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फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी

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Financial Planning 2020: रुपये-पैसे से जुड़े काम में सही फैसला सुरक्षित करेगा भविष्य, ये 5 टिप्स आएंगी काम

आइए ऐसे सुझावों के बारे में जानते हैं जो आपको इस साल सही वित्तीय फैसले लेने में मदद करेंगे.

Financial Planning 2020: रुपये-पैसे से जुड़े काम में सही फैसला सुरक्षित करेगा भविष्य, ये 5 टिप्स आएंगी काम

सही फैसला लेना जीवन में वित्तीय तौर पर सफल होने के लिए बेहद जरूरी है. यह मुमकिन है कि कुछ समय पहले अपनी वित्तीय स्थिति की बेहतरी के लिए जो आपने फैसला लिया हो, वह वर्तमान स्थिति के मुताबिक सही न हो. या आपका अभी लिया फैसला भविष्य में सही न रहे. उदाहरण के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स पिछले दशक में दो अंकों फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी में थे और आपने उनमें निवेश किया. अब रेट्स कम हैं और आप दूसरे विकल्पों की तरफ देख सकते हैं. और ऐसा हो सकता है कि भविष्य में रेट्स दोबारा बढ़ें जिससे आप दोबारा अपना रास्ता बदल लेंगे. ऐसी दुविधाएं आपको 2020 में परेशान कर सकती हैं. इसलिए आइए कुछ ऐसे सुझावों के बारे में जानते हैं जो आपको इस साल अपने लिए सही वित्तीय फैसले लेने में मदद करेंगे.

निवेश: इक्विटी बनाम डेट

जब भी निवेश करने के बारे में व्यक्ति विचार करता है, तो उसके सामने दो मुख्य विकल्प आते हैं: इक्विटी और डेट से संबंधित निवेश. 2020 में आपको अपने निवेश को बहुत ध्यान से चुनना चाहिए. निवेश के लिए विकल्प को चुनते समय आपको अपने वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर उसके हिसाब से फैसला लें. 2019 में इक्विटी निवेश खासकर मिडकैप, स्मॉल कैप स्टॉक और म्यूचुअल फंड का खराब प्रदर्शन जारी रहा. हालांकि, कुछ चुनिंदा लार्ज कैप निवेश ने बेहतर प्रदर्शन किया. दूसरी तरफ, कुछ डेट निवेश भी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकामयाब रहे.

इसलिए, 2020 में अपने लक्ष्यों को फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी देखिए और अपने जोखिम लेने की क्षमता का आंकलन कीजिए. बेहद लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए (जैसे 10 से 20 साल की अवधि), आप SIP के जरिए मिड कैप फंड्स में निवेश कर सकते हैं. छोटी अवधि के लक्ष्यों के लिए शॉर्ट टर्म डेट फंड में निवेश करें. अगर आप रिटायरमेंट के करीब हैं, तो इक्विटी में ज्यादा ध्यान न दें. अगर आपने अभी अपना करियर शुरू किया है और आप 20 या 30 साल की उम्र में हैं, तो ठीक तरीके से इक्विटी में निवेश कर सकते हैं. 40 या 50 साल की उम्र में हैं, तो ज्यादा संतुलित निवेश का तरीका अपनाएं.

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खर्च: कैश बनाम नॉन-कैश

1 जनवरी से NEFT ट्रांजैक्शन में कोई चार्ज नहीं लग रहा है. इसका इस्तेमाल करें और इसके साथ UPI, वॉलेट, IMPS और RTGS का भी अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. सरकार कैश के इस्तेमाल को कम करके डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना चाहती है. नॉन-कैश ट्रांजैक्शन के कई फायदे हैं. आपको रिवॉर्ड प्वॉइंट्स, आकर्षक डिस्काउंट्स और ऑफर्स मिलते हैं. प्लास्टिक मनी को संभालना ज्यादा आसान होता है और यह सुरक्षित भी रहता है. तो 2020 में आप डिजिटल ट्रांजैक्शन के फायदे ले सकते हैं.

