जाने क्या होता है Options Trading

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट जाने क्या होता है Options Trading करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.
Options Trading में इन गलती के कारण बड़ा Loss होता है
दोस्तो, आज हम यहां Options Trading में Loss के मुख्य कारण पर चर्चा करेंगे, यह सारे कारण बहुत ट्रेडर की मानसिकता देखकर लिखे है।
शेयर मार्केट में Options Trading एक ऐसा Trading है जहां पर सिर्फ एक ही दिन में पैसे डबल, ट्रिपल, चार गुना या उससे ज्यादभी कर सकता है दूसरी ओर अपनी पुरी Capital को एक दिन में Loss भी कर सकते है।
अब options Trading क्या है उसके बारेमे ज्यादा चर्चा न करते हुए उसमे Loss होने के कारण पर आगे बढ़ते है।
कोई दुकानदार अपनी दुकान को हररोज क्यू खुलता है? वह रोज इसीलिए खोलता है की जाने क्या होता है Options Trading उनको उससे रोज मुनाफा होता है।
हम यहां इतना कहना चाहेंगे की आपको ट्रेडिंग हो या बिजनेस एक जाने क्या होता है Options Trading फॉर्मूला बनाना पड़ता है और बन जाए उसके बाद उसको आगे चलते रहे।
सबसे पहली बात जब आपको Trading से daily Loss हो रहे है तब पहले आप अपनी trading को कुछ दिन या महीने के लिए बंद कर दीजिए।
Reason :1
एक call/put से कितनी कितना प्रॉफिट हो सकता है यह संभावना को नही पहचानना (Trading without Knowing the probability of proffit.)
सबसे पहले जो ट्रेडर call/put options buy/sell करते है वह सोचते है की यह options तो सस्ते में मिल रहा है क्या पता साम होते होते यह चारगुना, पांच गुना हो जाए! ऐसा सोचकर options को ले लेता है।
लेकिन, अधिकतर trader को पता ही नही होता की यह call/put को चरगुना, या पांच गुना होने की संभावना कितनी है।
यहां ऐसे trader से कह रहे है जो बोलते है की उन्हें काफी कुछ मालूम है options Trading के बारेमे और वह बिना Probability को देखे मार्केट में ट्रेड करना सरु कर देते है।
Reason: 2
यहां leverage को ध्यान से समझे: options Trading में आप छोटे amount पर बड़े exposer के ऊपर ट्रेड करते है यानी जब आप किसी options को buy करते है तब हो सकता है की वह ₹2000 का हो लेकिन उसका exposer 5लाख , 6लाख इतना भी हो सकता है भविष्यमे।
लेकिन लोग अकसर ऐसा करते है की जैसे भाव नीचे आया तो उसको और खरीदने लगते है बिना यह जाने की उसकी आगे जनेकी संभावना कितनी है।
Reason: 3
Stop Loss सोचकर लगाने के बदले गलत तरीके से लगाना। (Wrong understanding and appreciation of STOP LOSS.)
ज्यादा तर options trader जब किसी call/put को buy/sell करते है तब वह ऐसे हीं कोई stop Loss लगा देते है।
एक बात याद रखे आपने कैसा भी stop loss लगाया हो options Trading की एक movement आपके सभी stop loss को काट देती है।
जैसे ही आपका stop loss कट जाता है वैसे ही आपका behavior एक ट्रेडर का न होके एक सट्टे बाज का हो जाता है और आप पूरा कैपिटल गवा देते है।
इसीलिए options Trading के दौरान आपको ट्रेड लेने से पहले कोई strasagy बनाने से पहले आपको आपका Loss का पता कर लेना है और उतना लॉस या प्रॉफिट मिल जाए उसके बाद उस दिन के लिए trading को रोक देना है।
हालाकि stop loss बहुत सामान्य चीज है लेकिन लोग सालो साल ट्रेड करते है और भूल करने के कारण loss करते रहते है।
5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग
इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.
फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.
बॅंक निफ़्टी में ट्रेडिंग की खामियां ( Problem)
3 ) यहाँ कोई "टार्गेट और स्टॉप लॉस" नहीं लगाया गया। ऑप्शन्स ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस कितना लगाना चाहिये। यह तो हम सभी की अपनी अपनी सोच होती है। लेकिन स्टॉप लॉस जरूर लगाना चाहिए इसपर हम सभी सहमत हो सकतें है। सही है ?
