शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है?

कंपनियां शेयर क्यों जारी करती हैं?
• विस्तार: कंपनी स्टॉक जारी करती है वह धन जुटाती है जिसका उपयोग वह अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए कर सकती है। उदाहरण के लिए, जब कोई कंपनी एक नए बाजार या क्षेत्र में विस्तार करने का फैसला करती है या एक कंपनी एक नया कारखाना बना सकती है। नतीजतन, व्यवसाय अधिक लाभदायक हो जाता है।
• डेट फाइनेंसिंग पर लाभ: डेट फाइनेंसिंग कंपनियों को उस पर देय वार्षिक ब्याज के साथ एक निश्चित अवधि के बाद प्रमुख पूंजी वापस करने की आवश्यकता होती है। डेट के विपरीत, इक्विटी को पुनर्भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है और इसलिए कंपनी के नकदी प्रवाह और बैलेंस शीट पर जोर नहीं देता है।
कंपनियां शेयर क्यों जारी करती हैं?
• विस्तार: कंपनी स्टॉक शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? जारी करती है वह धन जुटाती है जिसका उपयोग वह अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए कर सकती है। उदाहरण के लिए, जब कोई कंपनी एक नए बाजार या क्षेत्र में विस्तार करने का फैसला करती है या एक कंपनी एक नया कारखाना बना सकती है। नतीजतन, व्यवसाय अधिक लाभदायक हो जाता है।
• डेट फाइनेंसिंग पर लाभ: डेट फाइनेंसिंग कंपनियों को उस पर देय वार्षिक ब्याज के साथ एक निश्चित अवधि के बाद प्रमुख पूंजी वापस करने की आवश्यकता होती है। डेट के विपरीत, इक्विटी को पुनर्भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है और इसलिए कंपनी के नकदी प्रवाह और बैलेंस शीट पर जोर नहीं देता है।
Benefits of Share Market – Why to Invest In Stock Market ?
पैसा सभी कमाना चाहते हैं और कमाते भी हैं, कोई जॉब करके पैसा कमाता है तो कोई बिज़नस करके पैसा कमाता है लेकिन पैसा कमाने के लिए हमें रोज काम करना पड़ता है और Retirement तक हमेशा करना पड़ेगा और उसके बाद हम बूढ़े हो जाते हैं और किसी काम के नहीं रहते , कोई अपने बच्चों पे निर्भर रहता है तो कोई पेंशन प्लान से मिलने वाले मुट्ठी भर पैसो से अपना गुजारा चलाता है किसी को तो ये भी नसीब नहीं होता है और उसे अपनी आखिरी सांसो तक काम करना पड़ता है|
अमेरिका के महान निवेशक Warren Buffett कहते हैं – “If you don’t find a way to make money while you sleep, you will work until you die.”
अर्थात “अगर आप पैसा कमाने का ऐसा विकल्प तलाश नहीं करते जिससे आप सोते समय भी पैसा कमा सको तो आपको अपनी अंतिम सांसो तक काम करना होगा.”
शेयर बाजार हमें एक ऐसा विकल्प प्रदान करता है जिसके माध्यम से हम अपने देश की अर्थव्यवस्था में निवेश कर सकते हैं विभिन्न प्रकार के बिज़नेस में निवेश करके उनके Profit में भागीदार बन सकते हैं.देश के अच्छे बिज़नेस में लम्बे समय के लिए निवेश करके अपनी संपत्ति को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं. हमारे पास निवेश करने के लिए शेयर बाजार के अतिरिक्त और भी विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे – Bank FD, RD, Gold, Govt./Corporate Bonds, Insurance Schemes, PPF, etc. और ये सभी विकल्प शेयर बाजार की तुलना में अधिक सुरक्षित और कम जोखिम भरे हैं.लेकिन क्या ये विकल्प शेयर बाजार की तुलना में ज्यादा Returns या उसके बराबर Returns दे सकते हैं ?