इंश्योरेंस: टर्म पॉलिसी बनाम ट्रेडिशनल पॉलिसी

भारत में लोग अक्सर लाइफ इंश्योरेंस को छोड़ देते हैं जो लॉन्ग टर्म निवेश का जरिया है. इसकी वजह जल्दी से नकदी हासिल करना होती है. यह सही नहीं है. निवेश को इंश्योरेंस के साथ मिलाया नहीं जाना चाहिए. इससे आपके रिटर्न और कवरेज दोनों को नुकसान पहुंचता है. ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश और रिस्क कवर दोनों शामिल होते हैं. हालांकि, इसमें रिटर्न कम होता है और लिक्विडिटी की भी कमी होती है. दूसरी तरफ, टर्म पॉलिसी में केवल रिस्क कवर और कुछ बेनेफिट मिलते हैं. इसलिए इनमें प्रीमियम कम होते हैं और आपके फाइनेंस पर ज्यदा दबाव नहीं पड़ता . 2020 में अगर आप लाइफ इंश्योरेंस खरीदना चाहते हैं और निवेश करना चाहते हैं, तो अपनी इंश्योरेंस की जरूरतों के लिए एक टर्म पॉलिसी चुनें.

लोन: सुरक्षित बनाम असुरक्षित

सुरक्षित लोन में ब्याज दर कम होती है और इसमें कम क्रेडिट स्कोर के होने पर मदद मिलती है. यह लॉन्ग टर्म के लिए उपयोगी है. असुरक्षित लोन उन कर्जधारकों के लिए उपयुक्त हैं जिन्हें जल्दी लोन चाहिए और उनका क्रेडिट स्कोर अच्छा है. जिनके पास कर्जदाता को देने के लिए कोई सिक्योरिटी नहीं है, और जो शॉर्ट टर्म में लोन का भुगतान कर सकते हैं, वे इसे चुन सकते हैं. इसमें ब्याज दर तुलना में ज्यादा है.

वित्तीय लक्ष्य: शॉर्ट टर्म बनाम लॉन्ग टर्म

इसके बारे में स्पष्टता रखिए कि आप क्यों निवेश कर रहे हैं. लक्ष्य कम अवधि और ज्यादा अवधि दोनों के होते हैं. अगर आपको चीजें साफ होंगी, तो आप लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही जगह अपने पैसे को लगाएंगे.

(By: Adhil Shetty, CEO, BankBazaar.com)

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Liquid Funds vs Fixed Deposits: फंड तैयार करने के लिए क्या बेहतर, एफडी या लिक्विड फंड?

Liquid Funds vs Fixed Deposits: फंड तैयार करने के लिए क्या बेहतर, एफडी या लिक्विड फंड?

Liquid Funds vs Fixed Deposits: बहुत से लोग अपने इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) का पैसा लिक्विड फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते हैं, लेकिन अगर आपको इन दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनेंगे और क्यों? आइये जानते है।

Liquid Funds vs Fixed Deposits: लिक्विड फंड (Liquid Fund) और फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) दोनों एक दूसरे से अलग हैं। फीचर, बेनिफिट, लिमिटेशन और मार्केट रिस्क के मामले में दोनों की प्रॉपर्टी भी अलग अलग है। निवेश करने या निवेश के लिए किसी एक को चुनने से पहले हमेशा लिक्विड फंड और FD के बीच के अंतर को समझने की सलाह दी जाती है।

इस लेख में हम लिक्विड फंड बनाम FD (Liquid Funds vs Fixed Deposits) के बीच अंतर और उनके बारे में समझेंगे।

Liquid Fund kya Hai? | What is Liquid Fund in Hindi

लिक्विड फंड विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों में से एक हैं। इन फंडों को हाई इंटरेस्ट रेट, सरकारी बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर आदि जैसे शार्ट टर्म इंटरेस्ट वाले मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है। लिक्विड फंड आमतौर पर 91 दिनों की समय अवधि के भीतर मैच्योर होते हैं।

लिक्विड फंड पूंजी संरक्षण के रूप में सुरक्षा प्रदान करते हैं।

ऐसे फंडों का निवेश हाई रेटिंग वाले मनी मार्केट में किया जाता है।

म्यूचुअल फंड के अन्य वर्गों की तुलना में उन्हें थोड़ा सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है

