प्रीमियम ब्रोकर्स

प्रीमियम तत्काल कोटे के तहत होने वाली बुकिंग की खासियत यही है कि डायनेमिक फेयर स्कीम में सीटों का किराया उसकी उपलब्धता के अनुसार तय होता है। रेलवे ने ज्यादा भीड़ भाड़ वाली ट्रेनों में ही यह कोटा लागू किया है। ऐसे में तत्काल प्रीमियम कोटे में होने वाली टिकट बुकिंग में किराया तत्काल कोटे के किराए से दो गुने से भी ज्यादा हो सकता है। अगर बतौर उदाहरण इसे समझाया जाए तो यदि तीन पैसेंजर्स को 9 मई को कानपुर से दिल्ली श्रमशक्ति एक्सप्रेस से जाना है। वह तत्काल प्रीमियम कोटे के तहत टिकट बुक कराते हैं तो जरूरी नहीं कि इन तीनों का किराया एक ही हो। एक टिकट बनने पर भी तीनों के किराए में अंतर हो सकता है, लेकिन अगर आप दलाल से प्रीमियम तत्काल कोटे में टिकट बुक कराते हैं, जिसका उसे अधिकार भी नहीं है। फिर भी वो पर्सनल आईडी बनाकर प्रीमियम कोटे की टिकट बुक करता है और इन तीन टिकटों के किराए के फर्क में ही खेल करता है।
प्रीमियम ब्रोकर्स
क्लियरिंग चार्ज आप अपने ब्रोकर को पे(pay) प्रीमियम ब्रोकर्स करते है, क्योकि ब्रोकर क्लीयरिंग एजेंसी को नियुक्त करके आपके ट्रेड सेटल करता है, और उनको कुछ चार्जेस देता है। क्लियरिंग प्रोसेस एक बैक ऑफिस का प्रोसेस होता है, जिसमे ब्रोकर के शेयर बेचने पर पैसे मिलने का सेटलमेंट और शेयर खरीने पर उन शेयर्स की डिलीवरी को एक्सचेंज के क्लीयरिंग मेकेनिस्म के द्वारा सेटल किया जाता है।
क्लियरिंग प्रोसेस में ध्यान रखा जाता है कि ट्रेड्स का सेटलमेंट ब्रोकिंग हाउस और एक्सचेंज के साथ आसानी से हो जाये।
हर ब्रोकर को यह चुनना होता है कि वो अपने ट्रेड्स खुद क्लियर करे या फिर किसी प्रोफेशनल क्लियरिंग मेंबर (PCM) से इस काम को करवाये। इक्विटी डिलीवरी ट्रेड के लिए कोई क्लियरिंग चार्जेस नहीं लगते है क्योंकि हर ब्रोकर को खुद अपने डिलीवरी ट्रेड्स क्लियर करने होते है।
Zerodha में क्लीयरिंग चार्जेस जीरो है:
ये है दलालों का 'प्रीमियम' फर्जीवाड़ा
KANPUR: दलालों पर लगाम लगाने और पैसेंजर को कंफर्म सीट दिलाने के लिए रेलवे ने प्रीमियम तत्काल कोटा शुरू किया। बड़ी बात ये है कि यह कोटा सिर्फ नार्मल पैसेंजर के लिए है, जो इसे अपनी पर्सनल आईडी से ही बुक करा सकता है, लेकिन दलालों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। खास बात यह है कि दलाल रेलवे की डायनेमिक फेयर स्कीम के तहत किराया फिक्स न होने का फायदा भी उठा रहे हैं और पैसेंजर्स की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
प्रीमियम तत्काल कोटे में दलालों की सेंधमारी
दलालों ने प्रीमियम तत्काल कोटे में सेंधमारी किसी शातिर तरीके से नहीं बल्कि बेहद आसान तरीके से की है। उन्हें मालूम है कि एजेंट आईडी से तत्काल प्रीमियम टिकट की बुकिंग नहीं होती है। यह सिर्फ पर्सनल आईडी से बुक होती है। ऐसे में दलाल पर्सनल आईडी से ही प्रीमियम प्रीमियम ब्रोकर्स तत्काल कोटे के तहत बुकिंग कर रहे हैं। बुकिंग कराने तक तो ठीक था, लेकिन जो टिकट पैसेंजर को दिया जा रहा है, उसमें किराये की रकम को बदल दिया जाता है। दरअसल तत्काल प्रीमियम टिकट जिस डायनेमिक फेयर स्कीम के तहत बनाए जाते हैं, ये दलाल उसका फायदा उठा रहे हैं। क्योंकि इसमें किराया हमेशा बदलता रहता है।
सेफ-हेवन प्रीमियम ब्रोकर्स प्रीमियम खत्म होने से डॉलर में गिरावट आई
