प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार

प्रदेश में अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति और घटनाएं
शांतिप्रिय कहे जाने वाले प्रदेश हिमाचल में नब्बे के दशक के बाद अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। देवभूमि हिमाचल में चोरी चकारी की घटनाएं तो होती ही नहीं थीं। लोगों को आपसी विश्वास और दूसरे लोगों पर अत्यधिक भरोसा था। हिमाचल क्योंकि पहाड़ी राज्य है और देश-विदेश के पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है, जऱा सी चौकसी में ढील किसी भी अराजक तत्त्व को हिमाचल में प्रवेश के द्वार खोल देती है। दूसरे राज्यों से लोगों का हिमाचल में मज़दूरी की तलाश में पलायन अपराध की शुरुआत करने के लिए काफी था जिनमें छोटी चोरियां शामिल थी। सत्तर और अस्सी के दशक में हिप्पीवाद ने देवभूमि को विदेशी पर्यटकों से भर दिया। मनाली, कुल्लू तथा दूसरी जगहों पर उनका आना-जाना, रहना तथा स्थानीय लोगों के बीच घुल मिल जाना उन्हें पहाड़ पर स्थापित करने के लिए काफी था। अपने रंग-रूप का फायदा उठाकर कई विदेशी पर्यटक हिमाचलियों से दिखने लगे, स्थानीय बोली बोलने लगे और हिमाचल में इन दुर्गम इलाकों में पहाड़ का हिस्सा बन गए। जिन्हें कुछ वर्षों के बाद पहचानना कठिन हो गया। स्थानीय लोगों में नशे की आदत लगवाने में इनकी अहम् भूमिका रही।
चरस, भांग, गांजा और दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन बढऩे लगा। मलाणा की ओर सब लोग अपना रुख करने लगे। मनाली, मलाणा, जरी, कसोल, भुंतर, कुल्लू इत्यादि में इन लोगों ने स्थानीय लोगों की मदद से इन नशीले पदार्थों की तस्करी भी शुरू की। नशीले पदार्थों की तस्करी अब भी जारी है। पुलिस और स्थानीय लोगों की सतर्कता से बहुत से लोग पकड़े भी जाते हैं, लेकिन कुछ लोग पुलिस को चकमा देकर निकल जाते हैं। हिमाचल से निरंतर अपराध की घटनाओं की खबरों से दिल दहल जाता है। इनमें लूटपाट, हत्या शामिल हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के सितंबर 2021 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल 2020 के कोविड महामारी वर्ष में हत्या के मामलों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं महिलाओं के प्रति अपराधों में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई। 99.3 फीसदी मामलों में अपराधी पीडि़तों के जान-पहचान के थे। 331 मामलों में से 51 में अपराधी परिवार के ही सदस्य थे। 159 मामलों में पारिवारिक मित्र, पड़ोसी या अन्य परिचित थे। 119 मामलों में वे दोस्त, ऑनलाइन दोस्त, लिव-इन पार्टनर या अलग हुए पति थे। केवल दो मामलों में अपराधी पीडि़तों के लिए अज्ञात थे। 2019 में दर्ज किए गए 1833 मामलों की तुलना में 2020 में प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार राज्य में 1817 हिंसक अपराध दर्ज किए गए। कुल मिलाकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 1.3 फीसदी की गिरावट आई है।
राज्य भर में महिलाओं के खिलाफ कुल 1614 अपराध दर्ज किए गए। 2018 में यह संख्या प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार 1633 थी। हाल ही में मनाली के होटल में हुई गोलीबारी की घटना से लोगों में काफी दहशत फैल गई। कोरोना काल में पर्यटन लगभग ठप ही हो गया था। मनाली में अधिकतर होटल और रेस्तरां घाटे में जा रहे थे। जैसे-जैसे कोरोना की स्थिति में सुधार हुआ, पर्यटन भी धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। बहुत से होटल मालिकों ने अपने होटल मैदानी इलाकों के व्यापारियों को लीज या अनुबंध पर दे दिए। हिमाचल में पंजाब, हरियाणा से काफी पर्यटक सप्ताह अंत में हिमाचल आते हैं। बहुत से अराजक तत्त्व भी पहाड़ों में आते हैं। हिमाचल के बार्डर पर पुलिस की सतर्कता से काफी लोग पकड़े भी जाते हैं और कुछ हिमाचल में प्रवेश करने में सफल हो जाते हैं। कसोल