निवेशक किसी भी समय राशि को भुना सकता है और पैसा 24 घंटे के भीतर बैंक खाते में दिखाई देगा

लिक्विड फंड के लाभ क्या हैं? | Benefits of Liquid Fund in Hindi

  • बचत खाते और चालू खाते की तुलना में निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने के मामले में लिक्विड फंड को अच्छा माना जाता है।
  • वे कम अस्थिर होते हैं क्योंकि उन्हें हाई क्रेडिट रेटिंग वाले उपकरणों में निवेश किया जाता है।
  • लिक्विड फंड में एग्जिट लोड नहीं होता है।
  • लिक्विड म्यूचुअल फंड 91 दिनों में मैच्योर होते हैं।
  • इस तरह के फंड प्रॉपर्टी में तरल (Liquid) होते हैं और उनके मोचन को 1 दिन में संसाधित किया जा सकता है।
  • लिक्विड फंड ब्याज दर में उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं हैं।
  • इन फंडों का प्रोफेशनल द्वारा मैनेज किया जाता है।
  • लिक्विड फंड में निवेश करने के लिए न्यूनतम 500 रुपये की आवश्यकता होती है।
  • लिक्विड फंड में रेगुलर फिक्स्ड डिपाजिट के विपरीत 7 दिनों की लॉक-इन अवधि होती है, जहां समय से पहले निकासी पर जुर्माना लगाया जाता है।

लिक्विड फंड में कौन निवेश कर सकता है? | Who can invest in Liquid Funds?

लिक्विड फंड में निवेश करने के लिए निम्नलिखित पात्र हैं-

- ये फंड पर्याप्त नकदी वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं।

- यह उन लोगों के लिए सही है जो शार्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना चाहते है।

- कोई भी इसे इक्विटी फंड में निवेश करने के माध्यम के रूप में उपयोग कर सकता है।

- कोई भी जो एक इमरजेंसी फंड के रूप में राशि का निवेश करना चाहता है।

- कोई व्यक्ति जो बिना लॉक-इन अवधि बाधा के राशि का निवेश करना चाहता है।

लिक्विड फंड में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • म्युचुअल फंड बाजार की स्थितियों से प्रभावित होते हैं। हालांकि लिक्विड फंड विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी में से एक बाजार से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं, क्योंकि वे 91 दिनों के भीतर परिपक्व हो जाते हैं। फिर भी सलाह दी जाती है कि नेट एसेट वैल्यू पर ध्यान दें।
  • लिक्विड फंड्स को मैनेज करने के लिए निवेशक को एक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
  • आपातकालीन फंड बनाने के उद्देश्य से निवेशक लिक्विड फंड को निवेश करने का आदर्श विकल्प चुन सकते हैं। ये फंड निवेशक को किसी भी समय फंड को भुनाने के साथ-साथ उच्च रिटर्न भी देते हैं।
  • लिक्विड फंड में निवेश करने से पहले विशेषज्ञों से जुड़ने और यह जानने की सलाह दी जाती है कि ऐसे फंडों से कितना ब्याज मिलता है।

Fixed Deposit Kya Hai? | What is Fixed Deposit in Hindi

Fixed Deposit को 'Term Deposits' या 'Time Deposits' जैसे शब्दों से भी जाना जाता है। ये गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और बैंकों द्वारा दी जाने वाली सबसे सुरक्षित निवेश साधन सेवाओं में से एक हैं। एफडी निवेशकों को पूर्व-निर्धारित अवधि के लिए एकमुश्त राशि जमा करने की अनुमति देता है। इसके अलावा FD उपयोगकर्ताओं को कई अन्य सुविधाएं प्रदान करता है जैसे-

  • जमाकर्ता पूर्व-निर्धारित अवधि के लिए जमा राशि पर ब्याज अर्जित कर सकते हैं।
  • एक बार लॉक होने के बाद ब्याज दर बाजार या ब्याज दरों में किसी भी बदलाव से अप्रभावित रहती है।
  • फिक्स्ड डिपाजिट अमाउंट को परिपक्वता तिथि से पहले नहीं निकाला जा फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी सकता है और यदि कोई जमाकर्ता राशि निकालना चाहता है, तो वह इसके लिए दंड का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
  • जमाकर्ता समय-समय पर फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी या FD मैच्योरिटी के समय ब्याज कमा सकते हैं।
  • FD की अवधि 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष या उससे अधिक तक होती है (एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न हो सकती है)

