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किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं

किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं

बिटकॉइन से कमाएं तो 20 फीसदी अग्रिम कर भी चुकाएं

आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को लेकर चल रही अनिश्चितताओं के बीच एक स्तर पर थोड़ी स्पष्टता आई है। आभासी मुद्रा को बेचकर बैंक बैंलेंस बढ़ाने वाले निवेशकों को आयकर विभाग की ओर से किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए इससे होने वाली आय पर 20 प्रतिशत अग्रिम कर देना होगा। आभासी मुद्रा एक्सचेंज यूनोकॉइन के संस्थापक सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, 'हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आभासी मुद्रा वस्तु, पूंजीगत ऐसेट या व्यापारिक आय में से क्या है और आयकर विभाग भी कोई अंतर नहीं कर रहा है। वे कह रहे हैं कि कि इससे कमाए धन पर सीधे 20 प्रतिशत का का अग्रिम कर चुका दें।'

आयकर विभाग ने हाल ही में कुछ एक्सचेंज से निवेशकों की जानकारी जुटाई थी और बिटकॉइन, इथीरियम, रिपल, लाइटकॉइन समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने वाले हजारों लोगों को नोटिस भेजे थे। निवेशकों से दूसरे सवालों के साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या उन्होंने इस वर्ष और पिछले 2 वर्ष से लगातार वार्षिक आयकर रिटर्न भरते समय आभासी मुद्राओं से होने वाली आय का जिक्र किया है? एक आयकर अधिकारी ने बताया, 'क्रिप्टोकरेंसी से आय पर कम से कम 20 प्रतिशत का अग्रिम कर देना ही चाहिए, क्योंकि दीर्घावधि पूंजीगत आय के लिए भी यही प्रावधान है। यदि आभासी मुद्रा को 36 महीनों से कम समय के लिए रखा जाता है तो इसका वर्णन आयकर रिटर्न में करना चाहिए, जिस तरह लघु अवधि पंूजीगत लाभ कर के लिए किया जाता है।'

अग्रिम कर का अर्थ है, वित्त वर्ष के समाप्त होने का इंतजार किए बगैर जब आय हो, तभी कर भी चुका दिया जाए। अग्रिम कर चुकाने की 4 तिथियां जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च महीने की 15 तारीख है। इसलिए यदि आप 15 दिसंबर के बाद बिटकॉइन बेचते हैं तो इससे हुई आय पर 15 मार्च तक अग्रिम कर का भुगतान करना होगा। आभासी मुद्रा को 36 महीने से अधिक समय तक रखने पर इस पर 20 प्रतिशत दीर्घावधि पूंजीगत आयकर लगेगा, जबकि 3 वर्ष से कम समय पर 30 प्रतिशत का लघु अवधि पूंजीगत आयकर लगेगा।

सभी निवेशक और एक्सचेंज इस पर स्पष्टता चाहते हैं कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर किस तरह से व्यवहार करेगी। हालांकि सरकार और आरबीआई यह कह चुके हैं कि अभी इसे मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस बीच, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज व्यवस्था का हिस्सा होने के लिए उत्सुक हैं। मई 2016 में, आरबीआई ने एक बिटकॉइन एक्सचेंज जेबपे से कहा था, 'बिटकॉइन को वस्तु या सेवा में से क्या समझा जाए इसे स्पष्ट करने के लिए उसने विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से कहा है। अगर कंपनी बिटकॉइन में जिंस की तरह व्यापार करती है तो उसे फॉवर्ड मार्केट कमीशन से इस पर स्पष्टता लेनी होगी।' इसके बाद, सितंबर 2016 में डीजीएफटी ने जेबपे को लिखित रूप में कहा था कि इस पर वित्तीय सेवाओं के विभाग से स्पष्टता लें।

