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ग्रोथ या डिविडेंड?

ग्रोथ या डिविडेंड?
जबकि आप डिविडेंड ऑप्शन के मामले में अतिरिक्त टैक्स भार को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, एक ऑप्शन के मुकाबले दूसरे ऑप्शन को चुनने का फैसला प्राथमिक रूप से आपके वित्तीय लक्ष्यों/आवश्यकताओं से प्रेरित होना चाहिए।

Dividend Yield- डिविडेंड यील्ड

क्या है डिविडेंड यील्ड?
डिविडेंड यील्ड (Dividend Yield), जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, एक वित्तीय अनुपात है जो प्रदर्शित करता है कि कंपनी प्रति वर्ष अपनी स्टॉक कीमत के अनुपात में लाभांश में कितना भुगतान करती है। प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित डिविडेंड यील्ड धन की वह मात्रा है जो कोई कंपनी अपने शेयरधारक को उसके वर्तमान शेयर मूल्य द्वारा विभाजित शेयर के हिस्से के लिए भुगतान करती है। परिपक्व कंपनियों द्वारा लाभांश दिए जाने के आसार अधिक होते हैं। यूटिलिटी और कंज्यूमर स्टैपल उद्योगों से जुड़ी कंपनियां के अक्सर अधिक डिविडेंड यील्ड होते हैं। निवेशकों के लिए ग्रोथ या डिविडेंड? इसे ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि उच्चतर डिविडेंड यील्ड हमेशा आकर्षक निवेश अवसरों का संकेत नहीं देते क्योंकि किसी स्टॉक का डिविडेंड यील्ड गिरते स्टॉक मूल्य के परिणामस्वरूप बढ़ सकता है।

ग्रोथ और डिविडेंड ऑप्शन्स के बीच क्या अंतर है?

कुछ निवेशक म्यूचुअल फंड्स में इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि वे लंबी अवधि में पैसे बनाना चाहते हैं। वे अपने करियर की शुरुआत में ही निवेश करना शुरू कर देते हैं। फिर ऐसे निवेशक होते हैं जो रिटायरमेंट (सेवानिवृत्ति) के करीब होते हैं या जिनके पास निवेश करने के लिए रिटायरमेंट की रकम होती है जो सेवानिवृत्ति के दौरान उनकी आय के स्रोतों की पूरक हो सकती है। इन दोनों विपरीत निवेश-संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के ग्रोथ या डिविडेंड? लिए म्यूचुअल फंड्स दो विकल्प पेश करते हैं।

ग्रोथ ऑप्शन भावी विकास और फंड वैल्यू को बढ़ाने के लिए फंड में होने वाले मुनाफ़े को उसकी अंतर्निहित सिक्योरिटीज़ में पुनः निवेश करता है। ग्रोथ प्लान की NAV ज़्यादा होती है क्योंकि सिक्योरिटीज़ से होने वाले मुनाफ़े को वापस स्कीम में निवेश कर दिया जाता है और चक्रवृद्धि ब्याज अपना कमाल दिखाता है।

म्यूचुअल फंड की ग्रोथ और डिविडेंड स्कीम में कौन बेहतर ?

म्यूचुअल फंड की ग्रोथ और डिविडेंड स्कीम में कौन बेहतर ?

ग्रोथ का विकल्प वैसे निवेशकों के लिए सही है, जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं. इसकी वजह यह है कि रिटर्न पर कैपिटल गेंस नहीं देना पड़ता. दूसरा, लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ जाता है. क्योंकि सिक्योरिटी खासकर शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है. लंबी अवधि में रिटर्न पर इस उतार-चढ़ाव का असर कम देखने को मिलता है. ग्रोथ के विकल्प में निवेशक को कंपाउंडिंग का भी फायदा मिलता है. इसलिए यह विकल्प उन निवेशकों के लिए सही है, जिन्हें अपने निवेश पर नियमित आय नहीं चाहिए.

चूंकि इस स्कीम में डिविडेंड का भुगतान नहीं किया जाता, जिससे स्कीम का एनएवी डिविडेंड ऑप्शन के मुकाबले काफी ज्यादा होता है. आर्क प्राइमरी एडवाइजर्स के डायरेक्टर हेमंत बेनिवाल कहते हैं कि जो निवेशक पैसे पर ज्यादा रिटर्न चाहते हैं उन्हें ग्रोथ ऑप्शन का चुनाव करना चाहिए.

डिविडेंड से ग्रोथ फंड में स्विच करते समय निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

What should investors consider while switching from Dividend to Growth option?

कल्पना कीजिए कि आपने फ्लाई इंडिया एयरलाइंस की बंगलुरु से चेन्नई की सुबह 8 बजे की फ्लाइट बुक की है। आपको एहसास होता है आपने गलत फ्लाइट बुक की है और आपको फिर से बुक करना होगा। आपको क्या लगता है कि फ्लाई इंडिया किस तरह के चार्ज लगाएगा? आपको अपना मन बदलने की पेनल्टी चुकानी होगी फिर चाहे वही एयरलाइन हो, यात्रा की वही तारीख हो, उसी जगह जाना हो और वही यात्री हो!

म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में भी ऐसा ही है, अपने निवेश को उसी स्कीम में एक विकल्प से दूसरे विकल्प में स्विच करना एक तरह से बिक्री (रीडेंप्शन) है इसलिए, इस स्विच पर एक्जिट लोड के साथ ही कैपिटल गेन टैक्स लगेगा जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने समय तक निवेश किया है।

डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्शन में Mutual Fund इन्वेस्टर्स को क्या चुनना चाहिए? जाने बाते

ग्रोथ ऑप्शन के तहत आपके NAV की वैल्यु बढ़ती है. यही ग्रोथ इन्वेस्टर्स के लिए फायदा है. वहीं डिविडेंड ऑप्शन के तहत निवेशक को समय-समय पर डिविडेंड का लाभ मिलता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप म्यूचुअल फंड के निवेशक हैं तो डिविडेंड ऑप्शन, ग्रोथ ग्रोथ या डिविडेंड? ऑप्शन और डिविडेंड री-इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जरूर सुना होगा. अगर अभी तक इसके बारे में नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि तीनों ऑप्शन क्या होते हैं और इसके क्या फायदे हैं. सही जानकारी होने पर आप अपने लिए बेहतर विकल्प का चुनाव कर पाएंगे. इससे आपका रिटर्न बेहतर होगा.

मूल रूप से तीनों ऑप्शन रिटर्न देने का एक तरीका है. सबसे पहले जानते हैं कि ग्रोथ ऑप्शन क्या होता है. मान लीजिए कि A ने 10 रुपए के NAV प्राइस पर 1000 यूनिट पर्चेज किया है. इस तरह उसका कुल इन्वेस्टमेंट 10 हजार रुपए हो गया. मान लीजिए कि 5 साल बाद उस NAV की वैल्यु 10 रुपए से बढ़कर 40 रुपए हो गई. ऐसे में प्रति NAV फायदा 30 रुपए हुआ और 1000 यूनिट पर टोटल फायदा 30000 रुपए हुआ. इस हिसाब ग्रोथ या डिविडेंड? से A के 10 हजार के इन्वेस्टमेंट पर नेट फायदा पांच सालों में 30 हजार रुपए रहा.

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