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दलाल और उनकी शर्तें

दलाल और उनकी शर्तें

दलालों का अड्डा बना यूपी बड़ौदा बैंक

महराजगंज। नौतनवां तहसील क्षेत्र में स्थित रतनपुर यूपी बड़ौदा में दलाल हावी होते जा रहे हैं। जहां गरीब किसान केसीसी के लिए पहुंचा तो दलाल उस किसान के पीछे पड़ जाता है तथा परसेंटेज पर दलाल किसान का केसीसी करवा कर किसान से अपना मोटा रकम लेकर गरीब किसान के साथ छल करने का कार्य

महराजगंज । नौतनवां तहसील क्षेत्र में स्थित रतनपुर यूपी बड़ौदा में दलाल हावी होते जा रहे हैं। जहां गरीब किसान केसीसी के लिए पहुंचा तो दलाल उस किसान के पीछे पड़ जाता है तथा परसेंटेज पर दलाल किसान का केसीसी करवा कर किसान से अपना दलाल और उनकी शर्तें मोटा रकम लेकर गरीब किसान के साथ छल करने का कार्य कर रहा है।

गरीब किसान अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखने के शर्त पर बताया कि बैंक में केसीसी करवाने पर बैंक कर्मी व दलाल दोनों लोग अपना हिस्सा लेते हैं। ऐसे में बैंक कर्मियों की मिलीभगत से हर दिन गरीब लोग दलाली के शिकार होते रहते हैं।
आपको बता दें कि यूपी बड़ौदा बैक का शाखा ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित होने के कारण यहां हर दिन भीड़-भाड़ का माहौल रहता है, जहां ग्रामीण क्षेत्र के अनपढ़ गरीब किसानों का बैंक पर खाता होने के कारण निकासी व जमा करने के लिए जाते हैं, और उस बैंक पर बैठे दलालों का शिकार हो जाते हैं।
यहां तक कि दलाल उनका निकासी फार्म भर कर भी उनसे रुपये ले लेने का कार्य करते हैं। बताया जाता है कि बैंक कर्मी उन दलालो को पूरा संरक्षण देते हैं, क्योंकि दलालों की दलाली से बैंक कर्मी भी मालामाल होते हैं।
किसान बताता है कि इस बैंक पर केसीसी के नाम पर रोज बैंक कर्मियों के सांठगांठ से किसान दलालों के चंगुल में फसते रहते हैं।
बताया गया कि कोई भी किसान केसीसी के लिए जाता है तो उसे बैंक कर्मी भीड़ का हवाला देकर दौडते रहते हैं तत्पश्चात भागदौड़ से थकहार कर किसान को मजबूरन दलालों दलाल और उनकी शर्तें के शरण में जाना पड़ता है।
योगी सरकार किसानों के हित मे दिनरात कार्य कर रही है और उनकी आमदनी बढ़ाने के कर्म में लगी हुई है, परंतु कुछ सरकारी भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से सरकार के सभी प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं और लोग दलाली के शिकार हो रहे हैं।

दलालों का अड्डा बना यूपी बड़ौदा बैंक

महराजगंज। नौतनवां तहसील क्षेत्र में स्थित रतनपुर यूपी बड़ौदा में दलाल हावी होते दलाल और उनकी शर्तें जा रहे हैं। जहां गरीब किसान केसीसी के लिए पहुंचा तो दलाल उस किसान के पीछे पड़ जाता है तथा परसेंटेज पर दलाल किसान का केसीसी करवा कर किसान से अपना मोटा रकम लेकर गरीब किसान के साथ छल करने का कार्य

महराजगंज । नौतनवां तहसील क्षेत्र में स्थित रतनपुर यूपी बड़ौदा में दलाल हावी होते जा रहे हैं। जहां गरीब किसान केसीसी के लिए पहुंचा तो दलाल उस किसान के पीछे पड़ जाता है तथा परसेंटेज पर दलाल किसान का केसीसी करवा कर किसान से अपना मोटा रकम लेकर गरीब किसान के साथ छल करने का कार्य कर रहा है।