नियामकीय प्रक्रियाओं के अभाव के बाद भी वस्तु एवं सेवाकर (जाएसटी) आभासी मुद्रा के संसार का हिस्सा है। एक्सचेंज लेनदेन शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा रहे हैं, जो 0.3 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक होता है। यह, आईटी सेवाओं के समकक्ष है, जिन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। आभासी मुद्रा एक्सचेंज कॉइनसिक्योर के सह-संस्थापक मोहित कालरा कहते हैं, 'हम लेनदेन शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी ले रहे हैं।' कालरा बताते हैं कि अक्टूबर में जीएसटी विभाग मुंबई ने उनसे पूछा था कि वे किस तरह से जीएसटी लगा रहे हैं। वह बताते हैं, 'हमने उन्हें सारी जानकारी दी और बताया कि हम किस प्रकार से जीएसटी की गणना करते हैं।' एक्सचेंजों का कहना है कि आभासी मुद्रा अपनी प्रकृति में विशिष्ट हैं और सरकार को अभी यह निर्धारित करना है कि इसे किस श्रेणी में रखा जाए।

निशीथ देसाई एसोसिएट्स में पार्टनर वैभव पारिख ध्यान दिलाते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति के आधार पर जीएसटी निर्भर करेगा। वह कहते हैं, 'अगर आप जीएसटी को देखते हैं तो इसमें बिटकॉइन कहीं भी मौजूद नहीं है। इसलिए यह 'शेष' श्रेणी में आता है जिन पर 18 प्रतिशत कर लगता है। अगर आप इसे वस्तु के तौर पर देखते हैं तो उस श्रेणी के अनुसार जीएसटी लगेगा।' हालांकि वह कहते हैं कि बहुत हद तक इसे वस्तु के तौर पर देखा जा सकता है।

सरकार यह आवश्यक कर सकती है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज तिमाही रूप से आयकर विभाग तथा आरबीआई को अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपें। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'अगर एक्सचेंज तिमाही आंकड़े उपलब्ध कराते रहेंगे तो कोई समस्या नहीं होगी। बैंकों की तरह ही इस मामले में भी तिमाही ऑडिट रिपोर्ट जरूरी हो सकती है।' आभासी मुद्रा उद्योग सरकार से स्व-नियमन की बात कर रहा है जिससे वह रिजर्व बैंक जैसी किसी नियामकीय संस्था को रिपोर्ट सौंप सके। नियमन के अभाव में बैंक लगातार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के खाते बंद कर रहे हैं।

किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं

यह एडिटोरियल 18/11/2021 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “Crypto Opportunity” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

हाल ही में,भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने एक बार फिर वृहत-आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता जताई है। इन्हीं कारणों से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक क्रिप्टोकरेंसी के वैधीकरण के विरुद्ध खड़े हुए हैं और अब भारत में भी यही परिदृश्य उत्पन्न हो रहा है।

हालाँकि, क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति को देखते हुए, इस तरह के लेनदेन पर प्रतिबंध का विपरीत प्रभाव भी उत्पन्न हो सकता है, जहाँ वे जाँच या संवीक्षा के दायरे से बाहर चली जाएंगी और आपराधिक कृत्यों के मामले में कानून प्रवर्तित करना कठिन हो जाएगा।

वर्तमान में, क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का है। भारत इतने बड़े अवसर से स्वयं को वंचित नहीं रख सकता, न उसे रहना चाहिये, बल्कि इसके विनियमन के लिये प्रभावी प्रावधान का सृजन करना चाहिये।

