जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है

जब स्तन ढकने पर लगता था TAX, जानिए 150 साल पुरानी कुप्रथा की वो कहानी जब एक महिला ने स्तन काट‚ दिया बलिदान; फिर बदल गया था पूरा विधान
नांगेली का नाम केरल से बाहर शायद ही कोई जानता हो या किसी ने बाहर सुना हो । किसी स्कूल के इतिहास की बुक में उसका कोई जिक्र या तस्वीर तक आपको नहीं मिलेगी लेकिन नांगेली के साहस की मिसाल ऐसी की एक बार जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है आप जानने के बाद आप कभी भूलेंगे नहीं, क्योंकि नांगेली ने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने स्तन ही काट दिए थे ।
जब स्तन ढ़कने पर लगता था टैक्स, तब एक लड़की जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है ने स्तन काट कर दिया अपना बलिदान और फिर जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है बदल गया पूरा विधान
Ishika Jain
भारत को जितना बाहरी आंतकियों ने नहीं तोड़ा उससे ज्यादा उसे देश में बनी कुप्रथाओं ने तोड़ा हैं। देश को जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है आज़ाद हुए कई दशक बीत गए लेकिन हम अब भी केवल खुद को आगे बढ़ाने की होड़ में लगे हैं, ना की समाज को। क्या आपको पता है जिस खुले आसमान के नीचे हम आज़ादी से सांस ले रहे हैं, वो उन शूरवीरों की कुर्बानी की कर्जदार हैं, जिन्होंने तमाम यातनाओं के बाद भी देश को आज़ाद करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
समाज में सदियों से कई कुप्रथाएं चली आ रही हैं। कुछ कुप्रथाएं खत्म भी हुई, लेकिन कुछ बदसतूर आज भी जारी है और वो समाज का अंग बनी हुई है। समाज में बदलाव लाने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए दिए गए बलिदान की कई घटनाएं इतिहास में दर्ज हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना से अवगत करवाएंगे। घटना ऐसी, जिसने जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है पूरी मानवता को झकझोर दिया। ये घटना हैं केरल कि, जहां एक जब एक ले व्यापार में पाने के लिए और जब बाहर निकलना है क्रूर प्रथा के खात्मे के लिए एक महिला द्वारा दी गई अपने प्राणों की कुर्बानी हमेशा के लिए केरल के इतिहास में दर्ज हो गई है।
150 साल पहले खत्म हुई वो काली प्रथा, जो महिलाओं को हर दिन शर्मसार करती थी
केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी यह घटना लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी हैं। घटना उस समय कि, जब वहां राज़ था त्रावणकोर के राजा का। उस समय जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी थीं। जात-पात का अंतर इतना की किसी पहनावे को देखकर ही उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी। उस समय एक प्रथा बनाई गई। इस प्रथा के तहत महिलाओं को अपने स्तन ढ़कने कि इज़ाज़त नहीं थी और साथ ही महिलाओं को अपने स्तन के आकार के अनुसार मुला करम < ब्रैस्ट टैक्स >अदा करने का प्रावधान था।