विदेशी मुद्रा व्यापारी पाठ्यक्रम

पूंजी बाजार

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भारत में मुद्रा और वित्त बाजार के साधन

मुद्रा बाजार एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है।

मुद्रा बाजार एक ऐसा सेंटर है जहाँ अल्प कालीन स्वभाव की मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों (सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि की) का व्यापार होता है, जबकि वित्त बाजार, मध्यम और दीर्घकालीन फण्ड का बाजार है जहाँ लम्बी अवधि के लिए बचत बिकती है। मुद्रा बाजार में ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक पत्र/पेपर और बैंकरों की स्वीकृतियां आदि खरीदे और बेचे जाते हैं।

मुद्रा बाजार साधन (Money Market Instruments): मुद्रा बाजार अल्पकालीन पैसे के लिए एक बाजार है और वित्तीय परिसंपत्तिया पैसे की सबसे नजदीकी विकल्प होती हैं। लघु अवधि शब्द का आमतौर पर एक 1 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए प्रयोग किया जाता है ।

मुद्रा बाज़ार के मुख्य साधन इस प्रकार है:-

कॉल/ नोटिस मनी मार्केट (Call Money Market): कॉल/ नोटिस मनी वह पैसा है जो एक लघु अवधि के लिए उधार दिया या लिया जाता है। जब पैसा एक दिन के लिए उधार दिया या लिया जाता है तो इसे कॉल (ओवरनाइट) मनी के रूप में जाना जाता है, इस तरह के पैसे को एक दिन के लिए उधार लिया जाता है और अगले कार्यदिवस (छुट्टियों की संख्या की परवाह किए बगैर) पर चुकता कर दिया जाता है, इसे "कॉल मनी" कहा जाता है। जब पैसा 1 या उससे अधिक अथवा 14 दिनों से ज्यादा समय के लिए उधार लिया जाता है तो इसे "नोटिस मनी" कहा जाता है। इस तरह के लेनदेन के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है।

इंटर- बैंक टर्म मनी (Inter- Bank Term Money): 14 दिनों से अधिक की अवधि की परिपक्व जमा राशि के लिए अंतर-बैंक बाजार को मुद्रा बाजार (Money Market) के रूप में जाना जाता है। इसके लिए वहीं नियम लागू होते हैं है जो कॉल/नोटिस मनी के लिए होते हैं, सिवाय कि मौजूदा नियम जिसमें निर्दिष्ट संस्थाओं को 14 दिनों से अधिक की अवधि के लिए उधार देने के लिए अनुमति नहीं होती है।

ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills): भारत में ट्रेज़री बिल्स की शुरुआत 1917 में पहली बार की गयी थी । लघु अवधि के लिए (एक वर्ष तक) केंद्र सरकार द्वारा उधार लेने के साधनों को ट्रेजरी बिल्स कहा जाता है। सरकार इसी के माध्यम से उधार लेती है । ये सर्वाधिक तरल प्रतिभूतियां होती हैं । इनका निर्गमन रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकार के लिए किया जाता है। यह सरकार द्वारा किया गया एक वादा है जिसमें जारी होने की तिथि के एक वर्ष से कम अवधि के भीतर राशि का भुगतान करना होता है। इन्हें अंकित मूल्य के लिए एक छूट के तहत जारी किया जाता है

जमाराशियों का प्रमाण पत्र (Certificate of Deposits): जमाराशि के प्रमाणपत्र (सीडी) एक विनिमेय मुद्रा बाजार साधन है। यह डीमैट के रूप या एक बैंक में जमा राशि के लिए एक प्रमाणपत्र के रुप में या एक निर्धारित समय अवधि के लिए किसी अन्य वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया गया एक वचनबद्ध प्रमाणपत्र होता है।

वर्तमान में सीडी जारी करने के लिए दिशा-निर्देशों का नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है जिसमें समय -समय पर संशोधन भी किया जाता है। सीडी को निम्न संस्थान जारी कर सकते हैं:(I) निर्धारित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर वाणिज्यिक बैंक और स्थानीय क्षेत्रीय बैंक (एलएबी); (ii) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह अनुमति प्रदान होती है कि वे एक लघु अवधि के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय नीतियों के तहत संसाधन जुटाएं। बैंकों को अपनी आवश्यकताओं के आधार पर सीडी जारी करने की स्वतंत्रता है। एक वित्तीय संस्थान (एफआई) कुल मिलाकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय निर्देशों के आधार पर सीडी जारी कर सकता है। इसे 1989 में शुरू किया गया था।

वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) (सीपी):

इसे मूलतः वाघुल समिति की संस्तुति पर मार्च 1989 को शुरू किया गया था। C.P. एक प्रतिज्ञा पत्र युक्त अल्प अवधि का प्रपत्र है जिसकी अवधि 7 से 90 दिन की होती है । सीपी की न्यूनतम परिपक्वता अवधि 7 दिनों की होती है। इसका निर्गमन बट्टा आधार पर होता है । सीपी साफ तौर पर एक समर्थन करने और वितरण से संबंधित समझौता है।