‘क्रिप्टोकरेंसी’ को लेकर अस्पष्टता और अव्यवस्था

  • वैश्विक सर्वसम्मति का अभाव: वर्तमान में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रति विनियामक दृष्टिकोण में एकरूपता नहीं है। विभिन्न देश उपयुक्त विनियामक ढाँचे को लेकर जटिल सवालों से जूझ रहे हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
    • ‘क्यूबा’ और ‘अल सल्वाडोर’ जैसे देशों ने बिटकॉइन को वैध मुद्रा (Legal Tender) के रूप में अनुमति दे रखी है।
      • ईरान ने भी उस पर आरोपित प्रतिबंधों को बेअसर करने में क्रिप्टोकरेंसी की क्षमता की पहचान की है और उनकी ‘माइनिंग’ (Mining) को प्रोत्साहित किया है, बशर्ते परिणामी टोकन केंद्रीय बैंक को बेचे जाएँ।
      • बोलीविया, नेपाल, नॉर्थ मैसेडोनिया और इंडोनेशिया कुछ अन्य देश हैं जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार, उनकी होल्डिंग और माइनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
      • भारत में, रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2018 में सभी बैंकों के लिये क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी लेनदेन पर रोक लगा दी थी, हालाँकि वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रतिबंध को निरस्त कर दिया था।
      • अभी कुछ समय पूर्व ही भारत के प्रधानमंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र के प्रबंधन के संबंध में एक बैठक की अध्यक्षता की थी, जहाँ आम सहमति बनी कि क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदम समयानुकूल, प्रगतिशील और दूरदर्शी होने चाहिये।
        • सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश किया जाना संभावित है।

        संबद्ध चिंताएँ

        • क्रिप्टोकरेंसी पर वैध चिंताएँ: ये चिंताएँ इस तथ्य से उपजी हैं कि उनके मूल्यों के आकलन के लिये कोई अंतर्निहित आस्ति और कोई बेंचमार्क मौजूद नहीं है। इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी अपनी प्रकृति में किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं बेहद अस्थिर हैं।
          • जागरूकता, पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा निवेशकों के धन को जोखिम में डालती है।
            • इतनी अधिक मात्रा में पूंजी धारण करने वाले इस उद्योग की भारत में निगरानी या विनियमन की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है।
            • क्रिप्टो का जिस तरह से विज्ञापन किया जा रहा है, वह भी प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित बैठक में विचार का एक विषय रहा था।
            • भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक पेश कर सकती है और यह क्रिप्टो लेनदेन को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के रूप में वर्गीकृत कर सकती है।
            • हालाँकि, यहाँ यह सवाल उठेगा कि क्रिप्टोकरेंसी पर उपयुक्त विनियामक किस प्रकार का होगा।
            • क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति को देखते हुए, इस तरह के लेनदेन पर प्रतिबंध का विपरीत प्रभाव भी उत्पन्न हो सकता है, जहाँ वे जाँच या संवीक्षा के दायरे से बाहर चली जाएंगी और आपराधिक कृत्यों के मामले में कानून प्रवर्तित करना कठिन हो जाएगा।
            • इससे प्रतिबंध का मूल उद्देश्य ही पराजित हो जाएगा।
            • यह विरोधाभासी दृष्टिकोण ही है कि ब्लॉकचेन को तो प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार के एक किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं अंग के रूप में प्रोत्साहित किया जाए, लेकिन इसकी अनुषंगी क्रिप्टो परिसंपत्ति पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया जाए।

            आगे की राह

            • क्रिप्टो के लिये नियामक ढाँचा: भारत में क्रिप्टो के संबंध में तत्काल एक नियामक ढाँचे का निर्माण किये जाने की आवश्यकता है।
              • इस ढाँचे को विभिन्न क्रिप्टोकरेंसियों, बिक्री, खरीद के साथ-साथ एक्सचेंज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जैसे मध्यस्थों से संबद्ध विभिन्न पहलुओं से निपटने की आवश्यकता होगी।
              • सरकार को किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं संबद्ध जोखिमों की पहचान करनी चाहिये और उन्हें संबोधित करने के लिये एक उपयुक्त नियामक ढाँचा तैयार करना चाहिये।
              • यह विनियमन धन-शोधन और आतंक-वित्तपोषण जैसे मुद्दों की निगरानी और घोटालों पर रोक में भी सहायता कर सकता है।
              • एक कुशल नियामक ढाँचा निवेशकों के लिये उत्तरदायित्व के साथ-साथ शिकायत निवारण तंत्र की पूर्ति करेगा।
              • इसके साथ ही, यह भारत में सक्रिय क्रिप्टो कंपनियों के पलायन को रोकेगा, जिससे पूंजी का पलायन नहीं होगा।
              • यह भारत और भारतीयों के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आगे बढ़ने और इस क्षेत्र में अग्रणी एवं नवप्रवर्तक बनने के लिये एक स्वस्थ पारितंत्र का निर्माण करेगा।