आइये कुछ उदाहरण देखते हैं ?
यहाँ पर हम उन कंपनियों शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? का उदाहरण देखेंगे जिनके बारे में हर कोई जानता है,हर कोई इन कंपनियों के उत्पाद और सेवाओ का प्रयोग करते हैं |
SHARE PRICE OF MARUTI SUZUKI
पिछले 10 सालों में मारुती सुजुकी ने निवेशकों को हर साल 20% (CAGR) का return दिया है |
SHARE PRICE OF BRITANNIA INDUSTRY
पिछले 10 सालों में ब्रिटानिया ने निवेशकों को हर साल 30% (CAGR) से अधिक का return दिया है |
SHARE PRICE OF HDFC BANK
पिछले 10 सालों में HDFC बैंक ने भी निवेशकों को हर साल 20% (CAGR) का return दिया है |
मारुती सुजुकी की कारों के बारे मैं कौन नहीं जानता, ब्रिटानिया के बिस्कुट कौन नहीं खाता और बैंकिंग सेवाओ का उपयोग कोन नहीं करता |शेयर बाजार में ऐसी हजारो कंपनियां हैं बस जरुरत है उन्हें तलाशने की |अगर हम इन कंपनियों के उत्पाद और सेवाओं से संतुष्ट हैं तो हम इन कंपनियों में निवेश करने के बारे में सोच सकते हैं |
Comparison of Returns in Different Investment Options-
अब हम इन तीनो कम्पनीज के रिटर्न्स को निवेश के अन्य विकल्पों के साथ तुलना करेंगे
Saving Account | Recurrent Deposit/GOVT. BOND YIELD | REAL ESTATE | DABUR INDIA | HDFC OR MARUTI | BRITANNIA OR SHREE CEMENT | |
AVERAGE ANNUAL RATE OF RETURNS * (LAST 10 YEARS) | 3% | 7% | 12% | 18% | 20% | 32% |
MONTHLY INVESTMENT OF Rs.5000 AFTER 10 Yrs (TOTAL RETURNS) | 99000 | 260000 | 521000 | 948000 | 1126000 | 3313000 |
MONTHLY INVESTMENT OF Rs.5000 AFTER 20 Yrs | 438000 | 135200 | 344000 | 8455000 (84.5 L) | 11214000 (1.12 Cr.) | 55321000 (5.53 Cr.) |
MONTHLY INVESTMENT OF Rs.5000 AFTER 30 Yrs | DO | IT YOURSELF. | YOU | WILL BE | SURPRISED. |
TABLE में दिखाए गए DATA तो अगर हम ध्यान से देखे तो पाएंगे कि शेयर्स के returns अन्य विकल्पों की तुलना में बहुत अधिक हैं हालांकि यह संभव नहीं है कि इन कंपनीयों ने आज तक जो returns दिए हैं आने वाले 10,20 या 30 सालों तक ये कंपनियां ऐसे ही returns देती रहे लेकिन हम अपने रिसर्च और analysis द्वारा अच्छी व भरोसेमंद कंपनियों का चुनाव करके और अनुशाषित तरीके से निवेश करके अन्य विकल्पों की तुलना में बहुत बेहतर returns प्राप्त कर सकते हैं.
हर महीने मात्र 1000 रुपये शेयर बाजार में निवेश करके 30 सालों बाद कितनी संपत्ति बनाई जा सकती है? इस पोस्ट को अवश्य देखें- शेयर बाजार में निवेश कैसे करें?
