डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार

- ऑल-इन-वन इनवेस्टमेंट : स्टॉक, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव, मुद्राएं, कमोडिटी और आईपीओ सहित कई संपत्तियां
- स्क्रीनर्स : 20+ रीयल-टाइम स्क्रीनर्स जो 5,000+ प्रतिभूतियों और 25,000+ अनुबंधों को स्कैन करते हैं
- पूर्वनिर्धारित विकल्प रणनीतियाँ : आपको किक-स्टार्ट देने के लिए सफल विकल्प रणनीतियाँ
- उन्नत चार्ट : सटीक विश्लेषण के लिए 90+ तकनीकी संकेतक
- विस्तृत उद्धरण : स्टॉक के मूल सिद्धांतों, तकनीकी, विकल्प श्रृंखला, समाचार, बल्क और amp का विस्तृत विश्लेषण; ब्लॉक सौदों
- अनुसंधान : घर के विशेषज्ञों से 60% हिट अनुपात के साथ सटीक बाजार अनुसंधान कॉल
- अलर्ट : स्टॉक की कीमतों, अनुसंधान कॉल आदि की वास्तविक समय की सूचनाएं प्राप्त करें।
एक्सिस डायरेक्ट रिंगिंग
शुरुआती और पेशेवरों दोनों के लिए तैयार, एक्सिस सिक्योरिटीज लिमिटेड के प्रमुख के तहत एक्सिस डायरेक्ट, व्यापार और amp के लिए एक सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध मोबाइल ऐप है; कई आकर्षक सुविधाओं के साथ निवेश। यह आपको हर 60 सेकंड में निवेश का अवसर खोजने की अनुमति देता है।
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बाज़ार शामिल : एनएसई, बीएसई, एमसीएक्स
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- स्क्रीनर्स : 20+ रीयल-टाइम स्क्रीनर्स जो 5,000+ प्रतिभूतियों और 25,000+ अनुबंधों को स्कैन करते हैं
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- उन्नत चार्ट : सटीक विश्लेषण के लिए 90+ तकनीकी संकेतक
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हमारे मोबाइल ऐप के साथ निवेश और स्टॉक ट्रेडिंग को सरल बनाया गया है। एक्सिस डायरेक्ट के साथ रिंगिंग व्यापक बाजार अंतर्दृष्टि, आप एक शेयर बाजार के बदमाश से एक प्रो पर जा सकते हैं।
निवेश कर अमीर बनने के ये हैं 10 बेहतरीन विकल्प
सचाई यह है कि कम जोखिम के साथ बेहतरीन रिटर्न नहीं कमाया जा सकता. वास्तव में जहां रिटर्न अधिक होगा, वहां जोखिम भी अधिक होगा.
निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है. कुछ निवेश ऐसे हैं जिनमें लंबी अवधि में अधिक जोखिम के साथ अधिक रिटर्न का मौका मिलता है.
निवेश के वास्तव में दो तरीके हैं-वित्तीय और गैर वित्तीय निवेश विकल्प.
इसे भी पढ़ें: कैसे ट्रांसफर करें PPF अकाउंट?
वित्तीय प्रोडक्ट में आप शेयर बाजार से संबद्ध विकल्प (शेयर, म्यूचुअल फंड) चुन सकते हैं या फिक्स्ड इनकम (PPF, बैंक FD आदि) के विकल्प चुन सकते हैं. गैर वित्तीय निवेश विकल्प में सोना, रियल एस्टेट आदि आते हैं. ज्यादातर भारतीय निवेश अब तक निवेश के इसी गैर वित्तीय निवेश विकल्प का प्रयोग करते रहे हैं.
हम आपको यहां बता रहे हैं निवेश के शीर्ष 10 विकल्प:
शेयरों में निवेश
हर किसी के लिए शेयरों में सीधे निवेश करना आसान नहीं है. इसमें रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं है. सही शेयरों का चुनाव मुश्किल काम है, इसके साथ ही शेयर की डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार सही समय पर खरीदारी और सटीक वक्त पर निकलना महत्वपूर्ण है. निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में शेयर में लंबी अवधि में रिटर्न देने की क्षमता सबसे अधिक होती है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी शेयरों में निवेश से ही रिटर्न कमाती है. सेबी के निर्देश के मुताबिक जो म्यूचुअल फंड स्कीम अपने फंड का 65% शेयरों में निवेश करती है, वह इक्विटी म्यूचुअल फंड कहलाती है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो पर्याप्त रिसर्च के बाद निवेश के लायक शेयर चुनता है और उसमें निवेश करता है.