एक कंपनी जो सी.पी. जारी करने के लिए पात्र होगी- (क) कंपनी का कुल मूल्य, नवीनतम आडिटे की बैलेंस शीट के अनुसार 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए (ख) बैंकिग प्रणाली में कंपनी की कार्यशील पूंजी (निधि आधारित) की सीमा 4 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए और (ग) कंपनी के ऋण खाते को वित्तपोषण बैंक/ बैंको द्वारा तय एक मानक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग क्रिसिल द्वारा पी -2 या अन्य एजेंसियों द्वारा तय इसी प्रकार की रेंटिंग होनी चाहिए।

पूंजी बाजार साधन (Capital Market Instruments): पूंजी बाजार में आम तौर पर निम्नलिखित दीर्घकालिक अवधि होती है, जैसे- एक वर्ष से अधिक की अवधि, वित्तीय साधनों; इक्विटी खंड में इक्विटी शेयर, प्रमुख शेयर, परिवर्तनीय मुख्य शेयर, गैर-परिवर्तनीय प्रमुख शेयर और ऋण खंड डिबेंचर, जीरो कूपन बांड, भीरी डिस्काउंट बांड आदि ।

हाइब्रिड साधन (Hybrid Instruments): हाइब्रिड साधनों में इक्विटी और डिबेंचर, दोनों विशेषताएं होती हैं। इस तरह के साधन को हाईब्रिड साधन कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, परिवर्तनीय डिबेंचर, वारंट आदि।

सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटाने को जाएंगे पूंजी बाजार : गडकरी

डकरी ने कहा कि बीमा और पेंशन कोष ने भारत की सड़क परियोजनाओं में निवेश करने में रुचि दिखाई है क्योंकि ये परियोजनाएं आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं। उन्होंने पिछले महीने कहा था कि बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट्र (इनविट्स) के जरिये पैसा जुटाया जाएगा।

नई दिल्ली, एजेंसी: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटाने को लेकर इस महीने पूंजी बाजार का रुख करेगी। उन्होंने गुरुवार को नई दिल्‍ली में एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का टोल राजस्व अगले तीन साल में सालाना 40,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा, 'इस महीने सड़क परियोजनाओं के लिए मैं धन जुटाने को लेकर पूंजी बाजार का रुख करूंगा। टोल से हमारी आय बहुत अच्छी है और एनएचएआइ की रेटिंग एएए है। मुझे सौ प्रतिशत भरोसा है कि हमें पूंजी बाजार से अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।' गडकरी ने कहा कि बीमा और पेंशन कोष ने भारत की सड़क परियोजनाओं में निवेश करने में रुचि दिखाई है क्योंकि ये परियोजनाएं आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं। उन्होंने पिछले महीने कहा था कि बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट्र (इनविट्स) के जरिये पैसा जुटाया जाएगा और खुदरा निवेशकों के लिए 10 लाख रुपये की निवेश सीमा होगी।

खिलौना क्षेत्र के लिए आएगी 3,500 करोड़ की PLI योजना।

लागत पर नहीं गुणवत्ता पर ध्यान दें वाहन विनिर्माता

उधर, सियाम के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि वाहना उद्योगों को लागत की बजाय गुणवत्ता पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाहन निर्माताओं को लागत कम करने, आयात कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिए नई तकनीक अपनानी चाहिए। उद्योगपति साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना में मौत होने के बाद सड़क सुरक्षा को लेकर छिड़ी बहस की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह बात कही। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के 62वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए गड़करी ने कहा कि वाहन विनिर्माताओं को लागत घटाने, ग्राहकों को और सुविधाएं देने, आयात घटाने और निर्यात बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकियां अपनानी चाहिए। गडकरी ने कहा, ‘‘वाहन क्षेत्र के अपने मित्रों से मैं कहता हूं कि उन्हें लागत के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि लोगों की पसंद बदल रही है।’’

Repo Rate में एक और वृद्धि से उद्योग जगत में चिंता।

स्‍क्रैप पॉलिसी पर कही यह बात

वाहन कबाड़ नीति का जिक्र करते हुए गडकरी कहा पूंजी बाजार कि परिवहन एवं इस्पात मंत्रालय वित्त मंत्रालय से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया वित्त मंत्री से अनुरोध करेंगे कि पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने के बाद नए वाहन की खरीद पर जीएसटी कम किया जाए। उन्होंने कहा कि वाहन विनिर्माता लोगों को पुराने वाहन को कबाड़ में देने के एवज में नए वाहन की खरीद पर कुछ छूट की पेशकश भी कर सकते हैं।

LIC का आईपीओ आने का रास्ता साफ, पूंजी बाजार नियामक सेबी से मिली मंजूरी

भारतीय जीवन बीमा निगम में सरकार 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। इसके तहत 31 करोड़ से ज्यादा शेयर आईपीओ के जरिये आएंगे।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: March 09, 2022 12:04 IST

