विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम

मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट का दौर जारी है और यह आरबीआई द्वारा भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके इसे संभालने की कोशिशों को धता बताते हुए प्रति डॉलर 79 रुपये से ज्यादा नीचे गिर चुका है. सिर्फ एक पखवाड़े में ही रिजर्व बैंक ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री की है.
बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, अक्टूबर, 2021 के 642 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर से 50 अरब अमेरिकी डॉलर घट गया है. इसके अलावा तेल-गैस का एक बड़ा आयातक होने के नाते ज्यादातर विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से भी दो-चार है. ठोस आंकड़ों में तब्दील करें, तो भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
इस साल, पूंजी प्रवाह (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश-एफडीआई) दोनों ही काफी कमजोर रहे हैं. एलआईसी के शेयरों के विनिवेश को लेकर जिस तरह से बहुत उत्साह नहीं दिखा, उससे यह स्पष्ट है कि विदेशी संस्थागत निवेशक बेहद लाभदायक भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों की परिसंपत्तियों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
विदेशी निवेशक अपने निवेश फैसलों को तब तक रोक कर रखेंगे, जब तक कि रुपये में गिरावट/अवमूल्यन पूरी तरह हो नहीं जाता है और यह नया स्थिर स्तर प्राप्त नहीं कर लेता है. यूक्रेन युद्ध के बाद और तेल-गैस और खाद्य पदार्थों की बढ़ रही कीमतों की पृष्ठभूमि में रुपये का नया स्तर क्या है? ज्यादातर वैश्विक निवेशक इस बात की थाह लेना चाहते हैं.
जापानी इनवेस्टमेंट रिसर्च हाउस नोमुरा ने डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के 82 रुपये तक जाने का अनुमान लगाया है. वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सावधानी के साथ यह बता दिया कि वैश्विक आर्थिक हालातों को देखते हुए 80 रुपये प्रति डॉलर का मूल्य तर्कसंगत होगा.
सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने यह स्वीकार किया कि 2022-23 में भारत 30 से 40 अरब डॉलर के नकारात्मक चालू खाते के घाटे का सामना कर सकता है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी तुरंत ही जोड़ा कि यह कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि इतनी रकम विदेशी मुद्रा भंडार से ली जा सकती है.
आरबीआई के डेटा के आधार पर इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट एक और गंभीर चिंता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अगले 9 महीनों में 267 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना होगा. यह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का करीब 44 प्रतिशत है. क्या वैश्विक मुद्रा संकुचन के हालात में यह एक और जोखिम का सबब बन सकता है?
एक तरफ नागेश्वरन यह तर्क दे रहे हैं कि खतरे की घंटी बजाने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन सरकार के कुछ कदमों से ऐसा लगता है यह काफी चिंतित है.
वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे घरेलू कच्चा तेल उत्पादकों पर एक बड़ा विंडफॉल टैक्स (अचानक और अप्रत्याशित हुए मुनाफे पर लगाया गया कर)- करीब 40 डॉलर प्रति बैरल का- लगा दिया. इसने डीजल, पेट्रोल और निर्यातित एटीएफ पर एक अच्छा खासा 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात कर भी लगा दिया. इससे मुख्य तौर पर आरआईएल (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड) पर प्रभाव पड़ेगा, जो अपने रिफाइंड उत्पादों का 90 फीसदी से ज्यादा निर्यात करती है.
पिछले कुछ महीनों से आरआईएल ने जमकर मुनाफा कमाया है. यह रूस से काफी सस्ता और कीमत में काफी छूट के साथ मिला कच्चा तेल खरीदकर अपने उत्पादों, मुख्य विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम रूप से डीजल की बिक्री यूरोपीय संघ और अमेरिका को कर रही था. कुछ जानकारों का कहना है कि आरआईएल को प्रति बैरल पर 35 डॉलर से ज्यादा मुनाफा हो रहा था.
जेपी मॉर्गन का कहना है कि सरकार द्वारा निर्यात कर लगाए जाने के बाद मुनाफा घटकर 12 से 13 डॉलरर प्रति बैरल पर आ सकता है. हालांकि इसके बाद भी रिलायंस को अपने निर्यात पर अच्छा-खासा लाभ होगा.
सरकार ने सोने के आयात पर भी आयात शुल्क को बढ़ा दिया है. उसे उम्मीद है कि इससे सोने का विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम आयात कम होगा और भारत के कीमती विदेशी मुद्रा भंडार को सहेजा जा सकेगा.