              निष्कर्ष

              • क्रिप्टोकरेंसी अपरिहार्य है—इसे किसी भी सार्थक प्रवर्तनीय तंत्र के माध्यम से प्रतिबंधित या व्यवस्था से बाहर नहीं किया जा सकता है। क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना अव्यावहारिक और अति-प्रतिबंधक कदम होगा।
              • सरकार के लिये यह अनिवार्य हो जाता है कि वह ऐसे कानून लेकर आए जो प्रौद्योगिकी के दृष्टिकोण को समझे, सभी हितधारकों के आदानों को ध्यान में रखे और नागरिकों को इस नए युग की प्रौद्योगिकी से मिल सकने वाले लाभों का उपभोग करने में सक्षम बनाए।

              अभ्यास प्रश्न: ‘‘निवेशकों को एक हद तक सुरक्षा प्रदान करने, मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने, कराधान के संबंध में स्पष्टता प्रदान करने और नागरिकों को इस नए युग की प्रौद्योगिकी के लाभों का उपभोग करने में सक्षम बनाने के लिये भारत में क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन अब आवश्यक हो गया है।’’ चर्चा कीजिये।

              देश का पहला Cryptocurrency Index जारी, IC15 के बारे में जानें डिटेल में

              दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी की बढ़ते दायरे के बीच सुपर ऐप क्रिप्टोवायर ने देश का पहला क्रिप्टोकरेंसी सूचकांक (Cryptocurrency Index) IC15 जारी किया

              Published: January 7, 2022 11:10 PM IST

              cryptocurrency transaction

              नई दिल्ली: दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी की बढ़ते दायरे के बीच सुपर ऐप क्रिप्टोवायर ने देश का पहला क्रिप्टोकरेंसी सूचकांक (Cryptocurrency Index) IC15
              जारी करने की घोषणा की है. बता दें कि पिछले कुछ साल साल से क्रिप्टोकरेंसी एक संपत्ति वर्ग के रूप में उभरा है. इसकी स्वीकार्यता बढ़ने के साथ लोगों की इसमें रुचि बढ़ रही है.

              Also Read:

              क्रिप्टोवायर (क्रिप्टो सुपर ऐप) ने एक बयान में कहा कि सूचकांक दुनिया के प्रमुख क्रिप्टो बाजारों (crypto markets exchange) पर सूचीबद्ध व्यापक रूप
              से कारोबार वाली शीर्ष 15 क्रिप्टोकरेंसी के प्रदर्शन पर नजर रखेगा और उसे मापेगा.

              80 प्रतिशत से अधिक बाजार गतिविधियों पर नजर रखेगा

              क्रिप्टो सुपर ऐप क्रिप्टोवायर (CryptoWire) ने कहा, यह सूचकांक (Cryptocurrency Index) 80 प्रतिशत से अधिक बाजार गतिविधियों पर गौर करेगा. इस प्रकार, मौलिक रूप से यह संबंधित बाजार की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगा. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. सूचकांक का आधार मूल्य 10,000 तय किया गया है और
              आधार तिथि एक अप्रैल, 2018 है.

              सूचकांक संचालन समिति एक्‍सपर्ट रहेंगे शामिल

              बयान के अनुसार, क्रिप्टोवायर की सूचकांक संचालन समिति हर तिमाही में इसे पुनर्संतुलित करेगी, उस पर नजर रखेगी और उसे क्रियान्वित करेगी. समिति में क्षेत्र के विशेषज्ञ, उद्योग से जुड़े लोग और शिक्षाविद शामिल हैं.

