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एक डॉलर खाता क्या है

एक डॉलर खाता क्या है
Himachal Pradesh Assembly Elections 2022 Exit Poll: एग्‍ज‍िट पोल नतीजों की अंदरूनी खबर से टेंशन में बीजेपी!

खाने की बर्बादी बचाने के लिए एक डॉलर की मशीन

क्या 1 डॉलर कीमत की एक डिवाइस 10 लाख डॉलर की समस्या हल करने में मदद कर सकती है? ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. सिवम कृष के मुताबिक अब ऐसा संभव है.

गोमाइक्रो नामक कंपनी के संस्थापक डॉ. कृष ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो ऐप के जरिए फोन से जुड़कर बता सकती है कि कौन सा ताजा खाना खराब होने वाला है. इसी हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में हुई एक फोरम में उन्होंने यह डिवाइस पेश की.

डॉ. कृष का मानना है कि यह खोज कृषि उद्योग के लिए बड़ी बचत करने में मददगार साबित हो सकती है. उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित यह डिवाइस और ऐप अत्याधुनिक इमेजिंग तकनीक पर काम करती है. उन्होंने कहा, "हम फलों और सब्जियों के पके होने का 86-90 प्रतिशत तक की शुद्धता के साथ पता लगा सकते हैं."

मोबाइल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसतस्वीर: Flinders University, Adelaide, Australia

कैसे काम करती है डिवाइस?

गोमाइक्रो कंपनी की बनाई यह डिवाइस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित है. डॉ. कृष बताते हैं कि उनकी टीम ने अलग-अलग सब्जियों की हर रोज सौ तस्वीरें एक डॉलर खाता क्या है ली और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को ट्रेनिंग देने वाला एक प्रोग्राम तैयार किया. आम तौर पर इस तरह का प्रोग्राम तैयार करने के लिए हजारों तस्वीरों की जरूरत होती है और फिर भी सटीक नतीजे नहीं मिल पाते हैं.

माइक्रोस्कोप को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़कर यह डिवाइस-ऐप फल और सब्जियों के खराब होने की जानकारी देती है. इस डिवाइस का पेटेंट अभी दर्ज नहीं हुआ है. कंपनी का दावा है कि यह डिवाइस अत्याधिक गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेती है जिनके कारण नतीजों की सटीकता बढ़ जाती है और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को सीखने के लिए कम तस्वीरों की जरूरत पड़ती है.

कंपनी फिलहाल किसानों और कृषि-अर्थशास्त्रियों को कीटाणु, पत्तों की बीमारियों और खाने की गुणवत्ता का पता लगाने में मदद करने पर ध्यान दे रही है. डॉ. कृष कहते हैं, "कोई भी किसान जिसके पास बस एक फोन है अब किसी कृषि वैज्ञानिक की तरह पता लगा सकता है. उसे बस स्पॉटचेक माइक्रोस्कोप को अपने फोन से जोड़ना है. यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि माइक्रोस्कोपिक जानकारियां कृषि क्षेत्र से संबंधित बहुत विस्तृत सूचनाएं उपलब्ध करवा सकती हैं."

खाना बर्बाद होने की समस्या

खाने का खराब हो जाना या व्यर्थ हो जाना दुनिया की बहुत बड़ी समस्या है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था एक डॉलर खाता क्या है यूएनईपी का कहना है कि हर साल जितने फल और सब्जियां पैदा होते हैं उनका लगभग आधा हिस्सा खराब चला जाता है. यूएनईपी के एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया का एक तिहाई खाना यानी लगभग 1.3 अरब टन खाने लायक उत्पाद एक डॉलर खाता क्या है या तो खराब हो जाता है या व्यर्थ चला जाता है.

बेकार भोजन को पशुओं के चारे में बदलता स्टार्टअप

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यह रिपोर्ट कहती है कि सिर्फ विकसित देशों में लगभग 680 अरब डॉलर का खाना व्यर्थ होता है जबकि विकासशील देशों में यह मात्रा 310 अरब डॉलर के बराबर है. खराब होने वाले उत्पादों में सबसे ज्यादा मात्रा फल और सब्जियों की ही होती है. इसके अलावा 30 फीसदी दालें, लगभग 40-50 फीसदी जड़ें, फल और सब्जियां व 20 प्रतिशत तैलीय फसलें खराब होती हैं.

"डॉलर हुआ मजबूत पर रुपया कमजोर नहीं", वित्त मंत्री सीतारमण के बयान पर चिदंबरम ने ली चुटकी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman) ने अमेरिका दौरे के एक डॉलर खाता क्या है दौरान अमेरिकी डॉलर ( S Dollar) के मुकाबले रुपये ( Rupee) में लगातार गिरावट को लेकर बयान दिया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय करेंसी रुपया कमजोर नहीं हुआ, बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है. वित्त मंत्री अपने इस बयान को लेकर अब विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं. कांग्रेस के सीनियर नेता पी. चिदंबरम ने सीतारमण के इस बयान को बेतुका और विचारहीन बताया है.एक डॉलर खाता क्या है

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चिदंबरम ने एनडीटीवी के साथ एक बातचीत में कहा, "अगर वह (निर्मला सीतारमण) चुनाव लड़ती है. और भगवान न करे, वह हार जाती हैं, तो मैं उनसे यह कहने की उम्मीद करता हूं कि 'मैं नहीं हारी, मेरा प्रतिद्वंद्वी जीत एक डॉलर खाता क्या है गया'. यह किस तरह का बयान है? इसलिए मुझे लगता है कि इसे वहीं छोड़ देना सबसे अच्छा है. यह एक विचारहीन बयान था. किसी ने उन्हें बताया होगा कि यह एक अच्छा बयान था. जिन्होंने ये कहा होगा, वो और होशियार होंगे."

