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पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है?

Mutual Fund: म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में कौन सा है अच्छा? समझिए पूरा गणित

Mutual Fund: पैसे से पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? पैसा कमाने के लिए बेहतरीन विकल्पों में एक अच्छा विकल्प म्यूचुअल फंड का भी होता है. इसमें सीधे शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी नहीं रहता है और फायदा भी मोटा होता है.

By: ABP Live | Updated at : 08 May 2022 11:34 AM (IST)

Mutual Fund: महंगाई दर (Inflation) को मात देने के लिए शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छे विकल्पों में से एक है. लेकिन अगर आप इक्विटी में सीधे निवेश (Investment) का जोखिम नहीं उठा सकते हैं, तो आप म्यूचुअल फंड या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस का विकल्प चुन सकते हैं.

यहां निवेश से सीधे इक्विटी में निवेश करने का जोखिम भी नहीं होता है और फायदा भी मोटा होता है. आइए आपको बताते हैं कि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में से क्या बेहतर होता है.

जो लोग शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग (Treading) नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के जरिये सिस्टमैटिक तरीके या एकमुश्त मार्केट में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में कई सारे निवेशक अपना वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्कीम में निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.

50 लाख रुपये का निवेश जरूरी

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पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस या कहें पीएमएस एक व्यक्तिगत निवेश पोर्टफोलियो होता है, इससमें बड़े निवेशक निवेश करते हैं. यहां व्यक्ति के लक्ष्य के हिसाब से निवेश पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है. जबकि म्युचुअल फंड में पहले से तय कंपनियों में निवेस किया जाता है.

यहां निवेश करने के लिए आपके पास कम से कम 50 लाख रुपये होने चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके लक्ष्य के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. आपको बता दें कि पीएमएस में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट खाता खुलवाना जरूरी होता है.

3 तरह के पीएमएस

डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी कुल मिलाकर तीन तरह की पीएमएस होती है. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होगा. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? रिटर्न पर आधारित कमीशन भी मिलता है. पीएमएस उन निवेशकों के लिए अच्छा है, जिनके पास निवेश के लिए रकम तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए समय कम है.

मोटे रिटर्न पर ही फायदा

विशेषज्ञों का मानना है कि एक निवेशक को लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड की तुलना में पीएमएस से 2 से 2.5 फीसदी अधिक रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल की माने तो म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर एक निवेशक से योजना के व्यय अनुपात में 0.5 फीसदी से लगभग 2.5 फीसदी तक चार्ज वसूलते हैं. पीएमएस के मामले में, लेनदेन मूल्य का करीब 2 से 2.5 फीसदी चार्ज लिया जाता है, जो स्टॉक की खरीद और बिक्री यानि निवेशक के मुनाफे या घाटे के बावजूद दोनों पर लागू होता है.

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Published at : 08 May 2022 11:34 AM (IST) Tags: Money Investment shares Mutual fund market portfolio हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

क्या होती है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम?

PMS के नाम से मशहूर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम एकमुश्त निवेश का खास जरिया होती हैं.

2. कम से कम कितना पैसा लगाया जा सकता है?
रेगुलेटरी गाइडलाइंस के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीमों में मिनिमम इनवेस्टमेंट 25 लाख रुपये का हो सकता है। इसके लिए इनवेस्टर नए इनवेस्टमेंट के लिए 25 लाख या 25 लाख रुपये से ज्यादा मार्केट वैल्यू के मौजूदा पोर्टफोलियो को ट्रांसफर कर सकते हैं। इनमें कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता है लेकिन PMS मैनेजर्स का इस बात पर जोर होता है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? कि इनवेस्टर्स कम से कम उसको 3 साल के लिए अपना पैसा दें।

3. डिस्क्रिशनरी और नॉन-डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो मैनेजर में क्या फर्क होता है?
डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो मैनेजर हर क्लाइंट का फंड उनकी जरूरत के हिसाब से व्यक्तिगत और स्वतंत्र रूप से मैनेज करते हैं। नॉन डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो मैनेजर क्लाइंट के निर्देश पर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट करते हैं।