विदेशी मुद्रा 16 प्रीमियम ब्रोकर्स नवंबर 2022 ,13:26
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Investing.com - बुधवार के शुरुआती यूरोपीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर कमजोर हो गया, रातोंरात लाभ को वापस सौंप दिया क्योंकि पश्चिमी अधिकारियों ने रूस के साथ तनाव न बढ़ाने की मांग करते हुए एक पोलिश गांव पर घातक मिसाइल हमले के महत्व को कम कर दिया।
हेल्थ इंश्योरेंस होगा महंगा, ये प्रीमियम ब्रोकर्स उपाय करें तो नहीं बढ़ेगा आपका प्रीमियम
इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने के लिए रेगुलेटर का एप्रूवल हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमयम में 8 से 15 फीसदी इजाफा हो सकता है।
आपके हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) का प्रीमियम बढ़ने जा रहा है। ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस (Group Health Insurance) का प्रीमियम अप्रैल में बढ़ चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाकी ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भी रिन्यूएल के वक्त बढ़ना तय है। मार्श-मर्सर बेनिफिट्स सर्वे के मुताबिक, कंपनियों की तरफ से एंपलॉयीज को मिलने वाली हेल्थ पॉलिसीजी (Health Policies) की कॉस्ट प्रीमियम ब्रोकर्स इस साल 15 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।
एक्सपर्ट्स का प्रीमियम ब्रोकर्स कहना है कि जल्द इंडिविजुअल हेल्थ पॉलिसी (Individual Health Policy) का प्रीमियम बढ़ने वाला है। इसकी वजह यह है कि कोविड-19 से जुड़े क्लेम की वजह से इंश्योरेंस कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने के लिए रेगुलेटर का एप्रूवल हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमयम में 8 से 15 फीसदी इजाफा हो सकता है।
एजेंट और ब्रोकर में अंतर ब्रोकर कई कंपनियों की, पर एजेंट एक की ही पॉलिसी बेच सकता है
सरकार इंश्योरेंस ब्रोकिंग क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे सकती है। हाल में हुई मंत्री-स्तरीय बैठक में इस पर चर्चा हुई। प्रीमियम ब्रोकर्स इस कदम से बीमा सेक्टर को बढ़ावा मिल सकेगा। फिलहाल बीमा क्षेत्र में 49% विदेशी निवेश की अनुमति है। एफडीआई के मामले देखने वाले औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) की परिभाषा के अनुसार इसमें इंश्योरेंस ब्रोकिंग, बीमा कंपनियां, थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर, सर्वेयर और नुकसान का आकलन करने वाले सब शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया, समय-समय पर मांग उठती रही है कि इंश्योरेंस ब्रोकर को दूसरे फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज के समान माना जाना चाहिए। उनमें 100% एफडीआई की अनुमति है। इंश्योरेंस ब्रोकिंग अन्य फाइनेंशियल ब्रोकिंग की तरह ही है। सूत्र ने स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा 49% ही रहेगी। वित्त मंत्री ने इस मसले पर हाल में बैठक की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी इस बारे में डीआईपीपी से विचार मांगे हैं। उद्योग विशेषज्ञों का प्रीमियम ब्रोकर्स कहना है कि बीमा सेक्टर कमजोर वितरण नेटवर्क से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में इसे मजबूत करने की जरूरत है।