में जितना प्राकृतिक सौंदर्य है, उतना ही भारतीय और विदेशी पर्यटकों का आवागमन भी। कसोल के आसपास कई ट्रैकिंग रूट्स हैं जिन पर अक्सर लोग जाते हैं। और जो लोग नशीले पदार्थों का मनोरंजन के लिए सेवन करते हैं, उनकी संख्या भी कम नहीं है। हिमाचल पुलिस की निगाह अधिकतर ऐसे लोगों पर रहती है जो नशे के व्यापार से जुड़े हुए हैं। मणिकर्ण से भुंतर तक अक्सर पुलिस को अकस्मात वाहनों की चेकिंग करते देखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी की समस्या ने भी अपराध को बढ़ाने में मदद की है। अधिकतर युवा जो कुंठित हैं और जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं, अपराध से जुड़ जाते हैं। आए दिन हिमाचल में जघन्य अपराध हो रहे हैं।
उनके पीछे रंजिश होती है या मनोविक्षिप्ति अपराध भी किए जा रहे हैं। आभासी दुनिया की बढ़ती लोकप्रियता, अकेलापन, कुंठा, गरीबी, बेरोजगारी भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेवार है। आवेश या भावनाओं में बह कर किए जाने वाले अपराधों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। धोखा और प्रेम संबंधों में पड़ती दरारें भी कुछ लोगों को अपराध करने के लिए उकसाती हैं। अस्सी के दशक में कुल्लू तथा आसपास के इलाकों में स्मैक और चरस का प्रचलन बढ़ गया था। युवा पीढ़ी का बड़ा हिस्सा नशे में डूब गया था। स्थानीय समाजसेवियों और पुलिस विभाग की सांझेदारी से बहुत से लोगों को इससे बाहर निकाला गया था। अब दो दशक के बाद नशाखोरी की समस्या फिर से अपना विकराल रूप धारण कर रही है। नशे की हालत में लोग अपराध अधिक करते हैं। उन्हें उस समय अच्छे या बुरे की समझ नहीं रहती। हिमाचल में अगर अपराध रोकने की पहल न की गई तो एक पीढ़ी पूरी तरह से आपराधिक मानसिकता को अपना लेगी। प्रदेश सरकार को बड़े पैमाने पर ऐसे सेंटर खोलने होंगे जिनमें नशे से ग्रस्त लोगों को पुनर्वास करने की योजना हो।
उन्हें वहां पर शैक्षिक एवं दूसरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं जहां वे जीवन की मुख्य धारा से फिर से जुड़ पाएं। उनकी व्यक्तिगत समस्याओं को सुना जाए, कला कौशल में उनको आजीविका कमाने के नए अवसर बताए जाएं। ऐसे लोगों की किस विषय में रुचि थी और वे जीवन में उस विषय पर आगे क्यों नहीं बढ़ पाए, उसे जानने की कोशिश की जानी चाहिए। अपराघ रोकने के लिए यह कदम ज़रूरी है। प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजऱ रखना ज़रूरी है। इसमें स्थानीय लोग, पुलिस की बहुत मदद कर सकते हैं। गांव, देहात और शहरों में काम करने वाले मज़दूरों की अच्छी तरह से जांच परख कर ही उन्हें काम दिया जाए। उनसे आधार कार्ड या दूसरा कोई सरकारी पहचान पत्र लेकर, उनकी अच्छी तरह से जांच की जाए। हिमाचल में पिछले दो सालों में ‘वर्क फ्रॉम होम’ को लेकर बहुत से कामक़ाज़ी लोग पहाड़ों में चले गए हैं। कुछ वहीं से सब काम देख रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम के बहाने या उसकी आड़ में काफी अराजक तत्त्व भी शांतिप्रिय पहाड़ी इलाकों में आ सकते हैं। इन पर नकेल लगाकर ही अपराध रोके जा सकते हैं।
विशेष : निर्माण क्षेत्र प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार को संकट में डाल रहा स्टील-सीमेंट का कार्टेल
कोरोना संकट के बीच उद्योग-धंधों में मंदी छाई हुई है. ऐसे में सीमेंट और स्टील उद्योगों द्वारा अचानक ही कीमतों में इजाफा कर देना समझ के परे है. इससे निर्माण प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा. खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसके प्रति आगाह किया है. उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी स्टील-सीमेंट में कार्टेल की वजह से हो रही है. समय की मांग है कि ऐसी प्रवृत्ति के खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई हो. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.