इक्विटी स्कीम बाजार पूंजीकरण या सेक्टर के हिसाब से अलग हो सकती हैं. इस समय इक्विटी म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 15फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
डेट म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी उन निवेशकों के लिए सही है जो निवेश से गारंटीड रिटर्न कमाना चाहते हैं. ये म्यूचुअल फंड कॉरपोरेट बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज, ट्रेजरी बिल्स, कमर्शियल पेपर आदि में निवेश से रिटर्न कमाती है. इस समय डेट म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 6.5, 8 और 7.5 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
नेशनल पेंशन सिस्टम (nps) का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में अच्छा रहा है. बहुत कम फीस स्ट्रक्चर भी इसे निवेश का आकर्षक विकल्प बनाता है. बाजार से जुड़े उत्पादों में देश में यह सबसे कम खर्च वाला प्रोडक्ट है. निकासी संबंधी डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार नियमों में बदलाव और अतिरिक्त टैक्स-छूट की वजह से भी यह निवेशक की पसंद में शामिल हो गया है.
एनपीएस बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाने या किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में आंशिक निकासी की सुविधा देता है. इसमें हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी आपको निवेश में बने रहना जरूरी होता है. यह वास्तव में शेयर, FD, कॉरपोरेट बांड, लिक्विड फंड और सरकारी निवेश विकल्प का मिला जुला रूप है.
इस समय NPS का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 9.5, 8.5 और 11 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
पीपीएफ
देश में निवेशकों के बीच पीपीएफ सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत किसी एक वित्त वर्ष में आप पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.
निवेश के इस विकल्प की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको EEE (निवेश के वक्त करमुक्त, ब्याज पर करमुक्त, निवेश भुनाने पर करमुक्त) का लाभ देता है.
निवेश के इस विकल्प में सरकारी गारंटी इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा देती है.
बैंक FD
बैंक या पोस्ट ऑफिस में कराई जाने वाली टैक्स सेविंग FD से आप निवेश के वक्त सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. यह निवेश का सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प है. इस पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है.
डिपाजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के हिसाब से आपकी एक लाख रुपये तक की जमा रकम बीमित है.
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
पोस्ट ऑफिस की तरफ से बेस्टसेलर के रूप में डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार यह स्कीम रिटायर्ड लोगों के लिए निवेश का पसंदीदा स्रोत है. यह सेवानिवृत लोगों के लिए आय का नियमित स्रोत भी है. इस स्कीम की अवधि पांच साल है जिसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
इसमें हालांकि प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये की अधिकतम निवेश सीमा है. यह 60 साल से अधिक उम्र के निवेशकों के लिए ही खुली है, हालांकि सेना से रिटायर मेंट लेने वाले लोगों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन भर की बचत को पार्क करने और उस पर कमाई के हिसाब से यह स्कीम बेहतरीन है. यह सेवानिवृत लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है.
रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बांड्स
पहले इस स्कीम में आठ फीसदी सालाना का ब्याज मिलता था जिसे सरकार ने बदल कर अब 7.75 फीसदी ब्याज वाला विकल्प बना दिया है. इस बांड में पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है.
रियल एस्टेट
खुद के रहने के हिसाब से घर खरीदना अब निवेश के लिहाज से भी आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है. अगर आपको रहने की जरूरत नहीं है तो आप निवेश के हिसाब से भी दूसरा घर खरीद सकते हैं. निवेश के इस विकल्प में आपको सिर्फ प्रॉपर्टी की लोकेशन और वहां मौजूद सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है.
इसमें निवेश से आप पूंजी में इजाफा और किराये से आमदनी, दो तरीके से रिटर्न कमा सकते हैं.
सोना
निवेश का यह विकल्प सदियों से भारतीयों की पसंद में शामिल है, पहनने के लिए खरीदी जाने वाली ज्वेलरी से लेकर निवेश के रूप में खरीदे गए सिक्के और बार तक, सोना बिना किसी संदेह के भारतीयों की पसंद में सबसे ऊपर है. अब आप पेपर गोल्ड के रूप में भी सोने में निवेश कर सकते हैं.
गोल्ड ETF में निवेश करना और भुनाना दोनों ही शेयर बाजार के जरिये होता है.
आप क्या करें
निवेश के कुछ विकल्प शेयर बाजार से संबद्ध हैं तो कुछ निश्चित ब्याज वाले हैं. आप जोखिम लेने की अपनी क्षमता के हिसाब से ही रिटर्न की उम्मीद रखें.
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डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार
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श्रीलंका के पीएम ने भारतीय कंपनियों से किया निवेश का अनुरोध, यह है वजह
नई दिल्ली । गंभीर वित्तीय संकट (Financial Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धना (Prime Minister Dinesh Gunawardhana) ने कई भारतीय कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स (CE0s) के साथ मुलाकात में बाईलैटरल ट्रेड को बढ़ावा देने और नए क्षेत्रों में निवेश (Investment) करने की जरूरत पर बल दिया है.
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि गुणवर्धना ने गत गुरुवार को भारतीय सीईओ फोरम (ICF) के श्रीलंका खंड के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के दौरान उन्हें निवेश और व्यापार बढ़ाने के लिए कहा.
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दिनेश गुणवर्धना ने भारतीय कंपनियों के सहयोग और समर्थन के लिए जताया आभार
इस मुलाकात में गुणवर्धना ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों के सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताया. उन्होंने कहा कि ये कंपनियां नकदी की किल्लत से जूझ रहे इस देश में नया निवेश लाकर, रोजगार पैदा कर और डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्सेज के रूप में योगदान देकर मदद कर रही हैं.
टी एस प्रकाश ने की प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई
आईसीएफ के इस प्रतिनिधिमंडल में वाहन, बैंकिंग, सीमेंट, एफएमसीजी, ईंधन, हॉस्पिटैलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक, पैकेजिंग, पेंट और फार्मा सेक्टर की कंपनियों के अधिकारी शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई टी एस प्रकाश ने की.
‘शाइन श्रीलंका’ प्लेटफॉर्म की शुरुआत के साथ एक नई पहल
प्रकाश ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के नए क्षेत्रों में निवेश के अनुरोध पर कहा कि आईसीएफ ने व्यापार एवं निवेश के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देने के लिए ‘शाइन श्रीलंका’ प्लेटफॉर्म की शुरुआत के साथ एक नई पहल की है. उन्होंने कहा कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए श्रीलंका में व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा मिलने की व्यापक संभावनाएं हैं.
आर्थिक संकट का सामना कर रहा है श्रीलंका
इस मुलाकात के दौरान गुणवर्धना ने अपनी सरकार की तरफ से श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. श्रीलंका साल की शुरुआत से ही गहरे आर्थिक और वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और उसे जरूरी चीजों की खरीद के लिए भी भारत जैसे सहयोगी देश की मदद लेनी पड़ी है.
जानिये कहां है चीन और कहां हैं हम
सीमा पर तनाव के बावजूद भारत और चीन में व्यापार, आपसी निवेश और यात्राओं का सिलसिला नया रिकॉर्ड बना रहा. कमी है तो बराबरी की. भारत की तुलना में चीन का निर्यात और निवेश कहीं अधिक है. वजह: चीन का जीडीपी 83 खरब डॉलर और भारत का 19 खरब डॉलर है.
एम.जी. अरुण
- नई दिल्ली,
- 30 मई 2013,
- (अपडेटेड 01 जून 2013, 1:40 PM IST)
अक्तूबर, 2010 में उद्योगपति अनिल अंबानी की रिलायंस पावर कंपनी ने 32,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए शंघाई इलेक्ट्रिक ग्रुप से 10 अरब डॉलर मूल्य के बिजली उपकरण खरीदने का ऑर्डर दिया. भारत और चीन की किसी कंपनी के बीच इस सबसे बड़े कारोबारी सौदे में शंघाई इलेक्ट्रिक को भारत में बिजली उपकरण बनाने के लिए कारखाने भी लगाने हैं. इस सौदे पर हस्ताक्षर हनोई में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की बैठक के मौके पर हुए. यह महज संयोग नहीं था. इससे दोनों देशों के बीच की इस समझ का संकेत मिलता है कि चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे को पूरा करने का एक तरीका यह है कि चीन को भारत में निर्यातपरक क्षेत्रों में भारी निवेश की अनुमति दी जाए.
खाई को पाटना है
दोनों देशों में व्यापार असंतुलन बहुत ज्यादा है. चीन के साथ भारत का व्यापार पिछले एक दशक में चौदह गुना बढ़ गया है. 2002-03 में यह 4.77 अरब डॉलर था जो 2012-13 में 67.83 अरब डॉलर पहुंच गया. फिर भी जबरदस्त व्यापार असंतुलन की वजह से भारत चिंतित है. इसमें 54.3 अरब डॉलर का माल चीन से आयात हुआ जबकि भारत ने सिर्फ 13.53 अरब डॉलर का माल निर्यात किया यानी 40.77 अरब डॉलर का व्यापार घाटा रहा. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी का कहना है, ''यह रकम हमारे कुल चालू खाता घाटे की आधी है जो फिक्र की बात है.”
व्यापार के मामले में औपनिवेशिक रुख भी नजर आता है. चीन के लिए भारत के ज्यादातर निर्यात में अयस्क, कपास और धागा, रत्न और कच्चा माल शामिल है. गोवा में खनन और निर्यात पर सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बाद लौह अयस्क का निर्यात लगभग खत्म हो गया. चीन के सीमा कस्टम्स विभाग के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर, 2012 में चीन का भारत से आयात वार्षिक आधार पर 19.6 फीसदी कम हुआ. विदेश मंत्रालय की रिसर्च टीम रिसर्च—ऐंड इन्फार्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज के महानिदेशक विश्वजीत धर के अनुसार, ''चीन के लिए भारत के निर्यात में 93 फीसदी तक हिस्सेदारी कच्चे माल और उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली बीच की सामग्री की है. इससे व्यापार संतुलन का पलड़ा चीन के पक्ष में झुका हुआ है. इस संतुलन को ठीक करने का एक ही तरीका है कि चीन को निर्यात के लिए भारत में प्रतिष्ठान स्थापित करने के वास्ते प्रोत्साहित किया जाए.”
19 मई से चीन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से पहले नई दिल्ली में वाणिज्य सचिव एस.आर. राव और चीन के डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार वाणिज्य सचिव चेन जियान के बीच बढ़ते व्यापार घाटे पर चर्चा होगी. भारत चाहता है कि चीन नियमों में ढील दे ताकि दवा और कृषि वस्तुओं का निर्यात बढ़ाया जा सके. मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से चीन के साथ व्यापार संबंध मजबूत हो सकते थे लेकिन उसके कोई आसार नहीं हैं. क्रिसिल के जोशी का कहना है कि स्थानीय मुद्रा में व्यापार की अनुमति देने जैसे तरीकों डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार से मदद मिलनी चाहिए.
पिछले कुछ साल में बिजली के सामान से लेकर घरेलू वस्तुओं और रेडीमेड गारमेंट्स से लेकर दीवाली के पटाखों तक चीन के सामान की आमद बहुत अधिक हुई है, लेकिन जमीनी स्तर पर निवेश बेहद कम है. चीन की कंपनियों ने 2012 तक भारत में 72.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया जबकि चीन में भारतीय कंपनियों का निवेश 48.6 करोड़ डॉलर ही डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार रहा.
चीन में भारत की मौजूदगी
चीन सेवा क्षेत्र की अपनी भूख मिटा रहा है और भारत की आइटी तथा बीपीओ कंपनियों और बैंकों को बहुत अधिक बढ़ावा दे रहा है. इन्फोसिस, एप्टेक, विप्रो, टीसीएस, महिंद्रा सत्यम और एनआइआइटी जैसी कंपनियों और पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, आइसीआइसीआइ जैसे बैंकों ने बीजिंग और शंघाई में शाखाएं खोली हैं.
चीन में मौजूद अन्य प्रमुख भारतीय कंपनियों में डॉक्टर रेड्डीज लेबोरेटरीज, भारत फोर्ज, अरबिंदो फार्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा संस शामिल हैं.