गरीब किसान अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखने के शर्त पर बताया कि बैंक में केसीसी करवाने पर बैंक कर्मी व दलाल दोनों लोग अपना हिस्सा लेते हैं। ऐसे में बैंक कर्मियों की मिलीभगत से हर दिन गरीब लोग दलाली के शिकार होते रहते हैं।
आपको बता दें कि यूपी बड़ौदा बैक का शाखा ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित होने के कारण यहां हर दिन भीड़-भाड़ का माहौल रहता है, जहां ग्रामीण क्षेत्र के अनपढ़ गरीब किसानों का बैंक पर खाता होने के कारण निकासी व जमा करने के लिए जाते हैं, और उस बैंक पर बैठे दलालों का शिकार हो जाते हैं।
यहां तक कि दलाल उनका निकासी फार्म भर कर भी उनसे रुपये ले लेने का कार्य करते हैं। बताया जाता है कि बैंक कर्मी उन दलालो को पूरा संरक्षण देते हैं, क्योंकि दलालों की दलाली से बैंक कर्मी भी मालामाल होते हैं।
किसान बताता है कि इस बैंक पर केसीसी के नाम पर रोज बैंक कर्मियों के सांठगांठ से किसान दलालों के चंगुल में फसते रहते हैं।
बताया गया कि कोई भी किसान केसीसी के लिए जाता है तो उसे बैंक कर्मी भीड़ का हवाला देकर दौडते रहते हैं तत्पश्चात भागदौड़ से थकहार कर किसान को मजबूरन दलालों के शरण में जाना पड़ता है।
योगी सरकार किसानों के हित मे दिनरात कार्य कर रही है और उनकी आमदनी बढ़ाने के कर्म में लगी हुई है, परंतु कुछ सरकारी भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से सरकार के सभी प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं और लोग दलाली के शिकार हो रहे हैं।

Haryana TOP 10: कृषि मंत्री जेपी दलाल आज करेंगे अहम प्रेस वार्ता, किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर कर सकते हैं बातचीत, पढ़ें हरियाणा की बड़ी खबरें

डेस्क: हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल आज कई अहम मुद्दों को लेकर आज एक प्रेसवार्ता करेंगे। चंडीगढ़ के सेक्टर 16 स्थित अपने आवास पर कृषि मंत्री सुबह 11 बजे मीडिया से रूबरू होंगे। माना जा रहा है कि मंत्री दलाल प्रदेश के किसानों को आ रही दलाल और उनकी शर्तें कई परेशानियों को लेकर बात कर सकते हैं। इस दौरान फसलों के मुआवजे को लेकर भी ऐलान हो सकता है। इसी के साथ कृषि मंत्री केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी जैसे मुद्दों को लेकर बनाई गई कमेटी के विषय में भी चर्चा कर सकते हैं। इस कमेटी में केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही किसान नेताओं के नाम भी शामिल हैं।

सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार ने विधानसभा अध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा सौंपने के कुछ ही घंटे बाद त्यागपत्र वापस ले लिया है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के तमाम विधायकों के साथ स्पीकर आवास पर मौजूद थे। विस अध्यक्ष से मुलाकात करने के बाद सुरेंद्र पंवार ने बिना शर्त इस्तीफा वापस ले लिया है।

वहीं निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने भी इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुरेंद्र पंवार को इस तरह इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। वहीं सुरेंद्र पंवार के त्यागपत्र के पीछे उन्हें विदेशी नंबर से धमकी मिलने की आशंका पर मंत्री गुप्ता ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि विधायक ने इस वजह से इस्तीफा सौंपा है।

राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सीनियर कांग्रेस लीडर अजय माकन ने चुनाव परिणाम को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर आने वाले दिनों में सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि एक वोट जोकि आजाद उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के खाते में गिना गया, वह वह वोट रिजैक्ट होना चाहिए था जिसमें टिक ही गलत जगह लगाया गया था। मतों की गिनती के समय भी ऑब्जैक्शन की गई थी लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और वोट वैलिड बताते हुए आजाद उमीदवार के खाते में गिना गया, जिससे परिणाम बिगड़ गए।

माकन ने उस विधायक के नाम का खुलासा किया है, जिन्होंने वोट में टिक करने के बाद अपना वोट रद्द करवा लिया था। अजय माकन ने बताया कि राज्यसभा चुनाव में किरण चौधरी के वोट पर ही टिक का निशान मिला था। बैलेट पेपर के नम्बर को मिलाने के बाद यह साफ हो चुका है।

एमएसपी को और अधिक प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने, जीरो बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को बदलने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है। इस समिति में केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, किसान नेता, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल हैं।

बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत चौटाला ने चीका में कहा कि हुड्डा सरकार के कार्यकाल दौरान बिजली का लाइन लॉस 31 प्रतिशत के करीब था ओर यदि 1 प्रतिशत लाइन लॉस कम हो जाने की बात करें तो लगभग 400 करोड़ रुपया बनता है व इसका सीधा फायदा सरकार को मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का जान बिजली विभाग लगभग 3700 करोड़ रुपए के लॉस में चल रहा था जबकि पिछले अढ़ाई वर्षों के कार्यकाल दौरान बिजली विभाग को हमने अपने कार्यकाल दौरान 2000 करोड़ रुपए के प्रॉफिट में पहुंचाया है।

इस बार कावड़ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। अबकी बार सावन का महीना शुरू होते ही श्रद्धालु लगातार हरिद्वार के लिए निकल रहे हैं। बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार नजर आ रही है। ऐसे में कांवड़ियों को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े। इसको लेकर हरियाणा रोडवेज ने श्रद्धालुओं के लिए एक्स्ट्रा बसें चलाने का फैसला किया है।

गांव अटेला कलां के कल्लूराम ने हौसले की मिसाल कायम करते हुए गांव के पहाड़ में 4 हजार फूट दलाल और उनकी शर्तें की ऊंचाई पर बेजुबान पशु व पक्षियों के लिए तालाब का निर्माण किया। 89 वर्षीय कल्लूराम ने बताया कि 20 वर्ष की उम्र में पशुओं को चराने के लिए पहाड़ में जाते थे, जहां पानी का कोई प्रबंध नहीं था। इसलिए उन्होंने मन में संकल्प किया कि बेजुबान पशु व पक्षियों के लिए तालाब बनाया जाए, जिससे पशु व पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध हो सके।

हरियाणा में कई लोगों की पेंशन काट दी गई है, जिसके चलते नाराज होकर आज सैकड़ों की संख्या में लोग सचिवालय में अधिकारियों से मिलने के पहुंचे। इस भीड में एक दर्जन से अधिक लोग ऐसे थे जो प्रशासन को अपना का जिंदा होने का सबूत देने आए थे। उनका आरोप है कि विभाग ने रिकार्ड में उन्हें मुर्दा दिखाकर उनकी पेंशन काट दी है। अब उन्हें यह साबित करने के लिए परेशान होना पड़ रहा है कि वे जिंदा हैं।

एक पिता-पुत्र ने 360 रुपए के चक्कर में 9 साल के बच्चे को कमरे में बंद कर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया। आरोपियों ने बच्चे को कमरे में बंद कर पैरों के तलवों में डंडे मारे और सीने पर को बीड़ी से जला दिया। पवन को शक था कि बच्चे ने ही उसके 360 रुपए चुराए हैं। बच्चे के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कर आगे की जांच शुरू की।

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दलालों के हाथों में रिकॉर्ड रूम की चाबी! विजय कुजूर और प्रभात के रहते गणेश सर्च करता है रिकॉर्ड, जानें कौन- कौन है इस नेक्सस में शामिल

Ranchi : किसी भी सरकारी कार्यालय के दस्तावेज काफी महत्वपूर्ण और गोपनीय होते हैं, लेकिन अगर उन दस्तावेजों को किसी दलाल किस्म के व्यक्ति के हाथों में सौंप दिया जाये तो इसे आप क्या कहेंगे. क्योंकि रांची रजिस्ट्री कार्यालय के दस्तावेजों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. रांची रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड दलालों के हाथों में है. इस खबर में लगी तस्वीर देखने के बाद आप भी इस बात से पूरी तरह सहमत होंगे.

दस्तावेज दलालों के हाथों में सौंप देते हैं

रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम की तिकड़ी विजय कुजूर, प्रभात और मनीष की मनमानी इतनी बढ़ी हुई है कि ये दस्तावेज दलालों के हाथों में सौंप देते हैं. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि रिकॉर्ड रूम के प्रभारी विजय कुजूर और उनके सहयोगी प्रभात की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ सकता है. उनकी इस कारिस्तानी की वजह से रांची की कई ज़मीनों के दस्तावेज दलाल किस्म के लोगों के हाथों में जा रहे हैं. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बाहरी लोगों के हाथों में दस्तावेज जाने से वे इंडेक्स के साथ छेड़छाड़ करेंगे. क्योंकि आये दिन इस तरह की शिकायतें भी मिलती रही हैं कि रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों के पन्ने फटे मिले हैं या फिर उनके साथ छेड़छाड़ हुई है.

