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पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है?

पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है?
स्टॉक मार्केट में जोखिम शामिल होता हैं इसलिए पोजिशनल ट्रेडिंग में भी जोखिम शामिल है। पोजिशनल ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जोखिम हैं, जिनमें कम लिक्विडिटी और ट्रेंड रिवर्सल जोखिम शामिल हैं। जब भी किसी स्टॉक के ट्रेंड में अप्रत्याशित उलटफेर होता है, तो इसके कारण पोजिशनल ट्रेडर का काफी नुकसान होता है।

Positional Trading Meaning in Hindi

अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेड या निवेश करते है तो आपने पोजिशनल ट्रेडिंग के बारे में जरूर सुना होगा। तो आज के इस लेख में हम Positional Trading Meaning in Hindi लेख के जरिए पोजिशनल ट्रेडिंग के प्रत्येक पहलु के वारे में जानेंगे।

यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेड करना चाहते हैं लेकिन इंट्राडे में वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा है और साथ ही आप लंबी अवधि के निवेश के लिए अपने पैसो को लम्बी अवधि के लिए ब्लॉक नहीं करना चाहते हैं, तो पोजिशनल ट्रेडिंग आपके लिए सही विकल्प हो सकता है।

पोजिशनल ट्रेडिंग भी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में आती है जिसमे आपको कुछ दिन या सप्ताह या महीनों के लिए अपनी पोजीशन को होल्ड रखते है। पोजिशनल ट्रेडिंग में आपको एक इंट्राडे ट्रेडर की तरह पूरे दिन स्क्रीन से चिपके रहने की आवश्यकता नहीं है।

जैसा कि आपको पता होगा कि इंट्राडे ट्रेडिंग में बहुत तनाव रहता है, तो आप इन सब से बचना चाहते है तो पोजिशनल ट्रेडिंग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि, आपको यह याद रखना चाहिए कि शेयर मार्केट में निवेश या ट्रेडिंग का कोई भी रूप बिना जोखिम का नहीं है। प्रत्येक निवेश या ट्रेड अपने स्वयं के जोखिमों के साथ आता है और इसलिए आपको निवेश या ट्रेड करने से पहले उन सभी जोखिमों के बारे में समझना बहुत महत्वपूर्ण है।

What is Positional Trading in Hindi

पोजिशनल ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग शैली है। पोजिशनल ट्रेडिंग हमें लंबे समय तक शेयर मार्केट में अपनी पोजीशन बनाए रखने और रखने की अनुमति देती है। यह समय अवधि कुछ दिन या एक सप्ताह या एक महीने की भी हो सकती है।

पोजिशनल ट्रेडर स्टॉक मार्केट में हो रहे छोटे मूवमेंट से प्रभावित नहीं होते है, यह किसी स्टॉक में लंबी अवधि के ट्रेंड से प्रॉफिट अर्जित करने की तलाश में रहते है। एक तरह से कहे तो पोजिशनल ट्रेडिंग निवेश के ही समान है, लेकिन इनमे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि निवेशक स्टॉक को खरीदने और रखने तक ही सीमित होते है। जबकि पोजिशनल ट्रेडर किसी स्टॉक के अपट्रेंड की शुरुआत में ट्रेड लेते है और जब तक वह लॉन्ग ट्रेंड चलता है तब तक वह उस ट्रेड में बने रहते है।

अभी तक आप Positional Trading Meaning in Hindi लेख में पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? समझ गए होंगे, अभी हम समझते है कि इंट्राडे ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

इंट्राडे ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

इंट्राडे ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग दोनों शैलियों को समझकर, आप यह चुन सकते हैं कि आपकी आवश्यकताओं के लिए कौन सी ट्रेडिंग शैली आपके लिए उपयुक्त है।

इंट्राडे ट्रेडिंग

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, इंट्राडे ट्रेडिंग में हम जिस दिन किसी स्टॉक में पोजीशन बनाते है हमें उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले उस पोजीशन को निकालना होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में अगर आप अपनी पोजीशन मार्केट बंद होने से पहले स्क्वायर ऑफ नहीं करते है तो आपका ब्रोकर स्वचालित रूप से खुद ही पोजीशन को स्क्वायर ऑफ़ कर देगा।

एक इंट्राडे ट्रेडर के रूप में, आपको अपनी ट्रेड को मार्केट बंद होने से पहले निकालना होता है, भले ही वह ट्रेड प्रॉफिट या नुकसान में बंद हो। इसलिए, इंट्राडे ट्रेडिंग का उद्देश्य छोटे मूवमेंट से लाभ कमाना है।

क्या पोजिशनल ट्रेडिंग आपके लिए सही है?

सभी निवेशकों और ट्रेडर्स को अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों के के आधार पर सही ट्रेडिंग शैली का चुनाव करना चाहिए, और इसके साथ ही प्रत्येक ट्रेडिंग शैली के अपने फायदे और नुकसान हैं।

अगर आप नौकरी करते है या कोई व्यवसाय करते है जिसके चलते आपको अधिक समय नहीं मिल पाता है तो पोजिशनल ट्रेडिंग आपके लिए विल्कुल सही है। क्योंकि पोजिशनल ट्रेडिंग में आप मार्केट को बहुत कम समय देने के बावजूद अच्छा पैसा कमा सकते है।

पोजिशनल ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग शैली है जिसमे हमें स्टॉक को कुछ दिनों से लेकर कुछ महीने तक भी होल्ड करके रखना पड़ सकता है इसलिए आपके पास पोजिशनल ट्रेडिंग करने के लिए फ्री कैश होना चाहिए जिसकी आपको आने वाले कुछ समय में आवश्यकता न हो।

अगर आपके पास समय की कमी है और फिर भी अच्छा पैसा कमाने चाहते है तो पोजिशनल ट्रेडिंग आपके लिए विल्कुल सही है।

पोजिशनल ट्रेडिंग क्या होता है? Positional Trading Kya Hota Hai

शेयर बाजार में एक महीने से ज्यादा और एक साल के अंदर किया जाने बाला ट्रेडिंग को पोजिशनल ट्रेडिंग कहते है। शेयर बाजार में समय के आधार पर 3 तहर के ट्रेडिंग होते जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग ( 1 दिन के अंदर) , स्विंग ट्रेडिंग ( < 1 महीना ) और पोजिशनल ट्रेडिंग ( > 1 महीना ) । आप पोजिशनल ट्रेडिंग कैश में शेयर की डिलीवरी ले कर कर सकते है अथवा आप डेरिवेटिव्स में फ्यूचर और ऑप्शन कॉन्ट्रक्ट ख़रीद कर कर सकते है।आपको अच्छे से फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में जानने केलिए पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? नीच दिए गए लेक को पढ़े।

पोजिशनल ट्रेडिंग क्या होता है?

इक्विटी बाजार में ट्रेडिंग 2 सेगमेंट होते है

1) कैश ट्रेडिंग

इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप मॉर्निज के बिना आपके खुदके पैसों ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप शेयर की दिलीविरी लेकर खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत कम रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम भी बहोत कम होता है। शेयर बाजार में पेशे आदर ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग नहीं करते है । इसमें लेवल लघु समय ( < 1 वर्ष ) के निवेशक ट्रेडिंग करते है।

2) डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग

इस प्रकार के ट्रेडिंग में आप ब्रोकर मॉर्निज पैसों के साथ आपके ट्रेडिंग कर सकते है। इसमें आप स्टॉक ( ITC , HDFC , Reliance ) , करेंसी ( USD/INR ) , इंडेक्स ( NIFTY 50 / SENSEX ) और कमोडिटी ( Cruid Oil , Gold , Silver ) की दिलीविरी लिए बिना खरीद और बिक्री कर ट्रेडिंग करते है। इसमें आपको बहोत ज्यादा रिटर्न्स मिलता है। मगर इसमें आर्थिक जोखिम बहोत ज्यादा होता है। शेयर बाजार में पेशेदार ट्रेडर इस तरह के ट्रेडिंग करते है ।

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग 2 तरह के होते है

a) फ्यूचर ट्रेडिंग

शेयर मार्किट में फ्यूचर ट्रेडिंग या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग का मतलब होता हे की आप किसी भी स्टॉक / इंडेक्स को उसकी एक्सपाइरी डेट से पहले खरीद या बेच सकते हे, कोई भी फिक्स प्राइस पर।

b) ऑप्शन ट्रेडिंग

शेयर बाजार मेंहर दिन शेयर और इंडेक्स की मूल्य ऊपर नीचे होते रहता है । इस में अगर आप किसी शेयर को भबिष्य के किसी निधारित मूल्य (strick price) में बेचना और ख़रीदना हो तो आपको किसी के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट करना होता है । इस को आसान भासा में स्टॉक हेजिंग कहे ते है इस के निबेश की रिस्क कम होजा ता है । सभी कॉन्ट्रैक्ट का एक निधारित समय सीमा होता है । इसी कॉन्ट्रैक्ट (Option) को बेचना और खरीदना को option trading कहते है ।

ट्रेडिंग करने केलिए सबसे अच्छी ट्रेडिंग कंपनी कौन सी है?