हैदराबाद : निर्माण क्षेत्र के लिए स्टील और सीमेंट प्रमुख अवयव हैं. लेकिन अचानक से ही इन दोनों की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई. सीमेंट की कीमत 420-430 रुपये प्रति 50 किलोग्राम हो गई. पिछले साल इसकी कीमत 349 रुपये प्रति बैग थी. एक साल के भीतर स्टील की कीमत 40,000 रुपये से बढ़कर 58,000 रुपये प्रति टन हो गई.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में स्टील कंपनियों द्वारा किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया है कि लौह अयस्क की बढ़ती लागत के कारण मूल्य वृद्धि अपरिहार्य थी. मूल्य वृद्धि के पीछे के रहस्य को उजागर करते हुए, गडकरी ने कहा है कि देश की लगभग सभी प्रमुख इस्पात कंपनियों की अपनी लौह अयस्क खदानें हैं. उन्होंने कहा कि स्टील निर्माताओं ने कार्टेल बना रखा है. बिजली की कीमत और श्रम मजदूरी स्थिर बनी हुई है.
क्रेडाई ने पीएम को लिखा था पत्र
संसदीय स्थायी समिति सीमेंट कंपनियों को कीमत बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहरा चुकी है. समिति ने इसके लिए अलग व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया था, जो इनकी कीमतों को विनयमित कर सके. कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल-एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने 18 दिसंबर, 2020 को पीएम को एक पत्र लिखा था. उसका कहना था कि कीमत बढ़ाने के लिए सीमेंट और स्टील कंपनियां एक दूसरे का सहयोग करती हैं. यह बहुत ही बुरी प्रवृत्ति है.
इसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक नियामक निकाय की स्थापना की अनिवार्यता पर जोर दिया. गडकरी ने निर्माताओं द्वारा भारी मुनाफे को खत्म करने के लिए अपने माल की कृत्रिम मांग बनाने की प्रवृत्ति की भी खुले तौर पर आलोचना की. समय की मांग है कि इस स्थिति को जल्द से जल्द ठीक किया जाए.
कीमतों में वृद्धि की आलोचना
बिल्डर्स एसोसिएशन ने कीमतों में वृद्धि की तीखी आलोचना की है. एसोसिएशन का कहना है कि हमलोग कोविड के कारण पहले से ही संकट का सामना कर रहे हैं. ऊपर से बिल्डिंग मैटेरियल की कीमतों में इजाफा होगा, तो निर्माण का काम प्रभावित होगा.
वर्तमान में, भारत चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट निर्माता है. 2019-20 में घरेलू सीमेंट का उत्पादन 32.9 करोड़ टन तक पहुंच गया. वर्ष 2022-23 तक इसके 38 करोड़ टन के पार जाने की उम्मीद है. तब तक मांग 37.9 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2025 तक देश की अधिकतम उत्पादन क्षमता लगभग 55 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी. फिर कीमतें क्यों बढ़ीं?
गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर स्टील और सीमेंट के दाम बढ़ते रहेंगे, तो 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना मुश्किल होगा. उन्होंने अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य बताया है.
सीमेंट और स्टील की कीमतों में बेलगाम प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार वृद्धि मध्यम वर्ग के आदमी के अपने घर होने के सपने को बदल रही है. वर्ष 2016 में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अनैतिक व्यापार प्रथाओं के माध्यम से मूल्य में अंधाधुंध वृद्धि का सहारा लेने के लिए सीमेंट कंपनियों पर 6000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. हालांकि, अब तक केवल 10 प्रतिशत जुर्माने का ही भुगतान किया गया था. मामला अदालत में लंबित है.
