निवेश उत्पाद

मुझे भारत के अग्रणी रीयल एस्टेट डेवलपर्स से मिलने की खुशी हो रही है जो यूके में भारतीय निवेश के शानदार ट्रैक रिकॉर्ड की कसौटी हैं। ब्रिटेन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि दुनिया में सबसे तेजी से निवेश उत्पाद बढ़ती अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत को यहां निवेश करने और सफल होने में हमारा पूरा सहयोग है। यूके में अपने कारोबार का विस्तार करने वाले मुंबई के लोढ़ा ग्रुप जैसे मजबूत निवेशों श्रृंखला के माध्यम से भारत हमारे देश के शीर्ष 5 निवेशकों में से एक बना हुआ है जिसके द्वारा हजारों नौकरियों का सरंक्षण व सृजन किया जा रहा है। अपने दोनो देशों के बीच पारस्परिक लाभप्रद संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए अपने भारतीय सहयोगियों के साथ जुड़ने के लिए मैं काफी उत्सुक हूं।
_________ के अनुसार कारक निवेश का सीमांत उत्पाद शुरूआत में अपने रोजगार स्तर के साथ बढ़ता है। लेकिन रोजगार के एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद, यह घटने लगता है।
चर अनुपात का कानून के अनुसार अन्य कारकों को अचल रखते हुए, जैसे – जैसे एक कारक की मात्रा बढ़ती है, उस कारक का सीमांत उत्पाद अंत में घटेगा। इसका अर्थ यह है कि निश्चित कारक के एक निश्चित राशि के उपयोग से, कारक के सीमान्त उत्पाद में वृद्धि हो सकती है और एक निश्चित अवस्था के बाद यह घटना शुरू हो जाता है। जब परिवर्तनीय कारक अपेक्षाकृत प्रचुर मात्रा में होता है, तो सीमांत उत्पाद नकारात्मक हो सकता है।
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Last updated on Nov 16, 2022
SSC CGL 2021 Skill Test Dates Announced! The Skill Test will be taking place on 4th and 5th January 2023. The SSC CGL Application Status for all Regions and SSC CGL Admit Card for NER, ER, WR, NWR, CR & MPR Regions is active. Candidates can log in to the regional website of SSC and check their application status. SSC CGL 2022 Tier I Prelims Exam will be conducted from 1st to 13th December 2022. The SSC CGL 2022 Notification was out on 17th September 2022. The SSC CGL Eligibility is a bachelor’s degree in the concerned discipline. This year, SSC has completely changed the exam pattern and for the same, the candidates must refer to SSC CGL New Exam Pattern.
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
1991 में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्तुत किए जो इस दृष्टि से वृहद प्रयास थे जिनमें विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत आगे निकल आई है । सकल स्वदेशी उत्पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रतिशत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रतिशत के रूप में बढ़ गयी ।
कृषि
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी निवेश उत्पाद प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है ।
विभिन्न नीतिगत उपायों के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई, जिसके फलस्वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई । कृषि में वृद्धि ने अन्य क्षेत्रों में भी अधिकतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में और अधिकांश जनसंख्या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मिलियन टन का एक रिकार्ड खाद्य उत्पादन हुआ, जिसमें सर्वकालीन उच्चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्पादन हुआ । कृषि क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रतिशत प्रदान करता है ।
उद्योग
औद्योगिक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जोकि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है जैसे कि ऋण के बोझ को कम करना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्मनिर्भर वितरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परिदृय को वैविध्यपूर्ण निवेश उत्पाद और आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय विकास का संर्वद्धन, गरीबी उन्मूलन, लोगों के जीवन स्तर को उठाना आदि हैं ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार देश में औद्योगिकीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्टि से विभिन्न नीतिगत उपाय करती रही है । इस दिशा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगिक नीति संकल्प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारित हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारित हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रतिबंधों को हटाना, पहले सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित, निजी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनिश्चित मुद्रा विनिमय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि के द्वारा महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्यधिक अपेक्षित तीव्रता प्रदान की ।
आज औद्योगिक क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रतिशत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रतिशत अंशदान करता है ।
सेवाऍं
आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि आधरित अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रतिशत ( 1991-92 के 44 प्रतिशत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक तिहाई है और भारत के कुल निर्यातों का एक तिहाई है
भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्लेखनीय वैश्विक ब्रांड पहचान प्राप्त की है जिसके लिए निम्नतर लागत, कुशल, शिक्षित और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्ति के एक बड़े पुल की उपलब्धता को श्रेय दिया जाना चाहिए । अन्य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्यवसाय प्रोसिस आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परिवहन, कई व्यावसायिक सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधित सेवाऍं और वित्तीय सेवाऍं शामिल हैं।
बाहय क्षेत्र
1991 से पहले भारत सरकार ने विदेश व्यापार और विदेशी निवेशों पर प्रतिबंधों के माध्यम से वैश्विक प्रतियोगिता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति अपनाई थी ।
उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परिवर्तित हो गया । विदेश व्यापार उदार और टैरिफ एतर बनाया गया । विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सहित विदेशी संस्थागत निवेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लिए जा रहे हैं । वित्तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्य अन्य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्तियों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।
आज भारत में 20 बिलियन अमरीकी डालर (2010 - 11) का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हो रहा है । देश की विदेशी मुद्रा आरक्षित (फारेक्स) 28 अक्टूबर, 2011 को 320 बिलियन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बिलियन अ.डालर की तुलना में )
भारत माल के सर्वोच्च 20 निर्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्च 10 सेवा निर्यातकों में से एक है ।
निवेश उत्पाद
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ब्रिटेन के व्यापार मंत्री ने यूके में निवेश करने के लिए भारतीय रेयलेटर्स का स्वागत किया
यूके की यात्रा करने वाले 800 प्रतिनिधियों में कई प्रतिष्ठित निवेशक शामिल हैं जो पूरे ब्रिटेन में आवासीय और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश करना चाहते हैं। चूंकि सरकार बुनियादी ढांचे में 500 अरब डॉलर के सार्वजनिक और निजी निवेश की योजना बना रही है इसलिए डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल ट्रेड (डीआईटी) द्वारा निवेश के प्रमुख अवसरों को प्रदर्शित किया जाएगा जिसे ब्रिटिश और भारतीय निवेशकों को लाभ मिलेगा और लीड्स, मैनचेस्टर और नॉटिंघम जैसे शहरों के बड़े हिस्से को फिर से बनाने में मदद मिलेगी।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री, ग्रेग हैंड ने कहा:
मुझे भारत के अग्रणी रीयल एस्टेट डेवलपर्स से मिलने की खुशी हो रही है जो यूके में भारतीय निवेश के शानदार ट्रैक रिकॉर्ड की कसौटी हैं। ब्रिटेन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत को यहां निवेश करने और सफल होने में हमारा पूरा सहयोग है।
यूके में अपने कारोबार का विस्तार करने वाले मुंबई के लोढ़ा ग्रुप जैसे मजबूत निवेशों श्रृंखला के माध्यम से भारत हमारे देश के शीर्ष 5 निवेशकों में से एक बना हुआ है जिसके द्वारा हजारों नौकरियों का सरंक्षण व सृजन किया जा रहा है।
अपने दोनो देशों के बीच पारस्परिक लाभप्रद संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए अपने भारतीय सहयोगियों के साथ जुड़ने के लिए मैं काफी उत्सुक हूं।
ब्रिटेन के रियल इस्टेट की मार्केट वैल्यू £ 1.6 बिलियन से अधिक है जो कुल संपत्ति का 21% है और ब्रिटेन अभी तक यूरोप में ग्लोबल रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान बना हुआ है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट 94 बिलियन पाउंड का योगदान देता है जो सकल घरेलू उत्पाद का 5.4% है और इसके द्वारा बडे पैमाने पर रोजगार का सृजन व सरंक्षण किया जाता है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य, लॉर्ड रणबीरसुरी ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स में स्वागत भाषण दिया और व्यापार मंत्री का परिचय कराया। भारत से गए लोग 800 भारतीय रियाल्टार्स, डेवलपर्स और प्रमोटर्स के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हैं जो कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (सीआरडीएआई) के वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए यूके गए हैं।
लंदन में पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मॉस्को और शंघाई सहित निम्नलिखित शहर शामिल हैं और क्रेडाई के 12,000 सदस्यों द्वारा भारत औऱ पूरे विश्व में किया गया कुल निवेश अरबों पाउंड तक पहुंच गया है। ब्रिटेन और भारत के बीच द्विपक्षीय अवसंरचना व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने और यूके के आवास और रियल एस्टेट क्षेत्रों में कारोबार की प्रक्रिया के बारे में समझाने के लिए डीआईटी के विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
प्रतिनिधि यूके का दौरा भी करेंगे और स्थानीय कस्बों और शहरों में रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश के अवसरों को देखने के लिए नॉर्थ पावरहाउस और मिडलैंड्स के साथ-साथ स्कॉटलैंड भी जाएंगे। इस साल गर्मियों में जारी किए गए डीआईटी के आंकड़ों के मुताबिक भारत से आने वाली 127 परियोजनाएं और 11,644 नौकरियों के सृजन व संरक्षण के साथ यूके ने पिछले साल सबसे अधिक आवक निवेश परियोजनाएं हासिल की थी।
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