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अग्रणी संकेतक

अग्रणी संकेतक
अनुसंधान प्रयोगशाला की एक प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटोः Mygov.in)

गत तीन वर्षों में दोगुना हुए भारतीय वैज्ञानिक पेटेंट

अनुसंधान प्रयोगशाला अग्रणी संकेतक की एक प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटोः Mygov.in)

नई दिल्ली, 04 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीन विभाग - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) वैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तीनों विभागों ने अपने द्वारा समर्थित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, शोध प्रकाशनों, प्रौद्योगिकी विकास; और देश के समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित किया है। इसका अंदाजा भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट से लगाया जा सकता है।

गत तीन वर्षों में भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को पहले से दोगुने पेटेंट प्रदान किए गए हैं। वर्ष 2018-19 में भारतीय वैज्ञानिकों को 2511 पेटेंट प्रदान किए गए थे, जिनकी संख्या वर्ष 2019-20 में बढ़कर 4003, और वर्ष 2020-21 में 5629 हो गई। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राज्यसभा में यह जानकारी प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि बढ़ती पेटेंट संख्या को वैज्ञानिक शोध एवं नवाचार का एक संकेतक माना जा सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देशों के साथ तकनीकी अंतर को पाटने के लिए भारत के लिए पेटेंट महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय मंत्री ने संसद को बताया कि भारत की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) रैंकिंग में भी पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुधार हुआ है। जीआईआई इंडेक्स-2021 के अनुसार, भारत की जीआईआई रैंकिंग, जो वर्ष 2014 में 81वें पायदान पर थी, वह अब सुधरकर 46वें स्थान पर पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के अनुसंधान प्रदर्शन में भी हाल के वर्षों में काफी सुधार हुआ है। एनएसएफ - विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक-2022 रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 के 7वें स्थान से सुधरकर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में भारत का स्कॉलर आउटपुट बढ़कर 1,49,213 शोधपत्रों तक पहुँच गया, जो 2010 में सिर्फ 60,555 शोधपत्रों के प्रकाशन तक सिमटा हुआ था।

भविष्य में शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन दिये जाने से संबंधित केंद्र सरकार के प्रयासों के बारे में संसद में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि सरकार देश में शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में किए गए प्रमुख प्रयासों में वैज्ञानिक विभागों के लिए योजना आवंटन में क्रमिक वृद्धि, और अकादमिक तथा राष्ट्रीय संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उभरते व अग्रणी क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है। डॉ सिंह ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्यिगिकी के क्षेत्र में मानव और संस्थागत क्षमता निर्माण, मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं/कार्यक्रम लागू किए गए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्यक्रमों एवं योजनाओं में फंड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर (FIST), परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (SAIF), इंस्पायर (INSPIRE) फेलोशिप, विज्ञान में महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम, इंस्पायर अवार्ड मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज), विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च (VAJRA), शोध छात्रों को विदेश में अग्रणी संकेतक सेमिनारों /संगोष्ठियों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता, नेशनल पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप योजना, डीएसटी की प्रधानमंत्री की रिसर्च फेलोशिप, और छात्रों एवं वैज्ञानिक को जोड़ने के लिए सीएसआईआर-जिज्ञासा कार्यक्रम मुख्य रूप से शामिल है। सरकार जैव प्रौद्योगिकी विभाग-विश्व विज्ञान अकादमी (डीबीटी-टीडब्ल्यूएएस) अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप और एक्स्ट्रा-म्यूरल रिसर्च फंडिंग के माध्यम से वैज्ञानिकों को अनुदान, सार्वजनिक-निजी शोध एवं विकास भागीदारी को प्रोत्साहन, अनुसंधान एवं विकास इकाइयों को मान्यता एवं वित्तीय प्रोत्साहन, और अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन के माध्यम से शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित प्रयासों को बढ़ावा दे रही है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2021-22 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीनों अग्रणी संकेतक विभागों को लगभग 13,499 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से करीब 11,502 करोड़ रुपये की निधि इन विभागों द्वारा प्रयुक्त की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में डीएसटी को 5,240 करोड़ रुपये, सीएसआईआर सहित डिएसआईआर को करीब 5,298 करोड़ रुपये; और डीबीटी को 2,961 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। (इंडिया साइंस वायर)

Innovations, Science, Technology, R&D, Research, FIST, SAIF, INSPIRE, VAJRA, DBT-TWAS, Research Papers, GII Index, Ministry of Science & Technology, DST, DBT, CSIR, DSIR

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वि ज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीन विभाग - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) वैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तीनों विभागों ने अपने द्वारा समर्थित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, शोध प्रकाशनों, प्रौद्योगिकी विकास; और देश के समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित किया है। इसका अंदाजा भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट से लगाया जा सकता है।

