में 30 जून को समाप्त होता है। यह संस्करण डीएसआई मान को “उल्लिखित तिथि” के रूप में दर्शाता है। एक अन्य संस्करण में, स्टार्ट डेट इन्वेंटरी और एंड डेट इन्वेंटरी का औसत मूल्य लिया जाता है, और परिणामस्वरूप आंकड़ा उस विशेष अवधि के दौरान “डीएसआई” मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए,
Average Inventory=Ending g Inventory\ पाठ = \ टेक्स्ट औसत सूची=इनवेंटरी को खत्म करना
COGS मान दोनों संस्करणों में समान रहता है।
चाबी छीन लेना
- इन्वेंट्री को बेचने के लिए इन्वेंट्री (डीएसआई) की दिनों की बिक्री की संख्या एक फर्म के लिए औसत दिनों की संख्या है।
- डीएसआई एक मीट्रिक है जिसका उपयोग विश्लेषक बिक्री की दक्षता निर्धारित करने के लिए करते हैं।
- एक उच्च डीएसआई इंगित कर सकता है कि एक फर्म अपनी इन्वेंट्री को ठीक से प्रबंधित नहीं कर रही है या उसके पास इन्वेंट्री है जिसे बेचना मुश्किल है।
डीएसआई आपको क्या बताता है
चूंकि डीएसआई इंगित करता है कि किसी कंपनी की नकदी को उसकी इन्वेंट्री में बांधा गया है, इसलिए डीएसआई का एक छोटा मूल्य पसंद किया जाता है। एक छोटी संख्या इंगित करती है कि एक कंपनी अधिक कुशलता से और अक्सर अपनी इन्वेंट्री को बेच रही है, जिसका मतलब है कि तेजी से कारोबार उच्च लाभ के लिए संभावित है (यह मानते हुए कि बिक्री लाभ में बनाई जा रही है)। दूसरी ओर, एक बड़ा डीएसआई मूल्य इंगित करता है कि कंपनी अप्रचलित, उच्च-मात्रा सूची के साथ संघर्ष कर सकती है और उसी में बहुत अधिक निवेश कर सकती है। यह भी संभव है कि कंपनी हाई ऑर्डर की पूर्ति दर हासिल करने के लिए उच्च इन्वेंट्री स्तरों को बनाए रख सकती है, जैसे कि आगामी छुट्टियों के मौसम में बम्पर बिक्री की प्रत्याशा में।
डीएसआई एक कंपनी द्वारा इन्वेंट्री प्रबंधन की प्रभावशीलता का एक उपाय है। इन्वेंटरी व्यवसाय के लिए परिचालन पूंजी की आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसी कंपनी द्वारा वस्तु को बेचने से पहले उसके द्वारा रखे गए दिनों की संख्या की गणना करके, यह दक्षता अनुपात उस समय की औसत लंबाई को मापता है जो किसी कंपनी के नकदी को इन्वेंट्री में बंद कर दिया जाता है।
हालाँकि, इस संख्या को सावधानी से देखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें अक्सर संदर्भ का अभाव होता है। उत्पाद प्रकार और व्यवसाय मॉडल जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर उद्योगों के बीच DSI बहुत भिन्न होता है। इसलिए, समान सेक्टर पीयर कंपनियों के बीच मूल्य की तुलना करना महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल और फ़र्नीचर क्षेत्र की कंपनियां अपने आविष्कारों पर लंबे समय तक पकड़ बना सकती हैं, लेकिन वे जो खराब हो रहे हैं या तेज़ गति से चल रहे उपभोक्ता सामान (FMCG) के व्यवसाय में नहीं हैं। इसलिए, डीएसआई मूल्यों के लिए सेक्टर-विशिष्ट तुलना की जानी चाहिए।
यह भी ध्यान रखना चाहिए दिन के कारोबार और स्केलिंग के बीच कि बाजार की गतिशीलता के आधार पर कई बार उच्च डीएसआई मूल्य को प्राथमिकता दी जा सकती है। यदि अगली तिमाही में किसी विशेष उत्पाद के लिए एक छोटी आपूर्ति की उम्मीद की जाती है, तो एक व्यवसाय अपनी इन्वेंट्री पर पकड़ से बेहतर हो सकता है और फिर बाद में इसे बहुत अधिक कीमत पर बेच सकता है, जिससे लंबे समय में लाभ में सुधार होगा।
उदाहरण के लिए, एक विशेष शीतल जल क्षेत्र में सूखे की स्थिति का मतलब हो सकता है कि अधिकारियों को दूसरे क्षेत्र से पानी की आपूर्ति करने के लिए मजबूर किया जाएगा जहां पानी की गुणवत्ता कठिन है। यह एक निश्चित अवधि के बाद वाटर प्यूरीफायर की मांग में वृद्धि का कारण बन सकता है, जो कि अगर वे इन्वेंट्री पर रखते हैं तो कंपनियों को फायदा हो सकता है।
डीएसआई द्वारा इंगित एकल-मूल्य के आंकड़े के बावजूद, कंपनी प्रबंधन को इष्टतम इन्वेंट्री स्तर और बाजार की मांग के बीच एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद संतुलन खोजना चाहिए।
डीएसआई बनाम इन्वेंटरी टर्नओवर
डीएसआई से संबंधित एक समान अनुपात इन्वेंट्री टर्नओवर है, जो उस समय की संख्या को संदर्भित करता है जो एक कंपनी किसी विशेष समय अवधि के दौरान अपनी त्रैमासिक या वार्षिक रूप से अपनी इन्वेंट्री को बेचने या उपयोग करने में सक्षम है। इन्वेंटरी टर्नओवर की गणना औसत इन्वेंट्री द्वारा विभाजित सामानों की लागत के रूप में की जाती है। यह निम्नलिखित संबंधों के माध्यम से डीएसआई से जुड़ा हुआ है: