विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां

USD अल्पकालिक

USD अल्पकालिक
पिछले हफ्ते, सेंट्रल बैंक ने चिली की जीडीपी वृद्धि के USD अल्पकालिक अपने अनुमानों को 1.5-2.5% के पिछले एक से 1-2% की सीमा तक कम कर दिया, इस तथ्य के कारण कि 2021 के अंत से चिली की अर्थव्यवस्था अपने उच्च स्तर को कम कर रही होगी खर्च “उम्मीद से कुछ तेज दर पर।”

El Banco Central redujo sus estimaciones de crecimiento del PIB de Chile, a un rango de 1-2% (EFE/Felipe Trueba)

डेली न्यूज़

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी तरलता प्रबंधन पहल के हिस्से के रूप में 5 बिलियन डॉलर-रुपए की स्वैप नीलामी आयोजित की। इस कदम से डॉलर का प्रवाह मज़बूत होगा और वित्तीय प्रणाली से रुपए की निकासी होगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मांग आधारित मुद्रास्फीति में निम्नलिखित में से किसके कारण/वृद्धि हो सकती है? (2021)

1. इक्स्पैन्सनरी पालिसी
2.राजकोषीय प्रोत्साहन
3. मज़दूरी का मुद्रास्फीति-सूचकांक
4. उच्च क्रय शक्ति
5. बढ़ती ब्याज दरें

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (a)

डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी:

  • यह एक विदेशी मुद्रा उपकरण (Forex Tool) है जिससे केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का उपयोग दूसरी मुद्रा या इसके विपरीत खरीद के लिये करता है।
  • डॉलर-रुपया खरीद / बिक्री स्वैप: केंद्रीय बैंक भारतीय रुपए (INR) के बदले बैंकों से डॉलर (अमेरिकी डॉलर या USD) खरीदता है और तुरंत बाद की तारीख में डॉलर बेचने का वादा करने वाले बैंकों के साथ एक विपरीत (रुपए को बकना) सौदा करता है।
  • जब केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री की जाती है तो समान मात्रा में रुपए की निकासी होती है, इस प्रकार सिस्टम में रुपए की तरलता को कम होती है।
    • इन स्वैप परिचालनों (Swap Operations) में कोई विनिमय दर या अन्य बाज़ार जोखिम नहीं होते हैं क्योंकि लेन-देन की शर्तें अग्रिम रूप से निर्धारित की जाती हैं।
    • RBI ने बैंकों को 5.135 बिलियन अमेरिकी डाॅलर बेचे और साथ ही स्वैप निपटान अवधि के अंत में डॉलर को वापस खरीदने के लिये सहमति प्रदान की है।
    • यहाँ आशय यह है कि केंद्रीय बैंक विक्रेता से डॉलर प्राप्त करता है तथा दो वर्ष की अवधि के लिये संभव न्यूनतम प्रीमियम वसूल करता है।
    • तद्नुसार नीलामी की निचली सीमा पर बोली लगाने वाले बैंक नीलामी में सफल होते हैं।
      • डॉलर की दर 75 रुपए मानकर सिस्टम की तरलता 37,500 करोड़ रुपए कम हो जाएगी।

      विगत वर्षों के प्रश्न

      प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या निम्नलिखित में से किसकी अनुपलब्धता से संबंधित है? (2015)

      (a) वस्तुओं और सेवाओं
      (b) सोना और चांदी USD अल्पकालिक
      (c) डॉलर और अन्य कठोर मुद्राएँ
      (d) निर्यात योग्य अधिशेष

      आरबीआई अब इसका सहारा क्यों ले रहा है?

      • सिस्टम में अधिशेष तरलता 7.5 लाख करोड़ रुपए आँकी गई है, जिसे मुद्रास्फीति को संतुलित रखने के लिये रोकने की ज़रूरत है।
      • आमतौर पर केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाने या नकद आरक्षित अनुपात (CRR) बढ़ाने जैसे पारंपरिक साधनों का सहारा लेता है लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
        • यह नकारात्मक प्रभाव मौद्रिक नीति के अधूरे रूप में देखा जा सकता है।
        • इसलिये आरबीआई द्वारा पिछले वर्ष एक अलग टूलकिट- वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो ऑक्शन ( Variable Rate Reverse Repo Auction - VRRR ) का इस्तेमाल किया गया।
        • तरलता को कम करना: प्रमुख रूप से तरलता प्रभावित होगी जो वर्तमान में औसतन लगभग 7.6 लाख करोड़ रुपए घटेगी।
        • भारतीय रुपए के मूल्यह्रास की जाँच: बाज़ार में डॉलर के प्रवाह से रुपए को मज़बूती मिलेगी जो पहले ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर पर पहुँच चुका है।
        • मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: जब मुद्रास्फीति में वृद्धि का खतरा होता है तो आरबीआई आमतौर पर सिस्टम में तरलता को कम कर देता है। निम्नलिखित कारकों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ना तय है:
          • तेल की कीमतों में वृद्धि:रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति बढ़ना तय है।
          • संस्थागत निवेश का बहिर्वाह: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से USD अल्पकालिक धन निकाल रहे हैं। उन्होंने मार्च 2022 में अब तक भारतीय USD अल्पकालिक शेयरों से 34,000 करोड़ रुपए निकाल लिये हैं, जिसका रुपए पर गंभीर दबाव पड़ा है।

          विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर का USD अल्पकालिक आंकड़ा पार करने की सम्भावना: भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

          वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के मूल्य के बराबर है। वर्ष 1991 में भारत के पास केवल तीन सप्ताह के आयात के मूल्य के बराबर का विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था। अच्छी तरह से निष्पादित की गयी नीतियां ही इस वृद्धि का कारण है।

          Forex Reserves to hit USD 400 Billion Impact on Indian Economy

          एक हालिया रिपोर्ट में, अग्रणी वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। 16 अगस्त 2017 में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल मजबूत पूंजी प्रवाह और कमजोर कर्जों के उठाव से प्रेरित USD अल्पकालिक है।

          उष्ण कटिबंधीय जलवायु (Tropical climate)

          अयनवृत्तों (कर्क और मकर रेखाओं) के मध्य स्थित क्षेत्र की जलवायु जो सामान्यतया उष्ण होती है। इस कटिबंध में अधिकांश महीनों में तापमान ऊँचा रहता है और अधिकांश वर्षा ग्रीष्म काल में होती है। भूमध्य रेखा के निकट दैनिक तथा वार्षिक तापांतर लगभग नगण्य होता है किंतु कर्क और मकर रेखाओं के पास यह अंतर अपेक्षाकृत् बढ़ जाता है। इस कटिबंध में ग्रीष्मकाल लम्बा और शीतकाल छोटा होता है जबकि भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्रों में शीतऋतु का प्रायः अभाव मिलता है। उष्ण कटिबंधीय जलवायु के अंतर्गत कई प्रकार की जलवायु सम्मिलित हैं। यथा-भूमध्य रेखीय जलवायु, मानसूनी जलवायु, सवाना जलवायु और शुष्क रेगिस्तानी जलवायु।

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