गत तीन वर्षों में भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को पहले से दोगुने पेटेंट प्रदान किए गए हैं। वर्ष 2018-19 में भारतीय वैज्ञानिकों को 2511 पेटेंट प्रदान किए गए थे, जिनकी संख्या वर्ष 2019-20 में बढ़कर 4003, और वर्ष 2020-21 में 5629 हो गई। केंद्रीय राज्य अग्रणी संकेतक मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राज्यसभा में यह जानकारी प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि बढ़ती पेटेंट संख्या को वैज्ञानिक शोध एवं नवाचार का एक संकेतक माना जा सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देशों के साथ तकनीकी अंतर को पाटने के लिए भारत के लिए पेटेंट महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय मंत्री ने संसद को बताया कि भारत की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) रैंकिंग में भी पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुधार हुआ है। जीआईआई इंडेक्स-2021 के अनुसार, भारत की जीआईआई रैंकिंग, जो वर्ष 2014 में 81वें पायदान पर थी, वह अब सुधरकर 46वें स्थान पर पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के अनुसंधान प्रदर्शन में भी हाल के वर्षों में काफी सुधार हुआ है। एनएसएफ - विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक-2022 रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 के 7वें स्थान से सुधरकर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में भारत का स्कॉलर आउटपुट बढ़कर 1,49,213 शोधपत्रों तक पहुँच गया, जो 2010 में सिर्फ 60,555 शोधपत्रों के प्रकाशन तक सिमटा हुआ था।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीन विभाग - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) वैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तीनों विभागों ने अपने द्वारा समर्थित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, शोध प्रकाशनों, प्रौद्योगिकी विकास; और देश के समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित किया है। इसका अंदाजा भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट से लगाया जा सकता है।

भविष्य में शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन दिये जाने से संबंधित केंद्र सरकार के प्रयासों के बारे में संसद में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि सरकार देश में शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस दिशा में किए गए प्रमुख प्रयासों में वैज्ञानिक विभागों के लिए योजना आवंटन में क्रमिक वृद्धि, और अकादमिक तथा राष्ट्रीय संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उभरते व अग्रणी क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है। डॉ सिंह ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्यिगिकी के क्षेत्र में मानव और संस्थागत क्षमता निर्माण, मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं/कार्यक्रम लागू किए गए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कार्यक्रमों अग्रणी संकेतक एवं योजनाओं में फंड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर (FIST), परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाएं (SAIF), इंस्पायर (INSPIRE) फेलोशिप, विज्ञान में अग्रणी संकेतक महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम, इंस्पायर अवार्ड मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज), विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च (VAJRA), शोध छात्रों को विदेश में सेमिनारों /संगोष्ठियों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता, नेशनल पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप योजना, डीएसटी की प्रधानमंत्री की रिसर्च फेलोशिप, और छात्रों एवं वैज्ञानिक को जोड़ने के लिए सीएसआईआर-जिज्ञासा कार्यक्रम मुख्य रूप से शामिल है। सरकार जैव प्रौद्योगिकी विभाग-विश्व विज्ञान अकादमी (डीबीटी-टीडब्ल्यूएएस) अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप और एक्स्ट्रा-म्यूरल रिसर्च फंडिंग के माध्यम से वैज्ञानिकों को अनुदान, सार्वजनिक-निजी शोध एवं विकास भागीदारी को प्रोत्साहन, अनुसंधान एवं विकास इकाइयों को मान्यता एवं वित्तीय प्रोत्साहन, और अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समर्थन के माध्यम से शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित प्रयासों को बढ़ावा दे रही है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2021-22 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीनों विभागों को लगभग 13,499 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से करीब 11,502 करोड़ रुपये की निधि इन विभागों द्वारा प्रयुक्त की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में डीएसटी को 5,240 करोड़ रुपये, सीएसआईआर सहित डिएसआईआर को करीब 5,298 करोड़ रुपये; और डीबीटी को 2,961 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

Industrial Investment: छत्तीसगढ़ में सुधरा औद्योगिक निवेश का माहौल, देश के अग्रणी 20 राज्यों में हुआ शामिल

Industrial Investment: छत्तीसगढ़ में सुधरा औद्योगिक निवेश का माहौल, देश के अग्रणी 20 राज्यों में हुआ शामिल

रायपुर, राज्य ब्यूरो। Industrial Investment: छत्तीसगढ़ इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों के क्रियांवयन में देश के पहले 20 राज्यों में शामिल हो गया है, जहां इन सुधारों की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। इस सूची में शामिल हुए राज्यों को जीएसडीपी के 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने के लिए पात्रता श्रेणी मिल गई है। इस लिहाज से राज्य को अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में 895 करोड़ रुपये ऋण लेने की अनुमति दी गई है।

यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में उद्योग हितैषी फैसलों और निर्णयों की वजह से संभव हुआ है। उद्योग विभाग के अफसरों ने बताया कि केंद्र सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने वाले विभाग की अनुशंसा के अनुसार वित्त मंत्रालय ने इन 20 राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में 39 हजार 521 करोड़ रुपये खुले बाजार से ऋण लेने की अनुमति दी है।