Benefits of Share Market में हमने जाना कि सोच समझ कर रिसर्च करके अच्छे बिज़नेस मॉडल वाली क्वालिटी कंपनियों में निवेश करके अन्य विकल्पों जैसे बैंक डिपोजिट, बांड, रियल एस्टेट और अन्य सरकारी स्कीम से बेहतर returns प्राप्त किये जा सकते हैं, इसके अतिरिक्त शेयर्स में निवेश करने के और भी फायदे होते हैं | जैसे –
- कुछ कंपनियां हर साल अपने नेट प्रॉफिट का कुछ प्रतिशत भाग अपने शेयर होल्डर्स को देती हैं जिसे Dividend कहा जाता है | कंपनियां जब भी dividend देती हैं वो सीधे शेयर होल्डर्स के बैंक अकाउंट में आता है | जिससे शेयर होल्डर्स को मिलने वाले returns कुछ और बढ़ जाते हैं |
- HighLiquidity-शेयर ऐसी Asset Class में आते हैं जिनको आसानी से बहुत ही कम समय में कैश में कन्वर्ट किया जा सकता है|आवश्यकता पड़ने पर किसी आकस्मिक शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? स्थिति में शेयर होल्डर जब चाहे अपने शेयर्स बेचकर बहुत कम समय ( कुछ मिनट या घंटे ) में कैश प्राप्त कर सकता है |
- शेयर मार्केट में अलग अलग तरह की ( Small Cap to Large Cap ) हजारों कंपनियां होती हैं जिनमे High Business Growth वाली नयी कंपनियों से लेकर Low Risk वाली पुरानी और स्टेबल कंपनियां मौजूद हैं | जिनमे से निवेशक अपनी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार किसी भी कंपनी में निवेश कर सकता है|
- हम जब कंपनी के शेयर्स खरीदते हैं तो उसी समय हम कंपनी के Owners की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं जिस कारण हमें कंपनी मीटिंग में वोटिंग करने का अधिकार भी मिल जाता है |
- निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में शेयर्स खरीदना और बेचना सबसे आसान होता है और इसमें सबसे काम समय लगता है|
दोस्तों आपको ये जानकारी Benefits of Share Market कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइए और अगर आपको ये जानकारी पसंद आयी हो सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें |
Share Market में करना चाहते हैं निवेश की शुरुआत, जानिए शेयर बाजार की ABCD
Share Market में अगर आप निवेश करने की प्लानिंग बना रहे हैं तो पैसा डुबे इससे पहले थोड़ी जानकारी उसके बारे में ले लें, ताकि आपको बेसिक जानकारी हो सकें और आपका ज्यादा रिटर्न अपने शेयर पर ले सकें।
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 05, 2022 19:07 IST
Photo:INDIA TV Share Market में निवेश की शुरुआत करने से पहले ये जानें
What is Share Market: शेयर मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है। अगर आप नए हैं, आपने इससे पहले कभी किसी स्टॉक (Stock) में निवेश नहीं किया है और आपको इस बात की जानकारी नहीं है कि शेयर मार्केट क्या होता है और यह कैसे काम करता है? क्या स्टॉक मार्केट में सिर्फ शेयर ही खरीदे-बेचे शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? जाते हैं? तो आज हम आपके इन सभी सवालों का जवाब इस खबर में देने जा रहे हैं।
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है, जहां खरीदार BSE(Bombay Stock Exchange) और NSE(National Stock Exchange) पर सूचीबद्ध शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं। यह सेबी(Securities and Exchange Board of India) के देखरेख में काम करता है। सेबी भारत सरकार की संस्था है जो शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों पर नजर रखती है ताकि वह ग्राहक के साथ फ्रॉड ना कर सके। इसे दो भाग में क्लासिफाइड किया गया है। प्राइमरी और सेकेंडरी।
क्या है प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट?