              क्रिप्टो इंडेक्स IC15 में ये करेंसी शामिल

              सूचकांक आईसी15 (IC15) में बिटकॉइन (Bitcoin), एथेरियम (Ethereum), एक्सआरपी (XRP), लाइटकॉइन (Litecoin), बिनांस कॉइन (Binance Coin), सोलाना (Solana), टेरा (Terra) और चेनलिंक (ChainLink) जैसी क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं.

              क्रिप्टो करेंसी के सख्‍त मानक

              दुनिया मौजूद 400 कॉइन्‍स की सूची में शामिल होने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का बिजनेस कम-से-कम 90 प्रतिशत होना चाहिए. ट्रेडिंग वैल्यू में 100 शीर्ष करेंसी में इसका स्‍थान
              होना चाहिए. सर्कुलेटिंग मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में योग्य क्रिप्टोकरेंसी शीर्ष 50 में भी होनी चाहिए. इसके बाद समिति शीर्ष 15 क्रिप्टोकरेंसी का चयन करेगी. सूचकांक का आधार मूल्य 10,000 तय किया गया है और आधार तिथि 1 अप्रैल, 2018 है.

              आरबीआई की कमेटी ने कहा था- क्रिप्टोकरेंसी को टोकन में रूप में नियमन किया जा सकता है

              बता दें कि बीते दिनों क्रिप्टोकरेंसी के सवाल पर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) एमपीसी की सदस्य ने कहा कि उन्हें ‘क्रिप्टो-टोकन’ कहना अधिक उचित होगा. उन्हें मुद्रा के समान स्वीकार्य नहीं माना जा सकता. मुद्रा के रूप में उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध होना चाहिए, लेकिन टोकन में रूप में उनका नियमन किया जा सकता है. यह भी गौर करने की बात है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देशों को क्रिप्टोकरेंसीपर एक साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यह गलत हाथों में न जाए. आभासी मुद्रा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा था, ”उदाहरण के लिए क्रिप्टोकुरेंसी या बिटकॉइन लें. यह महत्वपूर्ण है कि सभी देश इस पर मिलकर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को खराब कर सकता है.”

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              बिटकॉइन से कमाएं तो 20 फीसदी अग्रिम कर भी चुकाएं

              आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को लेकर चल रही अनिश्चितताओं के बीच एक स्तर पर थोड़ी स्पष्टता आई है। आभासी मुद्रा को बेचकर बैंक बैंलेंस बढ़ाने वाले निवेशकों को आयकर विभाग की ओर से किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए इससे होने वाली आय पर 20 प्रतिशत अग्रिम कर देना होगा। आभासी मुद्रा एक्सचेंज यूनोकॉइन के संस्थापक सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, 'हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आभासी मुद्रा वस्तु, पूंजीगत ऐसेट या व्यापारिक आय में से क्या है और आयकर विभाग भी कोई अंतर नहीं कर रहा है। वे कह रहे हैं कि कि इससे कमाए धन पर सीधे 20 प्रतिशत का का अग्रिम कर चुका दें।'

              आयकर विभाग ने हाल ही में कुछ एक्सचेंज से निवेशकों की जानकारी जुटाई थी और बिटकॉइन, इथीरियम, रिपल, लाइटकॉइन समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने वाले हजारों लोगों को नोटिस भेजे थे। निवेशकों से दूसरे सवालों के साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या उन्होंने इस वर्ष और पिछले 2 वर्ष से लगातार वार्षिक आयकर रिटर्न भरते समय आभासी मुद्राओं से होने वाली आय का जिक्र किया है? एक आयकर अधिकारी ने बताया, 'क्रिप्टोकरेंसी से आय पर कम से कम 20 प्रतिशत का अग्रिम कर देना ही चाहिए, क्योंकि दीर्घावधि पूंजीगत आय के लिए भी यही प्रावधान है। यदि आभासी मुद्रा को 36 महीनों से कम समय के लिए रखा जाता है तो इसका वर्णन आयकर रिटर्न में करना चाहिए, जिस तरह लघु अवधि पंूजीगत लाभ कर के लिए किया जाता है।'