सुधार लागू करने वाला छत्तीसगढ़ नया राज्य

इन सुधारों को क्रियांवित करने वाले पांच नए राज्यों में छत्तीसगढ़ सहित अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मेघालय और त्रिपुरा शामिल है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस इनवेस्टमेंट फ्रेंडली वातावरण के प्रमुख संकेतकों में शामिल है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में भविष्य में तेजी आएगी, इसलिए अग्रणी संकेतक भारत सरकार ने मई 2020 में यह निर्णय लिया था कि जिन राज्यों में इज आफ डूइंग बिजनेस सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया जाएगा, उन्हें अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में अनुमति दी जाएगी।

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क्या है इज ऑफ डूइंग बिजनेस

औद्योगिक निवेश और माहौल का एक इंडेक्स है। इसके तीन चरण तय किए गए हैं। पहले चरण में जिला स्तर पर सुधारों के लिए एक्शन प्लान को पूर्ण करना, दूसरे चरण में विभिन्न अधिनियमों के तहत उद्यागों को पंजीयन सर्टिफिकेट, अनुमोदन, लाइसेंस की प्रक्रिया को समाप्त करना।

इसी प्रकार तीसरे चरण में कम्प्यूटरीकृत केंद्रीय निरीक्षण की व्यवस्था, उद्यागों के निरीक्षण के लिए एक ही निरीक्षक को पुन: अगले वर्ष उसी इकाई का निरीक्षण की जिम्मेदारी नहीं देना, औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण के लिए उद्योगपतियों को पूर्व में नोटिस जारी करना और निरीक्षण के 48 घंटे के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड करना शामिल है।

केन्द्रीय विद्यालय लोनावला शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एवं स्वायत्त निकाय सीबीएसई संबद्धता संख्या : 1100011 सीबीएसई स्कूल संख्या :

G20

उपायुक्त सन्देश

Message from Desk

उपायुक्त कार्यालय से अभिवादन!

अपार खुशी और बड़े गर्व के साथ मैंने आज उपायुक्त अग्रणी संकेतक कार्यालय ग्रहण किया है और आपके साथ काम करना एक बहुत खुशी और सीखने का अनुभव होगा।
आप सभी अपनी टीमों को अपनी क्षमताओं के सर्वश्रेष्ठ के लिए अग्रणी करते रहे हैं,फिर भी,चुनौतियां कई हैं। आज वैश्विक परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती क्वालिटी अग्रणी संकेतक की है। इसलिए,एक शैक्षिक नेता की मुख्य जिम्मेदारी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है

स्कूली शिक्षा के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता आयाम हैं: -

  • स्कूल में बुनियादी सुविधा सुविधाएं
  • स्कूल और कक्षा का वातावरण
  • कक्षा अभ्यास और प्रक्रियाएँ

इन आयामों को ध्यान में रखते हुए,मैं उम्मीद करूंगा कि आप एक स्कूल लीडर के रूप में निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करेंगे:-

  • संस्थान में जीवंत माहौल का पोषण अग्रणी संकेतक करना।
  • संस्थान में सभी भागीदारों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना। छात्र, माता-पिता, शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी, संस्थान में रुचि रखने वाले व्यक्ति और संगठन।
  • जागरूकता पैदा करना कि स्कूल एक समग्र सीखने का अनुभव है।

उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए,कुछ क्षेत्रों,जहाँ आपका व्यक्तिगत ध्यान मांगा गया है: -

ढांचागत:-

  • मूलभूत सुविधाएं प्रदान करना
  • पीने योग्य पानी
  • स्वच्छ और स्वच्छ शौचालय
  • अग्नि-सुरक्षा उपकरण
  • बैरियर फ्री एक्सेस
  • खेल के मैदान

शिक्षाविदों: -

  • विज्ञान शिक्षा का प्रचार
  • भाषा विकास कार्यक्रम
  • सही बयाना में कार्यान्वयन के लिए EQUIP और CMP की निगरानी
  • संसाधन अग्रणी संकेतक उपलब्ध कराना - अर्थात एनसीईआरटी प्रकाशन,आईटी सक्षम कक्षाएं,लंबी गतिविधियों के लिए कक्षा वक्ता आदि।
  • शिक्षकों को निर्धारित संकेतकों के अनुसार सीखने के संकेतकों के बारे में पता होना चाहिएएनसीईआरटी(केवीएस,आरओ मुंबई की वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक)
  • अग्रणी और नवाचार को प्रोत्साहित करना
  • लाइब्रेरी का प्रभावी और सार्थक कामकाज
  • प्रभावी परामर्श (एईपी और ऐसी ही अन्य गतिविधियों के माध्यम से)

शासन प्रबंध:-

  • पर्यवेक्षण और निगरानी में गुणवत्ता
  • सूचना और डेटा का प्रबंधन
  • शिक्षक विकास कार्यक्रम
  • पूर्व छात्रों की प्रभावी भागीदारी

जैसा कि स्पष्ट है, सूची अनन्य है और संपूर्ण नहीं है।

आपके पूरे उत्साह और सहयोग के साथ,मुझे यकीन है कि आप उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलन करके लक्ष्य प्राप्त करेंगे।

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