4. इनवेस्टमेंट किसके पास होता है? उसकी मॉनिटरिंग कौन करता है?
जब आप पीएमएस स्कीम चुनते हैं, तब आपके नाम पर अलग से एक बैंक और डीमैट एकाउंट खोला जाता है और सभी इनवेस्टमेंट आपके नाम पर होते हैं। इसी तरह, इनवेस्टमेंट से मिलने वाली इनकम या डिविडेंड आपके बैंक एकाउंट में क्रेडिट होगा और शेयर आपके नाम पर डीमैट एकाउंट में रहेगा। पीएमएस एग्रीमेंट के मुताबिक बैंक और डीमैट एकाउंट ऑपरेट करने का पावर ऑफ अटॉर्नी पोर्टफोलियो मैनेजर के पास होता है। ज्यादातर पोर्टफोलियो मैनेजर क्लाइंट को यूजर नेम और पासवर्ड मुहैया कराते हैं जिनका इस्तेमाल उनकी वेबसाइट पर लॉग इन करने और पोर्टफोलियो स्टेटमेंट देखने के लिए कर सकते हैं। सेबी के निर्देशानुसार, पोर्टफोलियो मैनेजर्स को हर छह महीने पर अपने क्लाइंट्स को परफॉर्मेंस रिपोर्ट देनी होती है।

5. PMS सर्विसेज की फीस कैसे तय होती है?
फीस पोर्टफोलियो मैनेजर के साथ क्लाइंट के एग्रीमेंट के हिसाब से होता है। फीस साल के अंत में ग्रोथ और पोर्टफोलियो की वैल्यू के हिसाब से सालाना देय होती है।

Income Tax : क्‍या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर लगने वाली फीस टैक्‍स फ्री है, एक्‍सपर्ट से समझें क्‍या इस पर ले सकते हैं क्‍लेम?

निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर दो तरह से कैपिटल गेन टैक्‍स लगता है.

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ज्‍यादातर निवेशक अपने पोर्टफोलियो के पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? प्रबंधन के लिए मैनेजर्स की मदद लेते हैं और इसके एवज में उन्‍हें शुल्‍क का भुगतान क . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : September 02, 2022, 15:09 IST

हाइलाइट्स

आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? है.
फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी कोई फैसला नहीं दे सका है.
पोर्टफोलियो मैनेजर्स करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति का प्रबंधन करते हैं.

नई दिल्‍ली. हर निवेशक की यह चाह होती है कि उसके लगाए पैसे पर तगड़ा रिटर्न मिले और इसके लिए एक्‍सपर्ट की सलाह लेना सबसे कॉमन चीज है. लिहाजा निवेशक को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? का सहारा लेना पड़ता है, जिसके बाद हर निवेश विकल्‍प पर एक्‍सपर्ट का ओपिनियन मिल जाता है.

यहां तक तो बात सामान्‍य लगती है, लेकिन असर मुद्दा तब उठता है जबकि निवेशक को अपने पैसों पर कमाए रिटर्न पर आयकर विभाग को कैपिटल गेन के रूप में टैक्‍स देना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या इस टैक्‍स का भुगतान करने वाला निवेशक अपने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए दे रहे शुल्‍क पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. यानी इस राशि को अपनी टैक्‍स देनदारी में शामिल कर सकता है.

क्‍या कहता है आयकर कानून
टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि आयकर की धारा 48 के तहत कैपिटल गेन के रूप में हुई आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है. यह शेयर ट्रांसफर के पूरी तरह और विशेष रूप से जुड़े सभी खर्चों को शामिल करता है. पोर्टफोलियो मैनेजर को भी दी गई फीस के संबंधन में यह कहा जा सकता है कि इनका शेयरों के ट्रांसफर में निकट संबंध है

हालांकि, टैक्‍स अथॉरिटी का कहना है कि यह फीस शेयर ट्रांसफर से पूरी तरह अथवा विशेष रूप से कतई नहीं जुड़ी है. लिहाजा निवेशक इस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी इस मसले पर कोई फैसला नहीं दे सका है.

अभी तक क्‍या रहें हैं ट्रिब्‍यूनल के फैसले
इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण की पुणे पीठ ने एक फैसले में कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस को भी कर शेयर ट्रांसफर खर्च का हिस्‍सा माना जाना चाहिए और इस पर निवेशक टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. हालांकि, मुंबई ट्रिब्‍यूनल ने पुणे पीठ के फैसले को सही नहीं बताया और कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद कोलकाता टिब्‍यूनल ने जॉय ब्‍यूटी केयर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अपना फैसला पुणे पीठ के पक्ष में दिया. कोलकाता ट्रिब्‍यनल ने कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? निवेशक पोर्टफोलियो फीस पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. बैंगलोर ट्रिब्‍यूनल ने एक फैसले में कहा कि इस फीस पर टैक्‍स कटौती को लेकर आयकर कानून में कभी सवाल नहीं उठाया गया है.