जब कोई कंपनी शेयरों के माध्यम से धन जुटाने के लिए पहली बार स्टॉक एक्सचेंज में खुद को रजिस्टर करती है तो उसे प्राइमरी कैटेगरी में रखा जाता है, वहीं एक बार जब कंपनी की नई सिक्योरिटी को प्राइमरी मार्केट में बेच दिया जाता है, तब उसका कारोबार सेकेंडरी में किया जाने लगता है। यहां निवेशकों को बाजार की मौजूदा कीमतों पर शेयर खरीदने और बेचने का मौका मिलता है।
शेयर के आलावा इनमें भी कर सकते हैं निवेश
स्टॉक एक्सचेंज में इन चार रूप (शेयर, बांड, म्यूचुअल फंड और Derivatives) में ट्रेडिंग होती है, जिसमें सबसे पहला स्थान शेयर का होता है। अगर आप किसी कंपनी के शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के उतने फीसदी के हिस्सेदार हो जाते हैं। कंपनी के नफा-नुकसान का असर सीधे आपके उपर पड़ता है।
बांड लंबी अवधि के लिए खरीदे जाते हैं। जब एक कंपनी को पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। पूंजी जुटाने का एक तरीका जनता को बांड जारी करना होता है। ये बांड कंपनी द्वारा लिए गए "ऋण" का प्रतिनिधित्व करते हैं। बांडधारक कंपनी के लेनदार बन जाते हैं और कूपन के रूप में समय पर ब्याज भुगतान प्राप्त करते हैं।
म्यूचुअल फंड कौन ऑपरेट करता है?
म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड है, जो AMC यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनीज ऑपरेट करती है। इन कंपनियों में कई लोग अपने पैसे निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड द्वारा इन पैसों को बॉन्ड, शेयर मार्केट समेत कई जगहों पर निवेश किया जाता है। वहीं अगर बात डेरीवेटिव फंड की की जाए तो यह एक वित्तीय अनुबंध है जो एक या अधिक अंतर्निहित परिसंपत्तियों से इसके मूल्य को प्राप्त करता है।
सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब
कैश मार्केट में मार्जिन से जुड़े ने नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं. सेबी ने इसे कुछ समय टालने की अपील ठुकरा दी है
सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.
मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
फिर, 1 सितंबर से क्या बदलने जा रहा है?
पहले हम यह समझते हैं कि शेयरों की डिलीवरी किस तरह होती है. अभी बाजार में डिलीवरी के लिए टी+2 (ट्रेडिंग प्लस दो दिन) मॉडल का पालन होता है. इसका मतलब है कि अगर आप सोमवार को शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह बुधवार को डेबिट या क्रेडिट होगा. इसी तरह शेयर का पैसा भी बुधवार को आपके अकाउंट में आएगा या उससे जाएगा. इस मॉडल में ब्रोकर्स क्लाइंट के अकाउंट में पैसा नहीं होने पर भी शेयर खरीदने की इजाजत देते हैं. यह इस शर्त पर किया जाता है कि आप पैसा टी+1 या टी+2 दिन में चुका देंगे.
अब सेबी ने जो नया नियम बनाया है, उसमें ब्रोकर को सौदे की कुल वैल्यू का 20 फीसदी क्लाइंट से अपफ्रंट लेना होगा. इसका मतलब यह है कि सौदे के वक्त क्लाइंट (रिटेल निवेशक) को 20 फीसदी रकम चुकाना होगा. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 20,000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.
शेयर बेचने के लिए मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन क्यों होना चाहिए?
सेबी शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.
ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
यह नियम कुछ ज्यादा सख्त लगता है, क्या इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है?
इसका दूसरा तरीका है. सेबी ने शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है? बगैर मार्जिन शेयर बेचने की इजाजत दी है. लेकिन, इसमें शर्त यह है कि ब्रोकर के पास ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जिसमें शेयर बेचने के दिन वह शेयरों को क्लाइंट के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लें. लेकिन, इसमें कुछ ऑपरेशनल दिक्कतें हैं.
इस नियम का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
विश्लेषकों और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से ट्रेडिंग वॉल्यूम घटेगा. लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि पिछले 25 साल में जब भी नए नियम लागू किए गए, बाजार ने उसके हिसाब से खुद को ढाल लिया. नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए लागू किए जाते हैं.
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