शेयर व्यापारी

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
इक्विटी क्या है?:-
इक्विटी का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी या आपका हिस्सा, आपका शेयर या आपकी ownership अगर किसी कंपनी में आपने पैसा लगाया हुआ है और उस कंपनी के कुछ शेयर आपने खरीद रखे है तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है या ownership है यानी कि इक्विटी है। मतलब आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं। एक तरह से बोले तो किसी कंपनी में आपका मालिकाना हक ही Equity होती है। इसी मालिकाना हक को हम ownership बोलते हैं।

इक्विटी उस पैसे को कहते हैं जो आप किसी व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं। उस व्यापार में आपकी इक्विटी अलग-अलग प्रतिशत के रूप में हो सकती है। लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं|

शेयर इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान ट्रेडिंग से हुई इनकम पर कैसे टैक्‍स लगता है?

साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्‍स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्‍लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है.

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शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्‍लासिफाई करना होगा.

एकेएम ग्‍लोबल में पार्टनर अमित माहेश्‍वरी कहते हैं, चूंकि पार्थ की शेयर ट्रेडिंग से इनकम है. इसलिए उन्‍हें इनकम टैक्‍स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए आईटीआर-2 का इस्‍तेमाल करना होगा.

हालांकि, पार्थ अगर इंट्रा-डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो उसे स्‍पेकुलेटिव बिजनेस के तौर पर देखा जाएगा. उस स्थिति में उन्‍हें आईटीआर-3 में अपना रिटर्न फाइल करने की जरूरत होगी. इसके अलावा शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्‍लासिफाई करना होगा. शेयर से हुए गेंस को अगर एक साल तक रखा जाता है तो उसे एसटीसीजी में वर्गीकृत किया जाता है. वहीं, अगर इसे एक साल से ज्‍यादा समय के लिए रखा जाता है तो यह एलटीसीजी में क्‍लासिफाई होता है.

एसटीसीजी पर 15 फीसदी की दर से टैक्‍स लगता है. दूसरी ओर एलटीसीजी पर टैक्‍स की यह दर 10 फीसदी होती है. हालांकि, साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्‍स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्‍लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है.

आइए, अब शौर्य का सवाल लेते हैं.

शौर्य ने दिल्‍ली में चार साल पहले एक फ्लैट खरीदा था. इसके लिए उन्‍होंने एसबीआई से लोन लिया था. उन्‍होंने गुरुग्राम में एक और फ्लैट बुक कराया था. यह पजेशन के लिए तैयार है. वह इस फ्लैट को बेचना चाहते हैं. इसकी बिक्री से मिली रकम से वह होम लोन खत्‍म कर देना चाहते हैं. उन पर किस तरह टैक्‍स देनदारी बनेगी?

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर होम मिस्‍त्री कहते हैं कि अगर शौर्य पजेशन लेने से पहले घर को बेचते हैं तो फायदा उस स्थिति में लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन में आएगा अगर उन्‍होंने इस पर कम से कम तीन साल अधिकार रखा है. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्‍स लगेगा. साथ ही लागू सरचार्ज और सेस भी वसूला जाएगा. ऐसा नहीं होने पर इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर उनकी इनकम पर लागू स्‍लैब रेट से टैक्‍स लगेगा.

वहीं, शौर्य अगर घर का पजेशन लेने के तुरंत बाद इसे बेचते हैं तो इस बात की ज्‍यादा संभावना है कि इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाए. इस पर स्‍लैब रेट के अनुसार टैक्‍स लगेगा. शौर्य को कोई भी फैसला लेने से पहले इन पहलुओं को देख लेना चाहिए.

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Trading क्या है – Trading कितने प्रकार की होती है, ट्रेडिंग किसे इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान कहते है

बाज़ार में कम समय के अन्दर मुनाफा कमाने के लिए लोग ट्रेडिंग करते है और यह Trading कई प्रकार कि चीजों पर कि जाती है. मुख्य रूप से ट्रेडिंग में लोग सबसे ज्यादा शेयर पर ट्रेडिंग करते है और स्टॉक पर ट्रेडिंग करके एक ही दिन में लाखों और हजारों रूपये कमा लेते है.

