विश्व विदेशी मुद्रा

मुद्राओं को यूडीएस / आईएनआर , ईयूआर / यूडीएस , यूडीएस / जेपीवाई जैसे जोड़े में उद्धृत किया जाता हैं। और , वहाँ एक प्रत्येक दो मुद्राओं के साथ दर जुडी हुई है। मान लें कि यूडीएस / सीएडी के लिए उद्धृत मूल्य 1.2569 है। इसका मतलब है कि एक डॉलर खरीदने के लिए आपको 1.2569 कैनेडियन डॉलर का भुगतान करना होगा।
विदेशी विनिमय बाजार का परिचय
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एक व्यापारी के बारे में सोचें जो विदेशी देशों को माल निर्यात और अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों से माल आयात करता है। घरेलू बाजार में , हम व्यापार प्रणाली को आसानी से समझ सकते हैं। आप एक वस्तु खरीदते हैं और विक्रेता को रुपये में भुगतान करते हैं। लेकिन आप अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बारे में क्या जानते हैं ? एक विदेशी व्यापारी माल के बदले में रुपए स्वीकार नहीं करेगा और अपनी देशीय मुद्रा की मांग भी कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जटिल प्रकृति का होने के कारण , विभिन्न देशों में विभिन्न मुद्राओं होने के कारण , बाजार दर पर एक मुद्रा परिवर्तित को दूसरी मुद्रा में बदलने की आवश्यकता होती है।
विदेशी मुद्राओं का व्यापार विशेष बाजार में किया जाता हैं। विदेशी विनिमय ( या फोरेक्स या एफएक्स ) बाजार सबसे बड़ा बाजार है , जिसमें विदेशी व्यापारियों के बीच ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का आदान – प्रदान होता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में डॉलर
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसे दुनिया भर में व्यापार या विनियम के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है। अमेरिकी डॉलर, यूरो और येन आदि विश्व की कुछ महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्राएँ हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा को आरक्षित मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दुनिया भर की 180 प्रचलित मुद्राओं को मान्यता प्रदान की है और अमेरिकी डॉलर भी इन्हीं में से एक है, परंतु खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश का प्रयोग मात्र घरेलू स्तर पर ही किया जाता है।
- विश्व भर के बैंकों की डॉलर पर निर्भरता को वर्ष 2008 के वैश्विक संकट में स्पष्ट रूप से देखा गया था।
- आरक्षित मुद्रा के रूप में
- अंतर्राष्ट्रीय क्लेम को निपटाने और विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से दुनिया भर के अधिकांश केंद्रीय बैंक अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार रखते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है। आँकड़ों के मुताबिक, 2019 की पहली तिमाही तक विश्व के सभी ज्ञात केंद्रीय बैंकों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 61 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी डॉलर का है।
- अमेरिका डॉलर के बाद यूरो को सबसे लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना जाता है, विदित हो कि वर्ष 2019 की विश्व विदेशी मुद्रा पहली तिमाही तक विश्व के सभी केंद्रीय बैंकों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 20 प्रतिशत हिस्सा यूरो का है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2010 से जापानी येन (Yen) की आरक्षित मुद्रा के रूप में भूमिका में 5.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि चीनी युआन (Yuan) और अधिक महत्त्वपूर्ण विश्व विदेशी मुद्रा हो गया है, यद्यपि यह अभी मात्र 2 प्रतिशत का ही प्रतिनिधित्व करता है।
डॉलर के विकास की कहानी
- उल्लेखनीय है कि पहला अमेरिकी डॉलर वर्ष विश्व विदेशी मुद्रा 1914 में फेडरल रिज़र्व बैंक द्वारा छापा गया था। 6 दशकों से कम समय में ही अमेरिकी डॉलर एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उभर कर सामने आ गया, हालाँकि डॉलर के लिये इतने कम समय में ख्याति हासिल करना शायद आसान नहीं था।
- यह वह समय था जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़ते हुए विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रही थी, परंतु ब्रिटेन अभी भी विश्व का वाणिज्य केंद्र बना हुआ था क्योंकि उस समय तक अधिकतर देश ब्रिटिश पाउंड के माध्यम से ही लेन -देन कर रहे थे।
- साथ ही कई विकासशील देश अपनी मुद्रा विनिमय विश्व विदेशी मुद्रा में स्थिरता लाने के लिये उसके मूल्य का निर्धारण सोने (Gold) के विश्व विदेशी मुद्रा आधार पर कर रहे थे
- इस व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है।
निष्कर्ष