समस्या यह है कि ये सब चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखने के मकसद से टुकड़े-टुकड़े में लिए गए फैसले हैं. खाद्य पदार्थो, स्टील, तेल आदि पर निर्यात प्रतिबंध लगाने का मकसद घरेलू मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना है, लेकिन इससे निर्यात से होने वाली कमाई में भी कमी आती है, खासकर ऐसे समय में जब विदेशी मोर्चे का जोखिम बढ़ रहा है. इसलिए, घरेलू महंगाई पर नियंत्रण और विदेशी मोर्चे को स्थिर करने के बीच, केंद्र की स्थिति काफी दुविधा वाली हो गई है.
सरकारें माइक्रो पॉलिसी के स्तर पर जितना रद्दोबदल करती हैं, मैक्रो मैनेजमेंट का काम उतना अनिश्चित और कठिन होता जाता है. भारत विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम में अभी यही हो रहा है.
तेल कंपनियों पर विंडफॉल लाभ पर कर लगाकर जमा किए गया धन बढ़ रहे राजकोषीय घाटे को पाटने में आंशिक तौर पर मदद करेगा. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि कुल अतिरिक्त खर्च सरकार द्वारा लगाए गए सभी विंडफॉल करों को शामिल करने के बावजूद बजट के अनुमानों से 3.5 से 4 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है.
खराब हो रहे वैश्विक आर्थिक हालात के बीच बढ़ रही राजकोषीय चुनौती को कम करके नहीं आंका जा सकता है.
बढ़ी हुई बेरोजगारी के बीच भारत में एक के बाद होने वाले चुनावों में लोक-कल्याण के नए-नए वादे किए जाते हैं. इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदार लोक-कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिये ज्यादा समग्र लोक-कल्याणवाद वादा भी राजकोषीय खर्च को बढ़ावा देता है.
जहां तक मैक्रो या व्यापक स्तर का सवाल है, तो दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी होंगी कि भारत अपने दोहरे घाटे- राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे से कैसे निपटता है.
आखिरकार इन दो संकेतकों का मैक्रो मैनेजमेंट ही विनिमय दर की स्थिरता, मुद्रास्फीति और संवृद्धि का निर्धारण करेगा. अल्पकालिक नजरिये से उठाए जाने वाले कदमों से एक सीमा के बाद कोई फायदा नहीं पहुंचेगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम
विदेशी मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड स्तर पर, 575 अरब डॉलर के पार पहुंचा
नई दिल्ली। देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक बाऱ फिर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 20 नवंबर को विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम समाप्त हुए सप्ताह में भंडार में 2.518 अरब डॉलर की बढोतरी हुई है और ये 575.29 अरब डालर के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी है। इससे पिछले 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.277 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर हो गया था। सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों एफसीए) का बढ़ना है। ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार सप्ताह को दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 2.835 अरब डॉलर बढ़कर 533.103 अरब डॉलर हो गयीं। एफसीए को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 33.9 करोड़ डॉलर घटकर 36.015 अरब डॉलर रहा। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 1.492 अरब डॉलर और आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 1.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.680 अरब डॉलर रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 126 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है। वहीं इस वित्त वर्ष में अब तक रिजर्व में करीब 97 अरब डॉलर की बढ़त रही। फॉरेन करंसी एसेट भी पिछले एक साल के दौरान 116 अरब डॉलर और वित्त वर्ष में अबतक 90.8 अरब डॉलर बढ़ गया है। किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। फिलहाल भारत का विदेशी मुद्रा भंडार डेढ़ साल से ज्यादा वक्त के आयात के लिए पर्याप्त है। साल 2004 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने 100 अरब डॉलर की सीमा पार की थी, वहीं जून 2020 के पहले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया। जून के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर ही बना हुआ है।
Alert Star Digital Team
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अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 6.05 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा के साथ बाप-बेटा गिरफ्तार