अगर आप भी ट्रेडिंग कि मदद से हजारों और लाखों रूपये कमाना चाहते है तो उसके लिए आपको ट्रेडिंग को समझना होगा तो चलिए जानते है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai है.

Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

Trading Kya Hai और Trading Kitne इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान Prakar Ki Hoti Hai

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Trading Kya Hai

ट्रेडिंग क्या है: Trading में हम शेयर मार्केट से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते है. जहाँ हम शेयर को stock exchange से कम price पर buy कर लेते है और उस शेयर की price high होने पर उसे sell कर देते है. इस प्रक्रिया को हम ट्रेडिंग कहते है.

ट्रेडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वास्तु या सेवा को खरीद व बैच कर कम समय में लाभ कमाना होता है. यही कारण है कि Trading Share Market में सबसे ज्यादा कि जाती है और लोग हर रोज शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमा लेते है.

Trading Kya Hoti Hai

What Is Trading in Hindi: Trading का मतलब Buy और Sell करना होता है जहाँ हम किसी भी चीज को कम भाव में खरीद लेते है और उसके बाद जब उसका भाव बढ़ जाता है तो उसे बैच देते है.

इस प्रकार कम पैसे में खरीदी गई चीज़ को जब ज्यादा दम में बेचा जाता है तो हमे उस पर कुछ पैसों का मुनाफा होता है जिसे हम ट्रेडिंग कहते है.

तो अगर आप Share पर ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते है तो सबसे पहले आपको शेयर मार्केट ट्रेडिंग को समझना होगा चलिए जानते है शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है ?.

Share Market Trading Kya Hai

शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट ट्रेडिंग, शेयर पर होने वाली ट्रेडिंग को कहते है. जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब ट्रेडर कम दाम में शेयर को खरीद लेते है.

और दोपहर के 3:30 PM के पहले शेयर को बेच देते है . क्योंकि शेयर मार्केट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है. इस बीच ट्रेडर अपने ख़रीदे हुए शेयर पर अनुमानित मुनाफे को देख कर शेयर को बेच के मुनाफा कमा लेते है.

लेकिन शेयर मार्केट में ट्रेडिंग अलग-अलग प्रकार कि होती है और ट्रेडर अपनी सुविधा इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान और जोखिम के अनुसार ट्रेडिंग करते है.

Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं: Trading तीन प्रकार की होती है जिसे हम Intraday Trading, Scalping Trading, Swing Trading कहते है. शेयर मार्केट में लोग इन्ही तीनो ट्रेडिंग की मदद से शेयर बाज़ार में पैसा लगाते है और रोज हजारों रूपए कमाते है.

Types of Trading

  • Intraday Trading
  • Scalping Trading
  • Swing Trading

Intraday Trading Kya Hai

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले शेयर को खरीद कर बेचने को Intraday Trading कहते है.

इसमें ट्रेडर 9:15 AM से 3:30 PM के बीच शेयर को खरीदता और बेचता है. जिससे उसे एक ही दिन में शेयर पर ट्रेडिंग करने पर मुनाफा मिलता है और इसी तरह इंट्राडे ट्रेडिंग की जाती इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान है.

Intraday Trading के बारे में और भी अधिक जानने के लिए आप हमारी पोस्ट पड़ सकते है जिसमे इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.

Scalping Trading Kya Hai

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है: सकैलपिंग ट्रेडिंग भी शेयर मार्केट के खुलने से उसके बंद होने के बीच में कि जाती है. लेकिन Scalping Trading में पुरे दिन ट्रेडिंग नहीं कि जाती.

यह ट्रेडिंग ज्यादा से ज्यादा पैसों के साथ कुछ ही मिनट या घंटे के लिए कि जाती है. जैसे 9:15 AM पर शेयर को खरीद कर 10:05 AM पर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमा लेना.

Scalping Trading के बारे में और भी अच्छे से जानने के लिए आप हमारी टॉप क्लास स्काल्पिंग ट्रेडिंग की पोस्ट पढ़े उसमे आपको विस्तार से जानकरी मिलेगी.

Swing Trading Kya Hai

स्विंग ट्रेडिंग क्या है: Swing Trading बाकि दोनों सकैलपिंग, ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग से अलग है यह कुछ दिन और हफ़्तों के लिए की जाती है. लेकिन इसमें भी शेयर को खरीदना और बेचना का काम शेयर मार्केट के खुलने और बंद होने के बीच ही किया जाता है .