              अग्रिम कर का अर्थ है, वित्त वर्ष के समाप्त होने का इंतजार किए बगैर जब आय हो, तभी कर भी चुका दिया जाए। अग्रिम कर चुकाने की 4 तिथियां जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च महीने की 15 तारीख है। इसलिए यदि आप 15 दिसंबर के बाद बिटकॉइन बेचते हैं तो इससे हुई आय पर 15 मार्च तक अग्रिम कर का भुगतान करना होगा। आभासी मुद्रा को 36 महीने से अधिक समय तक रखने पर इस पर 20 प्रतिशत दीर्घावधि पूंजीगत आयकर लगेगा, जबकि 3 वर्ष से कम समय पर 30 प्रतिशत का लघु अवधि पूंजीगत आयकर लगेगा।

              सभी निवेशक और एक्सचेंज इस पर स्पष्टता चाहते हैं कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर किस तरह से व्यवहार करेगी। हालांकि सरकार और आरबीआई यह कह चुके हैं कि अभी इसे मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस बीच, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज व्यवस्था का हिस्सा होने के लिए उत्सुक हैं। मई 2016 में, आरबीआई ने एक बिटकॉइन एक्सचेंज जेबपे से कहा था, 'बिटकॉइन को वस्तु या सेवा में से क्या समझा जाए इसे स्पष्ट करने के लिए उसने विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से कहा है। अगर कंपनी बिटकॉइन में जिंस की तरह व्यापार करती है तो उसे फॉवर्ड मार्केट कमीशन से इस पर स्पष्टता लेनी होगी।' इसके बाद, सितंबर 2016 में डीजीएफटी ने जेबपे को लिखित रूप में कहा था कि इस पर वित्तीय सेवाओं के विभाग से स्पष्टता लें।

              नियामकीय प्रक्रियाओं के अभाव के बाद भी वस्तु एवं सेवाकर (जाएसटी) आभासी मुद्रा के संसार का हिस्सा है। एक्सचेंज लेनदेन शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा रहे हैं, जो 0.3 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत तक होता है। यह, आईटी सेवाओं के समकक्ष है, जिन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। आभासी मुद्रा एक्सचेंज कॉइनसिक्योर के सह-संस्थापक मोहित कालरा कहते हैं, 'हम लेनदेन शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी ले रहे हैं।' कालरा बताते हैं कि अक्टूबर में जीएसटी विभाग मुंबई ने उनसे पूछा था कि वे किस तरह से जीएसटी लगा रहे हैं। वह बताते हैं, 'किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं हमने उन्हें सारी जानकारी दी और बताया कि हम किस प्रकार से जीएसटी की गणना करते हैं।' एक्सचेंजों का कहना है कि आभासी मुद्रा अपनी प्रकृति में विशिष्ट हैं और सरकार को अभी यह निर्धारित करना है कि इसे किस श्रेणी में रखा जाए।

              निशीथ देसाई एसोसिएट्स में पार्टनर वैभव पारिख ध्यान दिलाते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति के आधार पर जीएसटी निर्भर करेगा। वह कहते हैं, 'अगर आप जीएसटी को देखते हैं तो इसमें बिटकॉइन कहीं भी मौजूद नहीं है। इसलिए यह 'शेष' श्रेणी में आता है जिन पर 18 प्रतिशत कर लगता है। अगर आप इसे वस्तु के तौर पर देखते हैं तो उस श्रेणी के अनुसार जीएसटी लगेगा।' हालांकि वह कहते हैं कि बहुत हद तक इसे वस्तु के तौर पर देखा जा सकता है।

              सरकार यह आवश्यक कर सकती है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज तिमाही रूप से आयकर विभाग तथा आरबीआई को अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपें। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'अगर एक्सचेंज तिमाही आंकड़े उपलब्ध कराते रहेंगे तो कोई समस्या नहीं होगी। बैंकों की तरह ही इस मामले में भी तिमाही ऑडिट रिपोर्ट जरूरी हो सकती है।' आभासी मुद्रा उद्योग सरकार से स्व-नियमन की बात कर रहा है जिससे वह रिजर्व बैंक जैसी किसी नियामकीय संस्था को रिपोर्ट सौंप सके। नियमन के अभाव में बैंक लगातार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के खाते बंद कर रहे हैं।

              कितना सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क?

              cryptocurrencies: क्रिप्टोकरेंसी एक तकनीक का उपयोग करके काम करती है जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) कहा जाता है.