बाजार में बहोत सारे ऐप है जो कि ऑप्शन ट्रेडिंग देते है मगर सबमें अलग ब्रोकेज चार्ज और मार्जिन के नियम अलग अलग है । इस लिए आपको बहोत सावधानी से अपना ब्रोकर चुने । में आपको कुछ ब्रोकर की सलाह देसकता है ।

1. जेरोधा सेकुरिट्स
2. ऐंजल ब्रोकिंग
3. मोतीलाल ओसबल सेकुरिट्स
4. IIFL सेकुरिट्स
5. उप स्टॉक

इंट्राडे और पोजिशनल ट्रेडिंग में तुलना: आपको कौन सा पसंद करना चाहिए?

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स्टॉक पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? मार्किट में निवेश सबसे अधिक मांग वाले कौशल में से एक है, यही कारण है कि लाखों लोग हर दिन सार्वजनिक एक्सचेंजों पर ट्रेड और पैसा लगाते हैं। एक ट्रेडर के रूप में शुरू करते समय दो तरीके होते हैं जिनमें कोई ट्रेड कर सकता है: पोजिशनल या इंट्राडे ट्रेडर के रूप में। आप या तो ट्रेड कर सकते हैं (इंट्राडे) या आप लंबी अवधि (पोजिशनल ट्रेडिंग) में इनसे अपना मुनाफा निकालने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार कर सकते हैं। इन दोनों रणनीतियों का आमतौर पर अभ्यास किया जाता है व्यापारियों के बीच इंट्राडे ट्रेडिंग को अधिक पसंद किया जाता है।

यदि आप मुख्य रूप से थोड़े ही समय के लिए लाभ चाहते हैं, तो कोशिश करने के लायक ट्रेडिंग का एक रूप इंट्राडे ट्रेडिंग है। वास्तव में, इस प्रकार के व्यापार में एक ही व्यापारिक दिन के भीतर स्टॉक के साथ-साथ अन्य वित्तीय साधनों की खरीद और बिक्री शामिल है। इसलिए, इंट्राडे ट्रेडिंग का उद्देश्य छोटे बाजार की गतिविधियों पर कब्जा करना है। हालांकि, एक और तरीका है जिससे कोई शेयर बाजार के माध्यम से लाभ कमा सकता हैं: पोजिशनल ट्रेडिंग। पोजिशनल ट्रेडिंग को इंट्राडे ट्रेडिंग और लंबी अवधि के निवेश के बीच में रखा जा सकता है।

Positional Trading क्या है – पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे

आज हम इस पोस्ट में जानेंगे कि Positional Trading Kya Hai और Positional Trading Kaise Kare. लोग हर साल लाखों रुपए का मुनाफा कमाते हैं क्योंकि यह ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग है जो कि आपको अन्य ट्रेडिंग और से ज्यादा मुनाफा कमा कर दे सकती हैं चलिए जानते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे.

Positional Trading Kya Hai

Positional Trading Kya Hai

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Positional Trading Meaning in Hindi

Positional Trading का Hindi Meaning “स्थिति का व्यापार” करना होता है। इस ट्रेडिंग में हम लोग एक महीने से ज्यादा की ट्रेडिंग करते है.

Positional Trading Kya Hota Hai

जिस ट्रेडिंग में हम 1 महीने से ज्यादा की ट्रेडिंग करते है उसे ही Positional Trading कहा जाता है.

Positional Trading Kya Hai

What is Positional Trading in Hindi: स्टॉक मार्केटिंग की एक इसी स्ट्रेटेजी है जिसमे हम किसी भी एक कंपनी के शेयर को कम से कम 1 महीने से लेकर 1 साल के अन्दर तक होल्ड कर के रखते है. इसके बाद जब उस शेयर में उछाल आये तब आप उसको बैच कर मुनाफा कमा सकते है.

Positional Trading में हम Share को 1 महीने से लेकर 1 साल के अन्दर तक होल्ड करके रख सकते है. इसके बाद जब शेयर मार्केट में उछाल आता है. अप इस शेयर को बैच कर मुनाफा कमाते है.

उदाहारण के तौर पर आप किसी भी कंपनी के शेयर को 1000 रूपए के 10 शेयर को खरीदते है. जिसके कुछ महीने बाद उस शेयर में 20% का उछाल आता है. आप इस शेयर को इस भाव में बैच देते है. जिससे पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? आपके यह 1000 के शेयर की कीमत 1200 रूपए हो जाती है. इस तरह आप इसमें 200 रूपए का प्रॉफिट कमा लेते है.

Positional Trading Kaise Kare

Positional Trading करने के लिए आपको सबसे पहले यह तय करना है की आप शेयर को कितने दिन रख सकते है. आप शेयर को कम से कम 1 महीने तक जरुर होल्ड करके रखे. जिससे आपको इसमें नुकशान होने की उम्मीद ना रहे.