स्विंग ट्रेडर पहले शेयर मार्केट में कम दाम पर शेयर खरीद लेते है और फिर इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान उन्हें hold करके रख लेते है. उसके बाद जब कुछ दिन या हफ्ते में उनके शेयर कि price ज्यादा हो जाती है. तो उन्हें बेच कर मुनाफा कमा लेते है.

Swing Trading के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए आप हमारी स्विंग ट्रेडिंग पर लिखी पोस्ट को पड़े इसमें आपको विस्तार से जानकारी मिलेगी स्विंग ट्रेडिंग के बारे में.

Trading Kise Kahate Hain

Trading को समझना बहुत ही आसान है हम नीचे एक उदहारण की मदद से ट्रेडिंग को समझेंगे.

उदहारण: मान लेते है आप शेयर बाज़ार में शेयर मार्केट में से SBI का 1 share खरीदना चाहते है. मार्केट के 9:15 AM पर खुलते ही शेयर की कीमत 99 रूपए रहती है और दिन में 1 PM तक शेयर की price 100 रूपए हो जाती है.

अब ऐसे में अगर आप शेयर को सुबह खरीद लेते तो 99 रूपए का आपको 1 शेयर मिलता जिसे आप 100 रूपए में बैच सकते थे. अगर आप ऐसा करते तो आपको 1 रूपए का मुनाफा होता जिसे हम profit कहते है और इस पूरी प्रोसेस को हम ट्रेडिंग कहते है.

Trading Account Kya Hai

Trading account वह account होता है जिसकी मदद से आप शेयर मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग करते है और शेयर को ख़रीदे और बेचने का काम करते है.

बिना ट्रेडिंग account के आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं कर सकते न ही आप किसी शेयर पर buy का order लगा सकते और न ही sell का.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए सबको अपना एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है जो की वह अपने demat account broker से भी खुलवा सकते है.

ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में और आधिक जानने के लिए आप हमारी ट्रेडिंग अकाउंट की पोस्ट पढ़े जिसमे हम ने ट्रेडिंग अकाउंट क्या है और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोले इसके बारे में पूरी जानकारी दी है.

Trading Ke – FAQs

Trading का मतलब हिंदी में “व्यापार” होता है. आसान भाषा में कहे तो Trading Meaning in Hindi = खरीदने और बेचने का व्यापार .

Trading का मतलब (Buy & Sell) होता है जिसे हम खरीदना और बेचना भी कहते है.

अब आप जान गए है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai . इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करे.

अगर आपके मन में कोई सवाल है ट्रेडिंग क्या होती है से लेकर तो आप नीचे अपना सवाल पोस्ट करे हम आपके सभी सवालों के जबाब देंगे.

शेयर ट्रेडिंग से हुई इनकम पर कैसे टैक्‍स लगता है?

साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्‍स नहीं पड़ता इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्‍लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है.

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शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्‍लासिफाई करना होगा.

एकेएम ग्‍लोबल में पार्टनर अमित माहेश्‍वरी कहते हैं, चूंकि पार्थ की शेयर ट्रेडिंग से इनकम है. इसलिए उन्‍हें इनकम टैक्‍स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए आईटीआर-2 का इस्‍तेमाल करना होगा.

हालांकि, पार्थ अगर इंट्रा-डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो उसे स्‍पेकुलेटिव बिजनेस के तौर पर देखा जाएगा. उस स्थिति में उन्‍हें आईटीआर-3 में अपना रिटर्न फाइल करने की जरूरत होगी. इसके अलावा शेयर ट्रेडिंग से हुए फायदे या नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) या लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर क्‍लासिफाई करना होगा. शेयर से हुए गेंस को अगर एक साल तक रखा जाता है तो उसे एसटीसीजी में वर्गीकृत किया जाता है. वहीं, अगर इसे एक साल से ज्‍यादा समय के लिए रखा जाता है तो यह एलटीसीजी में क्‍लासिफाई होता है.