निर्मला ने कहा रुपया नहीं हुआ कमजोर!
आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के सलाना बैठक में भाग लेने अमेरिका दौरे पर गई निर्मला सीतारमण ने कहा, 'भारतीय करेंसी रुपये (INR) ने दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ( Emerging Economies) के करेंसी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है.' इसके साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि एक डॉलर खाता क्या है भारतीय रुपया विश्व की बाकि करेंसी की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के पार गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर, असली डर यह कि अभी और कितना गिरेगा रुपया?

Updated: July 19, 2022 10:44 AM IST

(Symbolic Image)

Rupee Vs Dollar: घरेलू शेयरों और करेंसीज में कमजोरी के कारण भारतीय रुपया लगातार सातवें कारोबारी सत्र के दौरान मंगलवार को रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के हस्तक्षेप ने और नुकसान को सीमित करने एक डॉलर खाता क्या है में मदद की.

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अमेरिकी डॉलर एक सप्ताह के निचले स्तर से ऊपर मंडरा रहा था, जो प्रमुख करेंसीज की तुलना में रातोंरात निचले स्तर पर चला गया, क्योंकि बाजारों ने इस महीने फेडरल रिजर्व की दर में एक प्रतिशत की एक डॉलर खाता क्या है वृद्धि में आने वाली रुकावटों को कम कर दिया.

आंशिक रूप से परिवर्तनीय रुपया 80.05 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद 79.93/94 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था. सोमवार को 79.97 पर निपटा था.

असली डर अब यह है कि रुपये के 80-से-डॉलर के स्तर को तोड़ने के बाद, गिरावट और भी तेज हो सकती है, क्योंकि प्रमुख मनोवैज्ञानिक दर के टूटने के बाद एक मुक्त गिरावट के पक्ष में दांव बढ़ता है, जैसा कि हमने देखा है. रुपया एक डॉलर खाता क्या है 77 प्रति डॉलर की दर से कमजोर हुआ.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, रुपया 79.9863 पर खुलने के बाद ग्रीनबैक के मुकाबले 80.0163 पर था, जो 80.0175 के इंट्रा-डे रिकॉर्ड से थोड़ा कम था. पीटीआई ने शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये को अब तक के सबसे निचले स्तर 80.05 पर उद्धृत किया.

भारत की आजादी के वक्‍त एक डॉलर की कीमत थी चार रुपये, आज करीब 80, पढ़ें 75 वर्ष में कैसे हुआ बदलाव

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रुपये ने डॉलर तोड़ा अपना पिछला रिकॉर्ड कर 79.99 के निचले स्तर पर पहुंच गया है।

Rupee’s Journey Since India’s Independence: भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष (75th Independence Day) का जश्न मना रहा है और आने वाले वर्षों के दौरान आर्थिक विकास को ऊंचाइयों पर ले जाने के सपने देख रहा है। अर्थव्यवस्था के अन्य पहलुओं को किनारे रखते हुए आइए देखते हैं कि भारतीय रुपया का 1947 के बाद से अब तक का सफर कैसा रहा है।

किसी देश की मुद्रा उसके आर्थिक विकास का आकलन करने का एक मुख्य घटक होती है। बीते 75 सालों में हमारे देश ने अपार प्रगति की है और लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। लेकिन, देश की मुद्रा रुपये में लगातार गिरावट एक डॉलर खाता क्या है दर्ज हो रही है। रुपये के अवमूल्यन का नतीजा यह है कि आज रुपया लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।

क्‍यों गिर रहा है रुपया, क्‍या करेगा RBI?

अनिल सिंघवी का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की दो अहम वजहें हैं. पहली, फेड की मीटिंग के बाद डॉलर इंडेक्‍स मजबूत हुआ है. जिस तरह से फेड ने आक्रामक तरीके से ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी की है और आगे भी बढ़ाएग, उससे दुनियाभर की करेंसी कमजोरी होंगी. अब इस वजह से रुपया कितना कमजोर होगा. इस पर अपना-अपना जजमेंट हो सकता है. डॉलर इंडेक्‍स में मजबूती से रुपया आधा-पौन फीसदी गिरना चाहिए था, एक-सवा फीसदी गिर गया, तो क्‍या ज्‍यादा गिरावट है?

सिंघवी का कहना है, दूसरी बात यह कि कहीं न कहीं यह लग रहा था कि रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को 80 के लेवल के आसपास स्‍टेबल करने की कोशिश करेगा. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि RBI ने छोड़ दिया है कि अब रुपये ने 80 का लेवल तोड़ दिया तो ठीक है. अब इसमें वह निर्णायक तौर पर डिफेंड नहीं करेगा. अब देखने वाली बात यह है कि RBI रुपये का अगला लेवल क्‍या डिफेंड करता है.

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