एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

उच्च मुद्रास्फीति के समय में निवेश करने के लिए सही कंपनियों का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है. ऐसे समय में उन कंपनियों में निवेश करना उचित होगा जो मुद्रास्फीति की दर (जैसे एफएमसीजी-FMCG और एनर्जी स्टॉक) के साथ-साथ अपनी कीमतें बढ़ाने में सक्षम हों. जिससे उनका मुनाफा बरकरार रहे और उसका फायदा निवेशकों को हो.
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पूरी दुनिया है कनेक्टेड
आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है। इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। हमारा मानना है कि जब यूएस फेड यह घोषणा करता है कि मुद्रा को सख्ती से साथ निपटा जा चुका है तो यह इक्विटी के लिए एक बड़े असेट क्लास के रूप में उभरने का बड़ा मौका होगा। हमें नहीं पता कि ऐसा कब होगा और तब तक हम उम्मीद करते हैं कि मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
भारत पर कोई खास असर नहीं
शाह का कहना है कि विकसित दुनिया के मंदी के एसेट क्लास के रूप में मुद्रा दौर से गुजरने पर भी भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। वास्तव में एक विकसित विश्व मंदी (Developed World Recession) भारत की कुछ चुनौतियों को कम कर सकती है, जिसमें कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, करेंट अकाउंट डेफ़िसिट पर चिंता और मुद्रास्फीति शामिल हैं। इक्विटी मार्केट में करेक्शन हो तो हमें अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक (Structural) मार्केटों में से एक है। इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक अनिश्चितता (Geopolitical Uncertainty) भी एक संभावित फैक्टर है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोप और एशिया ने भी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया है। मार्केट ने अब तक इस तरह के किसी भी डेवलपमेंट पर ध्यान नहीं दिया है। इसलिए हमें यह देखना होगा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे सामने आता है और आगे बढ़ता है।
देश-दुनिया पर मंडराया मंदी का खतरा, Inflation से कैसे बचाएं अपने खून-पसीने का पैसा
Best Investment During Inflation
- नई दिल्ली ,
- 12 अक्टूबर 2022,
- (Updated 12 अक्टूबर 2022, 3:33 PM IST)
मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा कवच रियल एस्टेट
देश-दुनिया में इन दिनों मंदी और महंगाई की खूब चर्चा हो रही है. वैश्विक स्तर पर मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. मंदी के कई कारण हो सकते हैं जिसमें एक महंगाई भी है. बढ़ती कीमतों के चलते लोग अपने खर्च में कमी करते हैं जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर दिखता है. अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने लगती है और फिर मंदी का दौर दस्तक देने लगता है. इस दौर में आपकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) कम हो जाती है. इस दौर में निवेशकों के लिए बड़ा चैलेंज ये होता है कि उनकी इन्वेस्टमेंट उन्हें महंगाई दर से ज्यादा या कम से कम उसके बराबर का रिटर्न दे.
यहां हम आपको कुछ ऐसे एसेट क्लास बता रहें जिसमें आपकी इन्वेस्टमेंट इन्फ्लेशन-प्रूफ रह सकती है.
1. रियल एस्टेट (Real Estate)
रियल एस्टेट को मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक ढाल माना जाता है. यहां तक कि इस दौर में इस क्षेत्र से अच्छी कमाई का मौका एसेट क्लास के रूप में मुद्रा हो सकता है. जैसे-जैसे बाजार में महंगाई बढ़ेगी वैसे-वैसे आपकी प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़ेगी. और तो और, जिसने निश्चित ब्याज दर (Fixed Interest Rate) पर लोन लेकर कोई संपत्ति खरीदी है तो उसको भी इस दौर में फायदा होगा. क्योंकि आप लोन का भुगतान उस पैसे से कर रहे हैं जिसकी कीमत या मूल्य बाजार में कम होता जा रहा है जबकि मुद्रास्फीति से आपकी उसी संपत्ति की कीमत बढ़ रही है.
वित्तीय साधन
वित्तीय साधन पार्टियों के बीच मौद्रिक अनुबंध हैं। उन्हें बनाया, व्यापार, संशोधित और व्यवस्थित किया जा सकता है। वे नकद (मुद्रा) हो सकते हैं, किसी इकाई में स्वामित्व हित का प्रमाण या मुद्रा (विदेशी मुद्रा) के रूप में प्राप्त करने या वितरित करने का संविदात्मक अधिकार ; ऋण ( बांड , ऋण ); इक्विटी ( शेयर ); या डेरिवेटिव ( विकल्प , वायदा , आगे )।
अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक आईएएस 32 और 39 एक वित्तीय साधन को "किसी भी अनुबंध के रूप में परिभाषित करता है जो एक इकाई की वित्तीय संपत्ति और किसी अन्य इकाई की वित्तीय देयता या इक्विटी साधन को जन्म देता है"। [1]
वित्तीय साधनों को "एसेट क्लास" द्वारा वर्गीकृत किया जा सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वे इक्विटी-आधारित हैं ( जारीकर्ता इकाई के स्वामित्व को दर्शाते हैं ) या ऋण-आधारित (निवेशक द्वारा जारीकर्ता इकाई को दिए गए ऋण को दर्शाते हैं)। यदि साधन ऋण है तो इसे आगे अल्पावधि (एक वर्ष से कम) या लंबी अवधि में वर्गीकृत किया जा सकता है। विदेशी मुद्रा लिखत और लेनदेन न तो ऋण हैं और न ही इक्विटी आधारित हैं और अपनी श्रेणी में हैं।
अस्थिर लेकिन आकर्षक, बिटकॉइन बना भारतीयों के सपने का निवेश
अगर क्रिप्टोकरेंसी ने आपको परेशान कर दिया है और खासकर आप बिटकॉइन या एथेरियम जैसे डिजिटल सिक्कों में निवेशक हैं, तो सांसे थाम कर बैठिए क्योंकि पिछले सप्ताह क्रिप्टो एसेट क्लास की तबाही में एक चांदी की परत जुड़ गई है. इसे छोटी अस्थिर अवधि को व्यापक तौर से एक पाठ्यक्रम सुधार के रूप में बताया गया है. एक बिटकॉइन वर्तमान में 37,000 डॉलर के आसपास है, कुछ हफ्ते पहले लगभग 60,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छूने के बाद उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशित रहना और लंबे समय तक सोचना, क्रिप्टो निवेशकों के लिए पालन करने वाला एक अहम नियम है.
तेजी से अपना रहा है भारत क्रिप्टोकरेंसी को
भारत तेजी से बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को अपना रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में वर्तमान में एक करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो निवेशक हैं और देश में कई घरेलू क्रिप्टो एक्सचेंजों के संचालन के साथ यह संख्या हर दिन काफी बढ़ रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के क्रिप्टोकरेंसी से सावधान होने के बावजूद, भारतीय डिजिटल सिक्कों में निवेश करने के लिए एक रास्ता बना रहे हैं, जिसे 21वीं सदी का सबसे जरूरी संपत्ति वर्ग कहा गया है. जेब-पे के सीईओ राहुल पगीदीपति के अनुसार, 'भारतीय निवेशक बिटकॉइन को एक ऐसे परिसंपत्ति वर्ग के रूप में देखना सीख रहे हैं जो हर लंबी अवधि के पोर्टफोलियो में शामिल है.'
नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया
सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.
प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa
हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.
ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं
एक अन्य एसेट क्लास के रूप में मुद्रा मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.
हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.
कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार
भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.
कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance
भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.