फिक्स्ड डिपाजिट के लाभ क्या हैं? | Benefits of Fixed Deposit in Hindi

  • अन्य बचत निवेश विकल्पों की तुलना में फिक्स्ड डिपाजिट को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है।
  • फिक्स्ड डिपाजिट खाते पर दिया जाने वाला ब्याज बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद भी अप्रभावित रहता है, वह भी पूरे तय कार्यकाल के दौरान।
  • फिक्स्ड डिपाजिट खाते की परिपक्वता पर ग्राहक या तो बैंकों फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी को राशि जमा करने के लिए निर्देशित कर सकते हैं या किसी अन्य पूर्व-निर्धारित कार्यकाल के लिए राशि का पुनर्निवेश कर सकते हैं।
  • FD एक सुनिश्चित ब्याज़ दर प्रदान करता है।
  • ऐसे कई बैंक हैं जो 7 दिनों से लेकर 10 साल तक के कार्यकाल की पेशकश करते हैं।
  • कई बैंक टैक्स बेनिफिट्स के साथ फिक्स्ड डिपाजिट की पेशकश करते हैं।
  • ग्राहक निश्चित अवधि के लिए परिपक्व FD राशि को फिर से निवेश कर सकते हैं, जिस पर उन्हें चक्रवृद्धि ब्याज प्रदान किया जाएगा।
  • बैंक अपने ग्राहकों को सावधि जमा के लिए अवधि चुनने के लिए लचीलापन प्रदान करते हैं।

एफडी खाता कौन खोल सकता है? | Who can open FD account?

फिक्स्ड डिपाजिट खाता खोलने के लिए निम्नलिखित पात्र हैं-

- एक व्यक्ति जो बाजार का जोखिम उठाए बिना पैसा बचाना चाहता है।

- एक उपयोगकर्ता जो एक हाउसकीपर है और उसके पास अच्छा पैसा है।

-अगर किसी की आय टैक्स के योग्य है, तो FD एक टैक्स सेविंग निवेश साधन हो सकता है।

- एक रिटायर व्यक्ति जो आय का एक नियमित स्रोत चाहता है।

फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

दोगुनी की जाएगी टैक्स छूट की सीमा!

दोगुनी की जाएगी टैक्स छूट की सीमा!

मुंबई। घर-परिवार में बचत को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्रालय फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा दोगुनी कर सकता है। फिलहाल इनकम टैक्स चुकाने वाले लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी एक लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है।

माना जा रहा है कि आगामी आम बजट में आयकर कानून की धारा 80सी, 80 सीसी और 80 सीसीसी के तहत दी जाने वाली छूट की यह सीमा 2 लाख रुपए की जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग फिलहाल आंकलन कर रहा है कि यदि निवेश पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जाती है, तो इससे सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा। इसकी घोषणा बजट में की जा सकती है।

वित्त मंत्री अरूण जेटली 10 जुलाई को लोकसभा में 2014-15 का आम बजट पेश करेंगे। बैंक और बीमा कंपनियां काफी अरसे से निवेश पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि परिवारों को बचत के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। वर्ष 2008 में बचत की दर सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 38 फीसद थी, जो 2012-13 में घटकर 30 फीसद रह गई।

वेतनभोगियों को होगा फायदा

सूत्रों ने बताया कि निवेश पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाए जाने ने से वेतन पाने वाले लोगों को काफी फायदा होगा। ऐसे लोग फिलहाल अत्यधिक महंगाई की मार झेल रहे हैं। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में सिफारिश की गई है कि निवेश और दूसरे खर्चों की कुल सीमा बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए सालाना कर दिया जाना चाहिए।

जिन फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश करने से टैक्स छूट मिलती है उनमें जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, कर्मचारी भविष्य निधि, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) और होम लोन पर दिया गया ब्याज, म्युचुअल फंडों द्वारा बेची गई इक्विटी आधारित बचत योजनाएं और 5 साल की परिपक्वता अवधि के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) शामिल हैं।

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