एसटीसीजी पर 15 फीसदी की दर से टैक्‍स लगता है. दूसरी ओर एलटीसीजी पर टैक्‍स की यह दर 10 फीसदी होती है. हालांकि, साल में एक लाख रुपये तक के एलटीसीजी पर कोई टैक्‍स नहीं पड़ता है. इसके अलावा 31 जनवरी 2018 से पहले तक खरीदे गए शेयरों पर एलटीसीजी ग्रैंडफादरिंग क्‍लॉज के तहत आता है. यानी इस तारीख तक शेयरों से हुआ मुनाफा भी टैक्‍स के दायरे में नहीं आता है.

आइए, अब शौर्य का सवाल लेते हैं.

शौर्य ने दिल्‍ली में चार साल पहले एक फ्लैट खरीदा था. इसके लिए उन्‍होंने एसबीआई से लोन लिया था. उन्‍होंने गुरुग्राम में एक और फ्लैट बुक कराया था. यह पजेशन के लिए तैयार है. वह इस फ्लैट को बेचना चाहते हैं. इसकी बिक्री से मिली रकम से वह होम लोन खत्‍म कर देना चाहते हैं. उन पर किस तरह टैक्‍स देनदारी बनेगी?

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर होम मिस्‍त्री कहते हैं कि अगर शौर्य पजेशन लेने से पहले घर को बेचते हैं तो फायदा उस स्थिति में लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन में आएगा अगर उन्‍होंने इस पर कम से कम तीन साल अधिकार रखा है. इस पर 20 फीसदी की दर से टैक्‍स लगेगा. साथ ही लागू सरचार्ज और सेस भी वसूला जाएगा. ऐसा नहीं होने पर इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के तौर पर उनकी इनकम पर लागू स्‍लैब रेट से टैक्‍स लगेगा.

वहीं, शौर्य अगर घर का पजेशन लेने के तुरंत बाद इसे बेचते हैं तो इस बात की ज्‍यादा संभावना है कि इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाए. इस पर स्‍लैब रेट के अनुसार टैक्‍स लगेगा. शौर्य को कोई भी फैसला लेने से पहले इन पहलुओं को देख लेना चाहिए.

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इक्विटी क्या है? इक्विटी शेयरों के फायदे नुकसान

इक्विटी क्या है?

इक्विटी क्या है?:-
इक्विटी का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी या आपका हिस्सा, आपका शेयर या आपकी ownership अगर किसी कंपनी में आपने पैसा लगाया हुआ है और उस कंपनी के कुछ शेयर आपने खरीद रखे है तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है या ownership है यानी कि इक्विटी है। मतलब आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं। एक तरह से बोले तो किसी कंपनी में आपका मालिकाना हक ही Equity होती है। इसी मालिकाना हक को हम ownership बोलते हैं।

इक्विटी उस पैसे को कहते हैं जो आप किसी व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं। उस व्यापार में आपकी इक्विटी अलग-अलग प्रतिशत के रूप में हो सकती है। लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं|

इक्विटी और डेट में क्या अंतर होता है?:-
एक बिज़नेस को शुरू करने के लिए दो तरीके का पैसा होता एक इक्विटी और दूसरा डेब्ट, लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है.
जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेब्ट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं, और लायबिलिटी अपनी नहीं होती हैं.

Assets = Equity + Liability (Debt)

इक्विटी ट्रेडिंग क्या है :-
जब ट्रेडर्स किसी भी कंपनी के सामान्य शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो इसे ही इक्विटी ट्रेडिंग कहते हैं. इक्विटी ट्रेडिंग निम्न प्रकार से की जा सकती है –

1 – इक्विटी डिलीवरी (Equity Delivery)
जब निवेशक इक्विटी डिलीवरी में ट्रेडिंग करते हैं तो इसका मतलब होता है कि निवेशक किसी एक ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक को खरीदते हैं और दुसरे ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक को बेच देते हैं. जैसे आज आपने किसी कंपनी के शेयर ख़रीदे और कल, परसों, 1 हफ्ते बाद, 1 महीने बाद या 1 साल बाद आप कम्पनी के शेयर बेच देते हैं तो यह डिलीवरी इक्विटी कहलाती है. दो अलग – अलग सेशन में इक्विटी ट्रेडिंग करने को इक्विटी डिलीवरी कहते हैं.