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Highlights

  • जीवन बीमा निगम में सरकार 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी
  • 31 करोड़ से ज्यादा शेयर आईपीओ के जरिये आएंगे
  • बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आईपीओ की तारीख आगे बढ़ने की संभावना

नई दिल्ली। जीवन बीमा निगम (LIC) का इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) आने का रास्ता साफ हो गया है। पूंजी बाजार नियामक सेबी से एलआईसी को आईपीओ लाने की मंजूरी मिल गई है। सेबी की यह मंजूरी ड्राफ्ट सौंपे जाने के 22 दिन के भीतर मिली है। सेबी की ओर से मिली मंजूरी के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम में सरकार 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। इसके तहत 31 करोड़ से ज्यादा शेयर आईपीओ के जरिये आएंगे। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आईपीओ की तारीख आगे बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

यूक्रेन संकट को देखते हुए टालने का फैसला संभव

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सरकार एलआईसी की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है, क्योंकि मौजूदा हालात में निर्गम को लेकर फंड प्रबंधकों की दिलचस्पी कम हुई है। सरकार इसी महीने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही थी, जिससे सरकारी खजाने को लगभग 60,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था। इस आईपीओ से चालू वित्त वर्ष के लिए 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलने की भी उम्मीद थी।

एलआईसी में 20 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईपीओ लाने की तैयारी में जुटी एलआईसी में स्वचालित मार्ग से 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है। सरकार के इस कदम से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के विनिवेश में आसानी होगी। सरकार ने एलआईसी के शेयरों को आईपीओ के जरिए शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने की मंजूरी दे दी है। विदेशी निवेशक इस मेगा आईपीओ में भाग लेने के इच्छुक हो सकते हैं, हालांकि मौजूदा एफडीआई नीति के तहत एलआईसी में विदेशी निवेश का कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जो एलआईसी अधिनियम, 1956 के तहत गठित एक सांविधिक निगम है।

पूंजी बाजार किसे कहते हैं?

यह दीर्घकालिक निधियों जैसे ऋणपत्रों तथा अंशपत्रों का बाजार है जो एक लम्बे समय के लिए जारी की जाती है। इसके अंतर्गत विकास बैंक, वाणिज्यिक बैंक तथा स्टॉक एक्सचेंज समाहित होते हैं। पूंजी बाजार को दो भागों में बांटा जा सकता है। (1) प्राथमिक बाजार (2) द्वितीयक बाजार।

1. प्राथमिक बाजार

इसे नए निगर्मन बाजार के रूप में पूंजी बाजार भी जाना जाता है। यहाँ केवल नई प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है जिन्हें पहली बार जारी किया जाता है। इस बाजार में निवेश करने वालों में बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ, म्युचुअल फण्ड एवं व्यक्ति होते हैं। इस बाजार का कोई निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है।

प्राथमिक बाजार में प्रतिभूतियों को निर्गमित करने की विधियाँ :-

(1) विवरण पत्रिका के माध्यम से प्रस्ताव :- इसके अंतर्गत विवरण पत्रिका जारी करके जनता से अंशदान आमंत्रित किया जाता है। एक विवरण पत्रिका पूंजी उगाहने के लिए निवेशकों से प्रत्यक्ष अपील करती है जिसके लिए अखबारों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से विज्ञापन जारी किए जाते हैं।

(2) विक्रय के लिए प्रस्ताव :- इस विधि के अन्तर्गत निर्गमन गृहों या ब्रोकर्स जैसे माध्यकों के द्वारा प्रतिभूतियों को बिक्री के लिए प्रस्तावित किया जाता है। कम्पनी द्वारा ब्रोकर्स को सहमति मूल्य पर प्रतिभूतियों को बेचा जाता है जिन्हें ो निवेशक जनता को अधिक मूल्य पर पुन: विक्रय करते हैं।

(3) निजी नियोजन :- एक कम्पनी द्वारा संस्थागत निवेशकों तथा कुछ चयनित वैयक्तिक निवेशकों को प्रतिभूतियों का आवंटन करने की प्रक्रिया को निजी नियोजन कहा जाता है।

(4) अधिकार निर्गम :- यह एक विशेषाधिकार है जो विद्यामन शेयर धारकों को पहले से क्रय किए हुए शेयरों के अनुपात में नए शेयरों को खरीदने का अधिकार देता है।

(5)ई - आरंभिक सार्वजनिक निर्गम :- यह स्टॉक एक्सचेन्ज की ऑन-लाइन प्रणाली के माध्यम से प्रतिभूतियाँ जारी करने की विधि है। स्टॉक एक्सचेंज की पूंजी बाजार ऑन-लाइन प्रणाली के माध्यम से जनता को पूंजी को प्रस्तावित करने वाली कम्पनी को स्टॉक एक्सचेन्ज से एक ठहराव करना होता है जिसे ई-आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव कहते हैं। इसके लिए सेबी के साथ पंजीयत दलालों को आवेदन स्वीकार करने हेतु नियुक्त किया जाता है।

2. द्वितीयक बाजार

इसे स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार

निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों की कीमत को उनकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा तय किया जाता है।

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