कितनी राशि का प्रबंधन करते हैं पोर्टफोलियो मैनेजर
पोर्टफोलियो मैनेजर्स की ओर से सेबी को दी गई जानकारी के अनुसार, अभी देश में रजिस्‍टर्ड पोर्टफोलियो मैनेजर्स के पास करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति है, जिसका वे प्रबंधन करते हैं. अगर सरकार इस फीस पर टैक्‍स छूट के दावे को स्‍वीकार करती है तो निवेशकों के लिए यह बड़ा कदम होगा. मामले में बाम्‍बे हाईकोर्ट को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? भी फैसला देना है, जिससे उम्‍मीद लगाई जा रही कि निवेशकों को कुछ स्‍पष्‍ट डिसीजन मिल सकता है.

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बेहतर रिटर्न पाने के लिए किस प्रकार करें पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट, यहां जानिए पूरी डिटेल

आप अपने पैसे को बाजार के खतरों से बचाने में भी सक्षम होते है और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट आपके मुनाफे को बढ़ाने में भी सहायता करता है.

  • Himali Patel
  • Publish Date - October 4, 2021 / 09:46 AM IST

बेहतर रिटर्न पाने के लिए किस प्रकार करें पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट, यहां जानिए पूरी डिटेल

निवेशकों को एक मैनेजमेंट शैली का चयन करना पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? चाहिए जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का अधिकतम लाभ उठाने के लिए उनके निवेश पैटर्न से मेल खाता हो

एक इन्वेस्टर के रूप में आपको अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की वैल्यू बढ़ाने के लिए अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट (portfolio management) सही तरह से करने की आवश्यकता होती है. साथ ही ऐसा करने से, आप अपने पैसे को बाजार के खतरों से बचाने में भी सक्षम होते है और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (portfolio management) आपके मुनाफे को बढ़ाने में भी सहायता करता है. आईये समझते हैं कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है और कैसे यह आपके रिटर्न को बढ़ाने में सहायता कर सकता है.

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (portfolio management) क्या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट को एक विशिष्ट समय अवधि में कमाई को अधिकतम करने के लिए किसी व्यक्ति के निवेश के मैनेजमेंट की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, इस तरह के उपाय यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्तिगत निवेशकों का निवेश मार्किट के रिस्क से अधिक प्रभावित न हो सके. आमतौर पर, इस तरह के पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का प्रयोग समय के साथ बेहतर रिटर्न बनने में, मार्किट के रिस्क को कम करने और फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट वह तकनीक है, जो एक निवेशक को, उसके द्वारा पहले से निश्चित उद्देश्यों के लिए, निवेश के अलग-अलग उपलब्ध विकल्पों में से, कुछ बेहतर तरीके से निवेश करने में मदद करती है.

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का उद्देश्य

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (portfolio management) का प्राथमिक लक्ष्य किसी की इनकम, आयु, समय सीमा और जोखिम सहनशीलता के आधार पर सर्वोत्तम निवेश विकल्पों का चयन करने में सहायता करना है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के कुछ प्राथमिक उद्देश्य ये हो सकते हैं –

-पूंजी वृद्धि करने के लिए
-निवेश पर रिटर्न बढ़ाने के लिए
-पोर्टफोलियो की समग्र प्रोफिसिएंसी को बढ़ावा देने के लिए
-रिस्क को कम करने के लिए
-ऑप्टीमल रिसोर्स एलोकेशन के लिए
-पोर्टफोलियो की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के लिए

फिर भी, निवेशकों को एक मैनेजमेंट शैली का चयन करना चाहिए जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का अधिकतम लाभ उठाने के लिए उनके निवेश पैटर्न से मेल खाता हो.

किन लोगों को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की सहायता लेनी चाहिए

– जो निवेशक विभिन्न निवेश के रास्ते जैसे बांड, इक्विटी, फंड, कमोडिटी आदि में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन पूरी प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं.
-जिनको फाइनेंशियल बाजार की अपर्याप्त जानकारी है.
-निवेशक जो इस बात से अनजान हैं कि बाजार की डायनामिक्स निवेश रिटर्न को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? कैसे प्रभावित करती है.
-निवेशक जिनके पास अपने निवेश पोर्टफोलियो को ट्रैक या पुनर्संतुलित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है.
-व्यक्तियों को ऐसी रणनीति लागू करनी चाहिए, जो निवेशक की फाइनेंशियल रणनीति और मैनेजरियल प्रोसेस का अधिकतम लाभ उठाने की संभावना को पूरा करती हो.

इसे दूसरे तरीके से कहें तो, प्रभावी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट निवेशकों को एक निवेश रणनीति बनाने में सक्षम बनाता है, जो उनकी फाइनेंशियल स्थिति और जोखिम सहनशीलता के अनुकूल बना सके. सही निवेश पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का उपयोग पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? करके, निवेशक अपने जोखिम को कम कर सकते हैं और अपनी निवेश संबंधी चिंताओं के अनुरूप जवाब प्राप्त कर सकते हैं.

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