2 – इक्विटी इंट्राडे (Equity Intraday)
जब निवेशक एक ही ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक खरीदते और बेचते है तो इसे इक्विटी इंट्राडे कहा जाता है. इक्विटी इंट्राडे में निवेशक कुछ घंटों, मिनटों या सेकंड में भी शेयर को खरीदकर बेच सकता है.
अगर आप इक्विटी इंट्राडे में निवेश करते हैं तो आपको एक ही दिन में अपने सभी ट्रेड को पूरा करना होता है. एक दिन में अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए इस प्रकार की ट्रेडिंग की जाती है.

इक्विटी मार्केट क्या होता है?:-
शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट को ही हम ‘इक्विटी मार्केट‘ भी कहते हैं.जब कोई कंपनी निवेशकों के लिए अपने शेयर्स जारी करती है तो उन शेयर्स को ही हम इक्विटी बोलते हैं. वैसे इक्विटी का मतलब ज्यादा कुछ नहीं बस शेयर्स ही होता है. तो जब आप शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो यह कहा जाता है कि आपने किसी कंपनी में इक्विटी ली है। तो हम कह सकते हैं कि जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं वह निवेशकों के लिए इक्विटी जारी करती हैं ताकि निवेशक या ट्रेडर्स उनकी इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान कंपनी में हिस्सेदार बन सके। इससे कंपनी के पास इक्विटी देने के बदले ज्यादा से ज्यादा पैसा आएगा और कंपनी अपने नेट प्रॉफिट को बढ़ा पाएगी।

Equity दो चीज़ो से बनती है :-
1) Share Capital
2) Reserves and Surplus

1) Share Capital (शेयर कैपिटल) :-
Share Capital वह पैसा है, जो कंपनी के शेयर उसकी Face Value पर बेचकर जुटाए जाते है।जब भी कंपनी बनाई गई होती है, तब कंपनी के एक शेयर की कीमत जो तय होती है, उसे Face Value कहते है।इसके ऊपर की शेयर की कीमत को प्रीमियम कहा जाता है।

2) Reserves and Surplus :-
Reserve इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान and Surplus वह पैसा है, जो कंपनी मुनाफा कमाकर इकठ्ठा करती है।जैसे अगर कंपनी ने सभी खर्च निकाल के इस साल 10 करोड़ रुपए कमाए तो इस पैसे को कंपनी के Reserves and Surplus में रखा जाता है।जिस से कंपनी खुद अपने व्यापार में निवेश करके कंपनी को आगे बढ़ा सके।कई बार इस पैसे में से कुछ पैसो का उपयोग कंपनी अपने शेयर धारक को Dividend देने में भी करती है।

इक्विटी शेयरों के फायदे :-
1.इक्विटी शेयर लाभांश की एक निश्चित दर का भुगतान करने के लिए कोई दायित्व नहीं बनाते हैं। आप अपने मर्जी के हिसाब से ज्यादा या कम शेयर खरीद सकते हैं।
2.कंपनी की संपत्ति पर कोई शुल्क बनाए बिना इक्विटी शेयर जारी किए जा सकते हैं।
3.यह पूंजी का एक स्थायी स्रोत है तथा कंपनी को परिसमापन के अलावा इसे चुकाना पड़ता है।
4.इक्विटी शेयरधारक कंपनी के असली मालिक हैं जिनके पास मतदान अधिकार है।

इक्विटी शेयरों के नुकसान :-
1.यदि एक बार कंपनी ने इक्विटी शेयर जारी कर दिया तो, कंपनी इक्विटी पर ट्रेडिंग का लाभ नहीं ले सकती है।
2.चूंकि इक्विटी कैपिटल को भुनाया नहीं जा सकता है, इसलिए कैपिटलाइजेशन का खतरा है।
3.इक्विटी शेयरहोल्डर खुद को जोड़-तोड़ तथा व्यवस्थित करके प्रबंधन के लिए बाधाएं डाल सकते हैं।
4.समृद्ध अवधि के दौरान बाजार में शेयरों के मूल्य में वृद्धि के लिए उच्च लाभांश का भुगतान करना पड़ता है तथा यह अटकलों की ओर जाता है।
5.निश्चित आय के साथ सुरक्षित प्रतिभूतियों में निवेश करने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को ऐसे शेयरों के लिए कोई आकर्षण नहीं है।

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