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गणेश के साथ विजय, प्रभात की गहरी साठगांठ

नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कार्यालय से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि लोहरदगा से रोजाना एक व्यक्ति रजिस्ट्री कार्यालय आता है. जिसे रिकॉर्ड रूम के दस्तावेज सौंप दिये जाते हैं. सरेआम कार्यालय के इजलास के पास बैठकर गणेश सर्चिंग का कार्य करता है. सूत्र बताते हैं कि उसकी पहुंच रिकॉर्ड रूम के उन कमरों तक है जहां जाने की इजाजत सिर्फ कार्यालय से जुड़े कर्मचारियों और पदाधिकारियों को है. गणेश के साथ रिकॉर्ड रूम के इंचार्ज विजय कुजूर और उनके सहयोगी प्रभात की गहरी साठगांठ है. जिसकी वजह से कार्यालय के कर्मचारियों और दस्तावेज लेखकों में इस बात की चर्चा जोरों पर रहती है कि इस पूरे कारनामे को विजय कुजूर और प्रभात की सहमति के बिना अंजाम दिया जाना नामुमकिन है. इस पूरे नेक्सस में और भी कुछ लोग शामिल हैं.

दलाल और उनकी शर्तें

Author Interview of Ashish Dalal

ग्वालियर (म.प्र.) में जन्मे, खरगोन (म.प्र.) में पले बढ़े और बड़ौदा (गुजरात) में स्थाई रूप से बस चुके आशीष दलाल मानवीय संवेदनाओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्ति देने में माहिर हैं। उनके सरल, सहज व्यक्तित्व की छाप उनके लेखन में उतरती रहती है। उनकी १०० से भी अधिक रचनाएँ विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘उसके हिस्से का प्यार’ उनका प्रथम कहानी संग्रह है। साहित्य सृजन कार्य में लगे आशीष पेशे से बड़ौदा की एक प्रतिष्ठित फर्म में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनके प्रथम कहानी संग्रह के प्रकाशन पर मातृभाषा.कॉम को दिया साक्षात्कार आपके समक्ष प्रस्तुत है।

स्वभाव से मैं अन्तर्मुखी हूँ। अपने आसपास के परिवेश और देश-दुनिया में घटित होती घटनाएँ मुझे लिखने पर विवश करती हैं। घटनाओं पर सोचकर उसपर विश्लेषण करना मेरी आदत है जो शब्दों के रूप में व्यक्त होती रहती है।

लेखन की शुरुआत मैंने समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में पत्र लेखन से की थी। पत्र लेखन से शुरू हुई अभिव्यक्ति धीरे-धीरे लघुकथा का रूप लेने लगी। लघुकथा और कहानी मेरी प्रिय विधा हैं। इसके अतिरिक्त लेख, संस्मरण, नाटक तथा यदा कदा कविताओं पर भी मेरी कलम आसानी से चलती है।

ज्यादा दूर नहीं जाता हूँ। अपने एक पुराने दोस्त को काफी सालों के बाद मेरी पहली पुस्तक के प्रकाशन के कुछ दिनों पहले मिलना हुआ। पुरानी बातों का स्मरण करते हुए वह मुझे अपने स्कूल और कॉलेज के समय में खींच ले गया। कहने लगा ‘यार, जब हम सब क्रिकेट, गिल्ली डंडा खेलने और लड़कियों को देखने में मस्त रहते थे तब तू हमें अपना विषय बनाकर कहानियाँ लिखकर नाम कमाने में लगा हुआ था। कई बार हम तुझ पर हँसते भी थे पर आज गर्व होता है कि कहीं न कहीं तेरी जिन्दगी में हमारा नाम भी शामिल है।’ उस वक्त दोस्तों की हँसी का बुरा मानकर अगर कलम छोड़ देता तो शायद ‘उसके हिस्से का प्यार’ आज न होता।

‘मेरा प्रथम कहानी संग्रह ‘उसके हिस्से का प्यार’ पढ़ने के बाद कुछ लोगों ने प्रतिक्रिया स्वरूप कहा कि संग्रह की एक या दूसरी कहानी हमें हमारी खुद की या अपने परिचितों की जिन्दगी की कहानी प्रतीत होती है। जब पाठक किसी दलाल और उनकी शर्तें अनजान व्यक्ति द्वारा लिखी कहानियों से अपने को जुड़ा पाने लगे तो यह लेखक के लेखन की सफलता और सार्थकता होती है। एक लेखक घटनाओं को कल्पना के रंग से रंग कर उसे शब्दों से श्रृंगारित कर अपने पाठकों के समक्ष इस तरह से पेश करता है कि उसमें कुछ हद तक वास्तविकता न होते हुए भी हर किसी को वह कहानी अपनी सी लगे।