              • Paurav Joshi
              • Publish Date - October 18, 2021 / 04:37 PM IST

              कितना सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क?

              देश में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) के कई फॉर्म Bitcoin, Ethereum, Tether, Dogecoin और न जाने क्या -क्या आ चुके हैं. हर तरफ क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत जोर-शोर से चर्चा हो रही है. कई लोग इसमें निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं. हाल ही में, क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट देखी गई है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसे कानूनन किस तरह की मान्यता प्राप्त अहि और इसमें निवेश करना कितना सुरक्षित है.

              RBI ने निवेशकों को किया है कई बार सतर्क

              सरकार ने “RBI द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए एक सुविधाजनक ढांचा बनाने” और “भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने” के लिए द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 का प्रस्ताव पेश किया है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर अलग-अलग तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने समय-समय पर निवेशकों को सतर्क किया है और उन्हें आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है.

              क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

              क्रिप्टोकरंसी एक प्रकार का पेमेंट है जिसके बदले में आप सामान और सेवाएं ऑनलाइन खरीद सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक तकनीक का उपयोग करके काम करती है जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) कहा जाता है.

              बाजार में कितनी क्रिप्टोकरेंसीज मौजूद हैं?

              मार्केट रिसर्च वेबसाइट CoinMarketCap.com के अनुसार, बाज़ार में 6,700 से अधिक विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी उपलब्ध हैं और हररोज नयी करेंसी मार्किट में आ रही है. CoinMarketCap.com के अनुसार, 13 अप्रैल 2021 को, सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य $2.2 ट्रिलियन से अधिक हो गया था और सबसे लोकप्रिय डिजिटल मुद्रा मतलब बिटकॉइन का कुल मूल्य, लगभग $1.2 ट्रिलियन था.

              क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लाभ

              दुनिया की सबसे पॉपुलर और सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने वित्त वर्ष 2020-21 में 800 फीसदी का रिटर्न दिया है. अप्रैल, 2020 में यह 6,640 डॉलर के रेट पर ट्रेड कर रहा था और फिर एक साल की अवधि में यानी अप्रैल, 2021 तक यह 65,000 डॉलर पर पहुंच गया. बिटकॉइन के अलावा और भी कई अन्य क्रिप्टो कॉइन्स में जबरदस्त उछाल आई और निवेशकों ने बढ़िया रिटर्न कमाया.

              क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खतरे

              इस साल अप्रैल में बाजार ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा था. लेकिन अप्रैल के अंत में क्रिप्टो मार्केट क्रैश हो गया. अधिकतर करेंसी की वैल्यू गिर गई. बिटकॉइन $30,000 के अंदर आ गया. अभी बिटकॉइन $62,000 पर है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टो कॉइन्स बहुत ही ज्यादा वॉलटाइल यानी उतार-चढ़ाव का शिकार होती हैं और निवेश के पैसे डूबने का खतरा रहता है. दूसरी कमी यह है कि आप क्रिप्टोकरेंसी को हर जगह फ्लैट करेंसी यानी कि रुपया, डॉलर वगैरह की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. फिलहाल ऐसी बहुत कम जगहें हैं, जहां आप क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकें यानी कि इसे रुपये के अल्टरनेट की तरह इस्तेमाल कर सकें. ऊपर से इसपर कोई सरकारी रेगुलेशन नहीं है, तो वो किसी अप्रत्याशित स्थिति को न्यौता दे सकता है.

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