5 ) Stock Market के "ओपनिंग एक्शन" में अपना ट्रेड उतारा गया। और ऐसा एक, दो बार नहीं बल्कि तीन बार किया गया।
7 ) निफ़्टी बैंक ऑप्शन्स ट्रेडिंग में 5,10% का प्रॉफिट, "रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो" के हिसाब से बहुत कम माना जा सकता है।
8 ) यहाँ कम समय जाने क्या होता है Options Trading में ज्यादा बार ट्रेडिंग की गई है। ऐसा करने के लिए कोई "फंडामेंटल या टेक्निकल" बेस नहीं होता है। और ऑप्शन्स ट्रेडिंग करते वक्त ऑप्शन्स का पीसीआर देखना जरूरी होता है।
बॅंक निफ़्टी के ट्रेडिंग का सही तरीका ( Solution)
Bank Nifty Chart Set up for Trading. |
गौर देखा जाये, तो प्रॉब्लम को पढ़ते हुए ही आप जैसे गुनी लोग समझ गए होंगे, की क्या, क्या सोल्युशन्स निकलकर आ रहें है। और इनको हम अपने ट्रेडिंग स्टाइल में किस तरह से उपयोग में ला सकतें है।
1 ) हमें इंट्रा-डे ट्रेडिंग में, एक ही ट्रेड में, अपनी सारी पूंजी (कॅपिटल) "एकदम से नहीं लगानी चाहिए।"
2 ) ऑप्शन्स ट्रेडिंग में पूरी जानकारी के साथ "स्ट्रेटेजी के अनुसार"ट्रेडिंग होतीं है। हमें बैंक निफ़्टी सपोर्ट, रेजिस्टन्स का इस्तेमाल जरूर करना है।
5 ) "हमें ज्यादा ट्रेडिंग से बचना है।" अपनी स्ट्रेटेजी बनाकर उसे फॉलो करना है। Small Option Trading से शुरुआत करके हम अपनी स्ट्रेटेजी अच्छे से बना सकतें है।
बॅंक निफ़्टी ऑप्शन्स ट्रेडिंग के बारें में हमने यह जाना
यहाँ हमने जाना, की किस तरह से एस कुमार ने "Bank Nifty Options ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमाए। Rs. 50 हजार एक ही दिन में।" क्या उसका तरीका कारगर है। उसके जैसी ट्रेडिंग करने से बचने के लिए हम अपनी स्ट्रेटेजी को किस तरह से ढ़ाल सकतें है।
हमने समझा, की क्या सही है और क्या "गलत तो नहीं" पर क्या रिस्की हो सकता है। हमने इस उदाहरण के माध्यम से इंट्रा-डे ट्रेडिंग के कुछ "बेसिक रूल्स" भी जाने।
दोस्तों, उम्मीद तो यही है की आपको इससे कुछ नया सीखने को मिला होगा। कहीं-कहीं पर महसुस हुआ होगा, की हाँ ये तो मैं जानता हूँ। और यह भी महसुस हुआ होगा, की " हम भी इससे गुजरें है। " हम, आपके अनुभव जरूर जानना चाहेंगे। शुक्रिया।
कॉल ऑप्शन क्या है in Hindi –
कॉल ऑप्शन क्या है in Hindi,
Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो मतलब अगर शेयर का प्राइस ऊपर जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा –
for Example –
मान लीजिये Spot Price Hai 30000
Banknifty 21jan 31000 CE
अपने Banknifty का कॉल ऑप्शन लिया है 31000 का तो जैसी ही price 100 point ऊपर जायेगा तो आपको फ़ायदा मिलगा , लेकिन अगर ऐसा न हो कर प्राइस निचे चला जाता है तो आपको नुकसान झेलना पड़ेगा। लेकिन सिर्फ उतना ही जितना अपने प्रीमियम दिए होगा।
Put ऑप्शन क्या है in Hindi –
Put ऑप्शन क्या है in Hindi –
ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो।मतलब अगर शेयर का प्राइस निचे जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा।
आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।
For Example –
मान लीजिये Spot Price Hai 30000
Banknifty 21jan 29000 PE
अपने Banknifty का पुट ऑप्शन लिया है 29000 का तो जैसी ही price 100 point निचे जायेगा तो आपको फ़ायदा मिलगा , लेकिन अगर ऐसा न हो कर प्राइस ऊपर चला जाता है तो आपको नुकसान झेलना पड़ेगा। लेकिन सिर्फ उतना ही जितना अपने प्रीमियम दिए होगा।
Option Trading का Expiry day कब होता है?
Option Trading जाने क्या होता है Options Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह( Weekly ) और दूसरा होता है महीना ( monthly ) में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry Day होता हैं। और ( monthly ) महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार को expiry day होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।
ठीक सी तरीके से weekly days सिर्फ 5 दिन की होती हे Saturday , Sunday बंद होता है मार्किट।
दोस्तों अगर आप अभी नए हो मार्किट में , आपको ज्यादा knowledge नहीं हे शेयर मार्किट की तो ये ऑप्शन ट्रेडिंग आपके लिए जोखिम हो सकता है। इसलिए सबसे पहले knowledge ले और समझे मार्किट के बारे में तभी निवेश करे।
अगर आप beginner हे तो आप ऑप्शन ट्रेडिंग न करे।
5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग
इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.
फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.