अमृतसर। श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (NGRDJI) अमृतसर पर विदेश जाने वाले यात्री के सामान से छह करोड़ पांच लाख रुपए की विदेशी मुद्रा के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। युवक की पहचान मनदीप सिंह निवासी आटा मंडी अमृतसर के रूप में हुई है। मनदीप एयर विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम इंडिया की फ्लाइट से अमृतसर से दुबई रवाना होने वाला था।
सीमा शुल्क (निवारक) आयुक्तालय, अमृतसर द्वारा दी गई जानकारी अनुसार रविवार की शाम को, एसजीआरडीजेआई हवाई अड्डे में अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान पर एक्स-रे मशीन पर एयरलाइंस स्टाफ द्वारा आउटगोइंग अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के सामान की सुरक्षा जांच के दौरान, एक बैग में कुछ संदिग्ध छवियां देखी गईं। एयरलाइंस के कर्मचारियों ने ड्यूटी पर तैनात सीमा शुल्क अधिकारियों को सतर्क किया। इसके बाद, सीमा शुल्क अधिकारियों ने यात्री की प्रोफाइलिंग की और उसे संदिग्ध पाया गया। इसलिए पैक्स की आवाजाही पर नजर रखी गई।
यात्री ने एयरलाइन के काउंटर पर संदिग्ध बैग को चेक-इन-बैगेज के रूप में सौंपने के बाद, आव्रजन जांच के लिए आगे बढ़े और अपने पासपोर्ट पर मुहर लगा दी। इसके बाद, यात्री को रोका गया और पूछा गया कि क्या वह अपने साथ कोई अत्यधिक भारतीय या विदेशी मुद्रा ले जा रहा था, या तो चेक-इन-बैगेज या हैंड बैग में, जिसका उसने नकारात्मक उत्तर दिया। हालांकि, उसका चेक-इन-बैग, जो सीमा शुल्क पर था, एयरलाइंस से बुलाया गया था और उसकी जांच के परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा के 80 पैकेट बरामद हुए जो विशेष रूप से बनाए गए गुहाओं में छुपाए गए थे। इसमें 7,55,700 अमेरिकी डालर थे, 26500 सऊदी रियाल थे और बाकी 26500 ओमानी रियाल और कुवैती दिनार थे।
यात्री अपने वैध अधिग्रहण, कब्जे और निर्यात के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका। इसके बाद यात्री को उतार दिया गया था। यात्री से संबंधित आवास और दुकान की तलाशी ली गई और संबंधित यात्री और उनके पिता को हिरासत में ले लिया गया है। आगे की जांच जारी है।
वीजा घोटाले में यूएई में फंसे कई भारतीय
समस्या का सटीक पैमाना इस तथ्य के कारण अपेक्षाकृत अज्ञात है कि विज़िट वीज़ा या टूरिस्ट वीज़ा भारत और संयुक्त अरब अमीरात के रोजगार या प्रवासन रिकॉर्ड में नहीं दिखाई देते हैं.
संयुक्त अरब अमीरात में शोषक नियोक्ता वीजा घोटाले में भारतीय नागरिकों को काम पर रखने के लिए पर्यटक वीजा का तेजी से उपयोग कर रहे हैं जो प्रवासी श्रमिकों को श्रम दुर्व्यवहार के लिए उजागर करता है।
संयुक्त अरब अमीरात के वर्क परमिट की तुलना में विजिट वीजा बहुत तेज और सस्ता है।
आम तौर पर, प्रवासी श्रमिक, जैसे कि भारत के लोग, आमतौर पर नौकरी पर शोषित होने की रिपोर्ट नहीं करते हैं क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात में उनकी अवैध स्थिति को तब प्रकाश में लाया जाएगा।
जैसा कि द्वारा की सूचना दी अल जज़ीरायूएई में स्थानीय पुलिस, श्रमिकों और वकीलों का मानना है कि प्रवासी श्रमिकों के शोषण की प्रवृत्ति बढ़ रही है। 3 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी यूएई में हैंउनमें से कई ने मेगा निर्माण परियोजनाओं पर काम करने के लिए अल्प सूचना पर काम पर रखा।
तेलंगाना में इमिग्रेंट्स वेलफेयर फोरम के अध्यक्ष भीम रेड्डी के अनुसार, "नियोक्ताओं और नियोक्ताओं ने मिलीभगत की है और इस यात्रा वीजा मार्ग का आविष्कार किया है"।
एक अनुमान पर रेड्डी का दावा है कि जुलाई 10,000 से विजिट वीजा पर देश में प्रवेश करने के बाद तेलंगाना के कम से कम 2019 प्रवासियों को यूएई में काम मिला है.
एक पेपर ट्रेल छोड़कर दूतावास द्वारा वर्क परमिट जारी किया जाता है। दूसरी ओर, यात्रा वीजा, एयरलाइनों और होटलों द्वारा बेचे जाते हैं, जिससे प्रवासी श्रमिकों को कोई अधिकार नहीं मिलता है और साथ ही नियोक्ताओं को सभी जिम्मेदारी से मुक्त किया जाता है।
अक्सर, हवाईअड्डे पर ही एजेंट द्वारा पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है या प्रवासी श्रमिक से छीन लिया जाता है।
भारत से संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय कामगारों का प्रवास वास्तव में कोई नई बात नहीं है और यह कई दशकों से है। बहरहाल, श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए पर्यटक वीजा का उपयोग करना एक नया चलन है।
ऐसे सभी वीज़ा घोटालों से बचने के लिए, विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से अपने वीज़ा प्रसंस्करण को प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।
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