मैंने लेखन की शुरुआत जब मैं १५ दलाल और उनकी शर्तें साल का था तब ही से कर दी थी । लेखन के शुरूआती दौर में भोपाल से निकलने वाली ‘चकमक’ बाल पत्रिका में मेरी अभिव्यक्ति सादे शब्दों में प्रकाशित होती रहती थी । फिर कुछ दलाल और उनकी शर्तें अनुभव होने पर जयपुर से निकलने वाली बाल पत्रिका ‘बालहंस’ में बाल कहानियाँ प्रकाशित होने लगी । प्रकाशन का दायरा बढ़ते हुए दैनिक भास्कर, नईदुनिया, सुमन सौरभ, चौथा संसार, दैनिक ट्रिब्यून आदि राष्ट्रीय स्तर के पत्र पत्रिकाओं तक पहुँच गया । इस मुकाम तक पहुँचने के पहले अम्बाला छावनी हरियाणा के कहानी लेखन महाविद्यालय एवं इसी विद्यालय की मुखपत्रिका ‘शुभतारिका’ का मेरी लेखनी को तराशने में बेहद योगदान रहा है ।

कॉलेज की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद लेखन और प्रकाशन का सिलसिला जीवन में आर्थिक और सामाजिक रूप से एक मुकाम पर पहुँचने तक लगभग थम सा गया था । ‘उसके हिस्से का प्यार’ लगभग १३ साल के विराम के बाद लेखन के क्षेत्र में फिर से सक्रिय होते हुए पाठकों को पुस्तक के रूप में मेरी पहली भेंट है।

दुनिया में हर इंसान के पास कहने को कम से कम एक कहानी अवश्य होती है पर इस कहानी को शब्दों का श्रृंगार कर पेश करने का हुनर सभी के पास नहीं होता । सच कहूँ तो कहानी लिखने के लिए मुझे काफी सोचना या परिश्रम नहीं पड़ता है । जीवन में देखी, सुनी और घटित कोई भी संवेदनशील बात मेरे लेखन का विषय बनकर कहानी के रूप में व्यक्त हो जाती है । किसी अत्यन्त अहम मुद्दे पर कहानी लिखना थोड़ा मुश्किल जरुर होता है क्योंकि एक कहानीकार के रूप में सभी पात्रों के साथ न्याय करते हुए पाठकों को घटना का एक समाधान भी देना होता है । कई बार जब मुझे कहानी का अंत नहीं सूझ रहा होता है तो उस पर विचार करते हुए रात को मैं सो जाता हूँ और सुबह तक एक पूरी कहानी मेरे दिमाग में तैयार हो जाती है । यहाँ शर्त यही होती है कि कई दफा मुझे आधी रात को या सुबह बहुत जल्दी उठकर भी मन में उठते भावों को शब्दों के रूप में उतार लेना पड़ता है । संग्रह में समाहित ‘एक रात की मुलाकात’, ‘अंतिम संस्कार’, ‘अग्नि परीक्षा’ एवं ‘तुम्हारा हिस्सा’ ऐसी ही कहानियों में से है जो मैं आसानी से नहीं लिख पाया। एक कहानीकार अपने पाठकों की भावनाओं के साथ कभी भी खिलवाड़ नहीं कर सकता । बस यही बात उसे अपने कहानी के पात्रों के साथ भी अमल में रखनी होती है और यही बात सबसे कठिन होती है क्योंकि कहानीकार को खुद ही सारे पात्रों की संवेदनाओं को व्यक्त करना होता है ।