इसके बाद आप किसी भी एक कंपनी के शेयर को खरीद सकते है. उदाहरण के तौर पर आप किसी भी कंपनी के 2000 की प्राइस के 10 शेयर को खरीदते है. इसके बाद आप 1900 की प्राइस के 10 शेयर और खरीद लीजिये.

इसके कुछ महीने बाद इसी एक शेयर की कीमत बढ़ कर 2500 हो जाती है. तो आपको एक शेयर पर 500 रूपए का प्रॉफिट हो जाता है. इसी तरह आपके पास 20 शेयर के 10,000 रूपए का प्रॉफिट हो जाता है.

Positional Trading Me Stop Loss Kaise Lagaye

Positional Trading में स्टॉप लोस लगाने के लिए आपको सबसे पहले इसकी एक योजना बनानी होगी. इसमें आपको यह तय करना होगा की शेयर के कितना निचे गिरने पर अपने आप बिक जाये और कितना प्रॉफिट होने पर वो शेयर अपने आप बिक जाए.


पोजीशनल ट्रेडिंग में stoploss कैसे लगाये

इस ट्रेडिंग स्ट्रेटजी (POSITION TRADING KYA HAI) में STOPLOSS लगाने के लिये आपको एक योजना बनानी होगी। जिससे आपको पता हो कि कहा में अपना लॉस बुक कर के स्टॉक से बाहर निकल जाये ।इसे रिस्क मैनजमेंट कहते है।जिससे आप बहुत ज्यादा नुकसान होने से बच सकते है।

स्टॉक मार्केट में हर बार जितने के लिये कभी कभी हारना भी सिखाना पड़ता है।

क्योकि हार के जितने वाले को ही बाजीगर कहते है।😁

इसे उदाहरण के जरिए समझते हैं मान लीजिए किसी शेयर का प्राइस ₹100 है और आपने उसके 10 शेयर खरीद लिए और शेयर खरीदने के बाद आपने उसमें स्टॉप लॉस ₹95 का लगाया हैं और टारगेट 120 रुपये लगाया यदि आपका स्टॉपलॉस हिट होता है तो आपको आपकी कैपिटल के एक शेयर पर ₹5 रुपये का नुकसान अर्थात ₹50 रुपये का नुकसान होगा और आपका टारगेट प्राइस हिट हो जाता है तो ₹200 का प्रॉफिट प्राप्त हो जाता है।

पोजीशनल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

ट्रेडिंग या position ट्रेडिंग (POSITION TRADING KYA HAI)के लिए बहुत से ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है लेकिन एक ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग, अपने अनुभव व अपने skill के अनुसार करता है ।

ट्रेडिंग करने के लिए ज्यादातर ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं, और फंडामेंटल एनालिसिस का भी उपयोग करते हैं। इन दोनों को मिलाकर एक और स्ट्रैटेजी होती है जिसे टेक्नो फंडामेंटल एनालिसिस स्ट्रेटेजी कहते हैं। जिसमें ट्रेडर किसी शेयर के टेक्निकल व फंडामेंटल दोनो को देख पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? कर ट्रेडिंग करता है।

टेक्निकल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है

Technical trading strategy के लिए एक ट्रेडर शेयर के प्राइस जैसे उप ट्रेंड, डाउन ट्रेंड, साइड वेज ट्रेंड, उसके चार्ट पेटर्न कैंडलस्टिक पैटर्न ,सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस टेक्निकल इंडिकेटर जैसे RSI MOVING AVERAGEआदि को देखकर ट्रेडिंग करता है तथा अपना प्रॉफिट व स्टॉपलॉस भी प्राइस के अनुसार ही तय करता है।


पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे

Positioner trading मैं रिस्क बहुत कम होता है क्योंकि यह लंबी अवधि के लिए होता है जिसे छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव में ट्रेडर को कोई नुकसान नहीं होता है।

पोजीशनल ट्रेडिंग तनाव रहित ट्रेडिंग है इसमें स्विंग ट्रेडिंग व इंट्राडे ट्रेडिंग कितना तनाव नहीं रहता है।

पोजीशनल ट्रेडिंग (POSITION TRADING KYA HAI) में हम इसे पार्ट टाइम की तरह कर सकते हैं क्योंकि इसमें हमें डे ट्रेडिंग की तरह हमेशा चार्ट देखना नहीं पड़ता है और इसमें हमें कम ट्रेड लेने होते हैं तथा हम किसी भी कंपनी के शेयर को अच्छे से एनालाइज कर उसमें अपना पोजीशन पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है? बनाकर अच्छा खासा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए हम किसी शेयर को खरीदते हैं तो उसमें हमारा स्टॉप लॉस हिट होने की संभावना बहुत कम रहती है क्योंकि इसमें valatility की मात्रा बहुत ही कम होती है जिससे नुकसान ना के बराबर होता है।

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