नियामक तंत्र के अभाव में अनैतिक मूल्य वृद्धि के रूप में लूट एक आम बात हो गई है. सीमेंट और स्टील की कीमत में नवीनतम वृद्धि से निर्माण लागत में 200 रुपये प्रति वर्ग फीट की वृद्धि हुई है. जीवन को बचाने वाली दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने वाले नियामक तंत्र की तरह, सरकार को भी ऐसे उपायों की शुरुआत करनी चाहिए जो निर्माण क्षेत्र में जीवन की सांस लेंगे, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा. व्यापार पर एकाधिकार करने की प्रवृत्ति को कड़ाई से निपटना चाहिए.
व्यापार संगठनों द्वारा जीएसटी की समीक्षा को लेकर बुलाए गए भारत बंद का मिला-जुला असर
नई दिल्ली: ट्रेड यूनियनों की ओर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की समीक्षा को लेकर शुक्रवार को बुलाए गए भारत बंद का मिला जुला असर देखने को मिला.
खुदरा कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर सुबह छह प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार बजे से शाम छह बजे के बीच भारत बंद का आह्वान किया था.
इस दौरान दवा, दूध और सब्जी जैसी जरूरी सेवाओं की दुकानों का संचालन जारी रहा.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में बंद का व्यापक असर देखने को मिला. यहां सड़कें जाम की गईं और दुकानें भी बंद रहीं. बंद का अधिकांश विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया था. महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में भी इसका असर देखने को मिला.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारत बंद के दौरान पश्चिम बंगाल, दिल्ली और असम व्यापारियों द्वारा जीएसटी के प्रावधानों और पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.
शुक्रवार सुबह खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दोपहर दो बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे.
उन्होंने अन्य राज्यों में बंद को मिली प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, जबकि दक्षिण भारत में इसका 70-80 प्रतिशत प्रभाव और पूर्वोत्तर राज्यों 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव रहने की उम्मीद है.
खंडेलवाल ने कहा कि कैट एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू करेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संगठन का दावा है कि जीएसटी प्रणाली जटिल, पीछे की ओर ले जाने वाली और बहुत ही कठिन है. रिपोर्ट के अनुसार, 40 हजार व्यापार संगठनों के आठ करोड़ से अधिक व्यापारी इस प्रदर्शन में अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर शामिल हुए.
लाखों की संख्या में ट्रक भी सड़कों पर विरोध स्वरूप नहीं चले. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा एक दिन पहले ही कर दी थी. एसोसिएशन ने ई-वाणिज्य बिल की जगह ई-इनवॉयस लाने और पेट्रोल-डीजल के दामों को तुरंत कम करने की मांग रखी गई.
बॉम्बे गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (बीजीटीए) के सचिव सुरेश खोसला ने कहा, ‘बीजीटीए ने यातायात उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष अपनी मांग रखी है. इनमें जीएसटी के तहत अव्यवहारिक ई-वाणिज्य बिल और डीजल की अस्थिर मूल्य नीति का मुद्दा प्रमुख है. हमारे पदाधिकारी भी अपनी समस्याओं को बताने के लिए नियमित रूप प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार से सरकारी अधिकारियों से मिलते रहे हैं; हालांकि अब तक कोई राहत प्रदान नहीं की गई है.’
बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद
हालांकि कैट के आह्वान को कई स्थानों पर व्यापारियों का समर्थन नहीं मिला है. इंदौर प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार में स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया. लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया.’
इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लंबे समय से दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते.
उन्होंने आगे कहा, ‘व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं. वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते.’
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि सूरत में बाजार बंद रहेंगे, लेकिन देश भर के हिसाब से देखें तो बंद का बाजार पर 10 प्रतिशत असर होगा.
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि उन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया है और दिल्ली में बाजार के खुले रहने की उम्मीद है.
जम्मू ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज आनंद ने कहा कि स्थानीय बाजार खुले रहेंगे, लेकिन व्यापारी प्रदर्शन करेंगे. उत्तर प्रदेश ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि राज्य में बंद का 50-60 प्रतिशत असर होगा.
ओडिशा में दुकानें बंद, सड़कों पर नहीं दिखे वाहन
कैट द्वारा शुक्रवार को 12 घंटे के देशव्यापी बंद के प्रति एकजुटता दिखाते हुए ओडिशा में कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं और सड़कों पर वाहन नहीं उतरे.