प्रेम पाने के लिए प्रेम करना जरुरी है यह बात मैं अक्सर कहता रहता हूँ । जिन्दगी में प्रेम को अलग से परिभाषित करने की जरूरत नहीं होती है । यह तो हर इन्सान में जन्म से ही मौजूद होता है । वह सर्वशक्तिमान अदृश्य शक्ति बच्चे की आंखों में प्यार भरकर ही भेजती है । बच्चा आप ही पहली नजर में ही अपनी माँ से प्यार करने लगता है । फिर तो जिन्दगी के हर एक पड़ाव पर वह प्यार के जरिये ही तो रिश्ते जोड़ता है । प्यार करने या व्यक्त करने के लिए मौके तलाश करने की जरूरत ही नहीं होती । जिन्दगी ये मौके दिन में कई बार देती है । बचपन में माँ, फिर शादी होने तक बहन, (कुछ किस्सों में प्रेमिका की भी मौजूदगी होती है) और शादी हो जाने के बाद पत्नी। कहते हैं, मातृत्व प्राप्त कर एक स्त्री सही मायनों में पूर्णता को प्राप्त होती है। माँ बनकर उसका स्त्रीत्व धन्य हो जाता है । मैं कहता हूँ, एक स्त्री को सच्चे दिल से प्यार करने पर पुरुष पूर्णता हासिल करता है। उसका पुरुषत्व शक्ति जताने से नहीं एक स्त्री का सम्मान करने से उजास को प्राप्त होता है।

अगर आँखों में एक अहसास को पाने की प्यास सदैव हो तो प्यार को ढूँढने की जरुरत नहीं होती। सम्बन्ध प्यार के धरातल पर ही पनपते हैं। इस एक शब्द की व्याख्या सम्बन्धों के हिसाब से बदलती रहती है। प्रेमी-प्रेमिका के रूप में यह रोमान्स बन कर आता है। पति पत्नी के बीच पहले आकर्षण, फिर सामंजस्य के रूप में बहने लगता है । माँ बेटे के सम्बन्ध में यह वात्सल्य कहलाता है। भाई बहन के रिश्तों में यह स्नेह के रूप में मौजूद होता है। पर सच्चाई तो यह है कि प्यार के हर रूप में एक स्त्री की मौजूदगी इसे जीवन्त बना देती है। वह उसे सब कुछ सौंपकर कुछ पाना चाहती है तो पुरुष भी उसे भरपूर प्रेम देकर कुछ पाना चाहता है। इसी कुछ को पाने की कशमकश में दुःख – दर्द, घुटन, स्वार्थ, विरह, इन्तजार और थोड़ी सी बेवफाई जाने अनजाने में उसके हिस्से के प्यार में शामिल हो ही जाते हैं। बस यही प्यार है।

साहित्य की सार्थकता तभी होती है जब वह व्यक्ति, समाज, देश और दुनिया को एक नई दिशा प्रदान करे। अच्छा साहित्य केवल मनोरंजन के लिए नहीं होता है अपितु इससे जीने की राह मिलती है। जो भावनाएँ बोलकर व्यक्त नहीं की जा सकती वह शब्दों के रूप में आसानी से कही जा सकती हैं।

लोग आजकल अंग्रेजी साहित्य पढ़ना ज्यादा पसन्द करते हैं लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हिंदी साहित्य दलाल और उनकी शर्तें का भविष्य उज्जवल नहीं है। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और ज्यादातर प्रदेशों में यह मातृभाषा भी है। आजकल के कई युवा लेखक हिंदी में भी अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं। हिंदी में लिखी पुस्तकें भी पढ़ी और पसंद की जा रही हैं। अच्छा साहित्य कभी भी धूमिल नहीं होता। हिंदी साहित्य का वर्तमान बेहतर है तो भविष्य भी आशावान है।

लेखन के अतिरिक्त मुझे पेड़-पौधों से प्यार है लेकिन यह बात और है कि मैं अपनी इस शौक के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाता। पुराने हिन्दी गाने सुनना भी मुझे बेहद पसन्द है। मैं जब कोई रोमान्टिक कहानी लिख रहा होता हूँ तो पुराने हिन्दी रोमान्टिक गाने दलाल और उनकी शर्तें मेरे कमरे में गूंज रहे होते हैं।

इसके अतिरिक्त स्टेज पर नाटक निर्देशित करना भी मुझे एक प्रकार की संतुष्टि प्रदान करता है। अपने ऑफिस के वार्षिक समारोह में हर वर्ष मैं अपना लिखा एक नाटक अवश्य निर्देशित करता हूँ।

अपने लेखन के प्रति ईमानदार रहें और प्रसिद्धि पाने के लिए अपने लेखन और उसूलों से कभी भी समझौता न करें। आप दिल से लिखेंगे तो प्रसिद्धि और सफलता अपने आप ही पीछे-पीछे आएँगी।

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