टाटा ग्रुप का चीन से संबंध 1859 में जुड़ा था जब टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा को अपने पिता की बैंकिंग कंपनी की एक शाखा खोलने के लिए हांगकांग भेजा गया था. कुछ महीने बाद टाटा कंपनी कपास, रेशम और चाय का व्यापार करने के लिए शंघाई चली गई और 1863 तक वहीं रही. आज टाटा ग्रुप की 10 कंपनियां चीन में चल रही हैं. इनमें टाटा स्टील, जगुआर लैंड रोवर, टीसीएस और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज शामिल हैं. चीन से टाटा ग्रुप की कमाई 2007-08 में एक अरब डॉलर थी जो 2010-11 में बढ़कर 3.7 अरब डॉलर हो गई. उसने पहले से ज्यादा जगुआर और लैंड रोवर गाडिय़ां बेचीं. चीन 2010 में अमेरिका को पछाड़ कर दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार हो गया. महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने चीन में दो संयुक्त उपक्रम कंपनियों महिंद्रा (चीन) ट्रैक्टर कंपनी और महिंद्रा यूएदा (यानचेंग) ट्रैक्टर कंपनी स्थापित की हैं और वहां 75 हॉर्सपावर से कम शक्ति के ट्रैक्टर बाजार में उसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी की है. चीन में सीआइआइ के मुख्य प्रतिनिधि माधव शर्मा का कहना है, ''कंपनियों को चीन में अपने इन्वेस्टमेंट के बारे में धीरज से काम लेना चाहिए और इन्वेस्टमेंट के अनुपात में तेजी से लाभ की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. मजदूरी की कीमतें बढ़ रही हैं इसलिए कंपनियों को तटवर्ती इलाकों की बजाए भीतरी हिस्सों में जाने के बारे में सोचना चाहिए.”
कोयंबटूर की लक्ष्मी मशीन वर्क्स कंपनी ने चीन में 2008 में अपने पूर्ण स्वामित्व में एलएमडब्ल्यू टेक्सटाइल मशीनरी कंपनी शुझेऊ में खोली, जहां साल में कताई में काम आने वाले 5 लाख रिंगफ्रेम तकुए (स्पिंडल) बनते हैं. एलएमडब्ल्यू के फाइनेंस डायरेक्टर आर. राजेंद्रन के अनुसार, ''चीन में अच्छी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं. सरकारी मंजूरी तेजी से मिलती है और स्थानीय स्तर पर कच्चा माल मिलने की खूब गुंजाइश है, लेकिन बाजार में कीमतों का बहुत ध्यान रखना पड़ता है.” विदेशी कंपनियों को चीन में कामयाब होने के लिए वहां निवेश की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझना जरूरी है. माधव शर्मा इसकी मिसाल देते हुए बताते हैं, ''अमेरिका की डायरेक्ट सेलिंग कंपनी एमवे को चीन में दुकानें खोलनी पड़ीं क्योंकि वहां डायरेक्ट सेलिंग की अनुमति नहीं है. यह सबक भारतीय कंपनियों के लिए फायदेमंद होगा.”
लागत कम करना है
भारतीय कंपनियों ने देखा कि चीन से तैयार माल जुटाना लागत के हिसाब से बहुत फायदेमंद होता है. मिसाल के तौर पर हैंडसैंट बनाने वाली माइक्रोमैक्स कंपनी ने चीन में ठेके पर माल तैयार करने वाली बड़ी कंपनियों से हैंडसैट बनवाकर लागत में 40 प्रतिशत की बचत कर ली. गोदरेज ग्रुप अपने सभी माइक्रोवेव ओवन और बेबी डाइपर तथा कुछ एयरकंडीशनर चीन से लेता है. यह बात कंपनी के अध्यक्ष आदी गोदरेज ने इंडिया टुडे को एक इंटरव्यू में बताई थी.
चीन में भारतीय दूतावास के अनुसार सरकारी कंपनियों सहित करीब 100 चीनी कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं. भारत को नीतिगत पाबंदियां कम करनी होंगी. सुरक्षा कारणों से भारतीय अधिकारी चीन की टेलीकॉम कंपनियों पर कड़ी नजर रखते हैं. ताजा खबरों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने चीन की हुयावेई और जेडटीई जैसी कंपनियों को ठेके देने से देश की सुरक्षा के लिए खतरों की चेतावनी दी है, क्योंकि यही कंपनियां चीनी सेना को भी सामान देती हैं. फिर भी हुयावेई भारत के बारे में बहुत उत्साहित है. भारत में कंपनी के प्रवक्ता सुरेश वैद्यनाथन कहते हैं, ''पिछले एक दशक में हुयावेई उस क्षेत्र में सबसे आगे डायरेक्ट के साथ निवेश और व्यापार हो गई है जिस पर पश्चिमी कंपनियों का कब्जा रहा करता था. यहां हमारा अनुभव कुल मिलाकर अच्छा रहा है.”
लेकिन जांच पड़ताल और नियंत्रण के दबाव में चीनी निवेश कम होगा. विश्वजीत कहते हैं, ''हमें डर के साये से बाहर निकलना होगा. हम अपने पड़ोसियों को चुन नहीं सकते.” उनका मानना है कि भारत को नियंत्रण लगाने की बजाए चीन से मुकाबला करने की नीति बनानी होगी.