अरबों डॉलर के विदेशी ऋण और घाटे की वित्तीय व्यवस्था के बावजूद वैश्विक बाज़ार को अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर विश्वास है। जिसके कारण अमेरिकी डॉलर आज भी विश्व की सबसे मज़बूत मुद्रा बनी हुई है और आशा है कि आने वाले वर्षों में भी यह महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा की भूमिका अदा करेगी, हालाँकि गत कुछ वर्षों में चीन और रूस जैसे देशों ने डॉलर के समक्ष कई चुनौतियाँ पैदा की हैं। आवश्यक है कि चीन और रूस जैसे देशों की बात भी सुनी जानी चाहिये और सभी हितधारकों को एक मंच पर एकत्रित होकर यथासंभव संतुलित मार्ग की खोज करने का प्रयास करना चाहिये।
प्रश्न: वैश्विक वित्तीय प्रणाली में डॉलर की भूमिका का विश्व विदेशी मुद्रा मूल्यांकन कीजिये।
चीन, जापान, स्विट्जरलैंड और रूस के बाद भारत का स्थान, बना दुनिया का 5वां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 21, 2021 13:43 ISTPhoto:FREEPIK
India become 5th largest country in terms of biggest foreign exchange reserve after china, Japan, विश्व विदेशी मुद्रा Switzerland, russia
नई दिल्ली। देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने बताया कि 608.99 अरब डॉलर के साथ भारत विश्व का 5वां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है। 25 जून, 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत चीन, जापान, स्विट्जरलैंड और रूस के बाद दुनिया का पांचवों सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है। सरकार ने यह भी बताया कि चालू खाते के घाटे की मात्रा शुद्ध पूंजी प्रवाह मात्रा से अधिक है।
जुलाई में मुद्रा भंडार हुआ 611 अरब डॉलर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार नौ जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.883 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 611.895 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले, दो जुलाई को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 1.013 अरब डॉलर बढ़कर 610.012 अरब डॉलर पर पहुंचा था। इस अवधि में देश का स्वर्ण भंडार 58.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 36. 956 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान मूल्यांकन प्रभाव सहित विश्व विदेशी मुद्रा 99.2 अरब डॉलर की वृद्धि हुई। इससे पिछले वर्ष यह वृद्धि 64.9 अरब डॉलर थी। रिजर्वबैंक ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार पर मूल्यांकन लाभ, प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्यह्रास और सोने की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव होता है।
मूल्यांकन लाभ वर्ष 2020-21 के दौरान 11.9 अरब डॉलर था, जो वर्ष 2019-20 के दौरान 5.4 अरब डॉलर था। वर्ष भुगतान संतुलन (मूल्यांकन प्रभावों को छोड़कर) के आधार पर, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 87.3 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 59.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी।
विश्व विदेशी मुद्रा
वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार इस साल लगभग 200 ट्रिलियन घटकर $12 ट्रिलियन रह गया जो 2003 से ब्लूमबर्ग द्वारा दर्ज आंकड़ों के अनुसार सबसे बड़ी गिरावट है। भारत और चेक रिपब्लिक जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनी मुद्रा का समर्थन करने के कारण यह गिरावट हुई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $96 बिलियन घटकर $538 बिलियन रह गया है।
600 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में शामिल हुआ भारत
भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 04 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा का देश का भंडार 6.84 अरब डॉलर बढ़कर विश्व विदेशी मुद्रा 605.01 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले 28 मई को समाप्त सप्ताह में यह 5.27 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 598.16 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा था। यह लगातार नवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा का देश का भंडार बढ़ा है।
भारत 600 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा वाला पांचवां देश बन गया है। इस मामले में हम रूस से मामूली अंतर से पीछे हैं। रूस के पास 605.20 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। चीन 3,330 अरब डॉलर के साथ सूची में पहले स्थान पर है। जापान 1,378 अरब डॉलर के दूसरे और स्विट्जरलैंड 1,070 अरब डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है।