ओडिशा व्यवसायी महासंघ के नेता सुधाकर पांडा ने बताया कि दवा और दूध जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है.
गृह विभाग के विशेष सचिव संतोष बाला ने जिलाधिकारियों को एक पत्र लिखकर सुनिश्चित करने को कहा है कि बंद के कारण आवश्यक सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए.
पत्र में कहा गया, ‘आशंका है कि प्रदर्शनकारी वाहनों की आवाजाही, रेल यातायात को बाधित कर सकते हैं. कारोबारी प्रतिष्ठान भी बंद रहने और सरकारी कार्यालयों, बैंकों तथा शैक्षणिक संस्थानों के सामने अवरोधक रखे जाने की भी आशंका है.’
राज्य में करीब 20 लाख दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठा बंद रहे और दोपहर तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है.
महासंघ से जुड़े नेताओं ने कहा कि भुवनेश्वर, कटक, राउरकेला, संबलपुर, बालासोर और ब्रह्मपुर समेत कई स्थानों पर बंद का असर दिखा.
कारोबारियों ने बताया कि राज्य की राजधानी में यूनिट-एक और यूनिट दो, बापूजी नगर और कल्पना जैसे बडे बाजार सुबह से ही बंद हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
क्या आपको ये रिपोर्ट पसंद आई? हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें.
पिछले 90 दिनों में एलआरसी के प्रक्षेपवक्र को समझने से आपको बेहतर व्यापार करने में मदद मिल सकती है
क्रिप्टोक्यूरेंसी सोशल एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म के अनुसार चंद्र क्रश, लूपिंग [LRC] सामान्य क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में प्रवृत्ति के खिलाफ चलते हुए देखा गया था। इसने पिछले 90 दिनों में सामाजिक योगदानकर्ताओं की उच्चतम दैनिक संख्या (5,260) दर्ज की।
लूनरक्रश ने पाया कि सामान्य क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में सामाजिक रूप से शामिल लोगों की संख्या में गिरावट के कारण यह मील का पत्थर तक पहुंच गया था।
पिछले 90 दिनों में एलआरसी
ऐतिहासिक रूप से, एक क्रिप्टो संपत्ति की सामाजिक गतिविधि में एक रैली इसकी कीमत में समान वृद्धि का कारण बनती है। हालांकि, एलआरसी के मामले में, यह अलग रहा है। के आंकड़ों के अनुसार CoinMarketCapपिछले तीन महीनों में संपत्ति की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है।
नब्बे दिन पहले, एक LRC टोकन $0.40 के सूचकांक मूल्य पर उपलब्ध था। जुलाई में क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में आम रैली के कारण एलआरसी प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार की कीमत बढ़ गई।
14 अगस्त तक, संपत्ति की कीमत $0.51 के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। रैली को बनाए रखने में असमर्थ, मंदड़ियों ने नीचे की ओर मूल्य सुधार शुरू किया। LRC तीसरी तिमाही में $0.30 पर बंद हुआ, 14 अगस्त के उच्च स्तर के बाद से 41% की गिरावट आई है।
फिर भी, गिरावट पर, अक्टूबर की शुरुआत से एलआरसी की कीमत में 7% की कमी आई है। इसके अलावा, CoinMarketCap के आंकड़ों के अनुसार, इस लेखन के समय, LRC ने $ 0.2885 पर हाथों का आदान-प्रदान किया।
श्रृंखला पर एलआरसी
क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में सामान्य गिरावट के अलावा, ब्लॉकचैन एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म सेंटिमेंट के डेटा पर एक नज़र पिछले कुछ महीनों में एलआरसी की कीमत में लगातार गिरावट की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
सबसे पहले, एलआरसी नेटवर्क में एक निरंतर गतिरोध था। एसेट के मीन डॉलर इनवेस्टेड एज (एमडीआईए) और मीन कॉइन एज पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि निष्क्रिय एलआरसी टोकन की संख्या में तेजी आई है।
सेंटिमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 90 दिनों में एलआरसी का एमडीआईए 41 फीसदी बढ़ा है। इसी अवधि के दौरान इसका मीन कॉइन एज भी 25% बढ़ा।
इन प्रमुख संकेतकों की लंबी अवधि ने संकेत दिया कि अधिक से अधिक एलआरसी निवेश निष्क्रिय थे। यदि यह जारी रहता है, तो एलआरसी की कीमत में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
जहां तक एलआरसी निवेश पर लाभ लेने की बात है, तो परिसंपत्ति के बाजार मूल्य से वास्तविक मूल्य (एमवीआरवी) पर 90 दिनों के औसत पर एक नजर डालने से पता चलता है कि पिछले तीन महीनों में एलआरसी धारकों की एक बड़ी संख्या में नुकसान हुआ है।
90-दिवसीय MVRV ने -18.88% का नकारात्मक मूल्य पोस्ट किया।
कीमत में गिरावट के अलावा, एलआरसी नेटवर्क पर विकासात्मक गतिविधि भी समीक्षाधीन अवधि के भीतर प्रभावित हुई। डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म सेंटिमेंट के अनुसार, पिछले तीन महीनों में इसमें 7% की गिरावट आई है।
अंत में, एलआरसी ने समीक्षाधीन अवधि के भीतर अपनी नेटवर्क गतिविधि में भारी गिरावट देखी। LRC का कारोबार करने वाले दैनिक सक्रिय पते में 87% की गिरावट आई है। इसी तरह, इसी अवधि में नेटवर्क पर प्रतिदिन बनाए गए नए पतों में 58% की कमी आई।
वित्त मंत्री ने दिए आर्थिक अपराधियों की के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश
राज एक्सप्रेस। प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार कोरोना वायरस के देश में आने के बाद से देश के आर्थिक हालत काफी गंभीर हो गए थे। तब से अब तक देश की अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट दर्ज की जा चुकी है। हालांकि, हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में सुधार आने की बात कही थी। वहीं, अब उन्होंने राजस्व खुफिया निदेशालय और सीमा शुल्क विभाग को सुनिश्चित करने कहा है।
वित्त मंत्री ने दी बधाई :
दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजस्व खुफिया निदेशालय और सीमा शुल्क विभाग से आर्थिक अपराध करने वालों से सख्ती से निपटे को आदेश दिए हैं। इसके अलावा वित्त मंत्री सीतारमण ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अंतर्गत आने वाले DRI के 63वें स्थापना दिवस के मौके पर उनके अधिकारियों को खासकर कोविड के दौरान उनके कामकाज और सराहनीय सेवा के लिये बधाई दी।
वित्त मंत्री सीतारमण का आधिकारिक बयान :
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने DRI के अधिकारियों को मुस्तैदी के साथ अपना काम जारी रखने के लिये प्रोत्साहित किया और DRI तथा सीमा शुल्क विभाग को ये सुनिश्चित करने को कहा कि, 'वे आर्थिक अपराध करने वालों की जवाबदेही तय करे और उनसे सख्ती से निपटे। इसके अलावा उन्होंने मंत्री ने इस मौके पर भारत में तस्करी रिपोर्ट 2019-20’ भी जारी की इसमें सोना और विदेशी मुद्रा की तस्करी, मादक पदार्थ, वाणिज्यिक धोखाधड़ी की प्रवृत्ति आदि का विश्लेषण किया गया है।'
वित्त सचिव ने बताया :
वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि, 'DRI ने सक्रियता के साथ वाणिज्यिक धोखाधड़ी और सीमा पार तस्करी के कुछ मामलों को सामने लाकर अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।' इसके अलावा उन्होंने कानून के प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये आंकड़ों का विश्लेषण और एजेंसियों के बीच आंकड़ा/जानकारी साझा करने की जरूरत पर बल दिया।'
अर्थव्यवस्था में सुधार :
बताते चलें, हाल ही में वित् मंत्री सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की जानकारी देते हुए बताया कि, 'अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार उम्मीद से अधिक बनी हुई है। इसकी वजह सिर्फ पहले की दबी मांग का निकलना ही नहीं बल्कि नई मांग आना भी है। अर्थव्यवस्था में यह सुधार टिकाऊ होगा। अगले दो महीनों में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश होना है। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।'
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।