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लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।

मूल्य निवेश क्या है?

मूल्यनिवेश 1928 में डेविड डोड और बेंजामिन ग्राहम द्वारा शुरू की गई एक क्रांति थी। इसने निवेशकों के कंपनियों को देखने के तरीके को बदल दिया और अपनी निवेश रणनीतियों को पूरी तरह से बदल दिया। यह वॉरेन बफेट जैसे व्यापारिक मुगलों द्वारा पूरी लगन से पालन की जाने वाली रणनीति है। इस लेख में, हम देखेंगे कि वास्तव में मूल्य निवेश क्या है, यह अंदरूनी व्यापार से कितना अलग है, कुछ दिशानिर्देश याद रखने योग्य हैं, और मूल्य निवेश के फायदे और नुकसान हैं।

यह एक निवेश रणनीति है जिसमें प्रतिभूतियों को खरीदना शामिल है जो उनके नीचे हैंआंतरिक मूल्य यानी कम कीमत। आंतरिक मूल्य का उपयोग करके पता लगाया जाता हैमौलिक विश्लेषण.

आंतरिक मूल्य का सूत्र है:

  • चतुर्थ = आंतरिक मूल्य
  • ई =प्रति शेयर आय
  • जी = अपेक्षित विकास दर
  • वाई = दवर्तमान उपज ट्रिपल-ए रेटेड कॉर्पोरेट काबांड

मूल्य निवेश बनाम इनसाइडर ट्रेडिंग

मूल्य निवेश अक्सर अंदरूनी व्यापार के साथ भ्रमित होता है। हालांकि दो शब्द समान हैं, वे बहुत अलग चीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इनसाइडर ट्रेडिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के गोपनीय रहस्यों की जानकारी रखता है और उस जानकारी का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए व्यापार करने के लिए करता है। इस तरह का व्यापार अवैध है लेकिन अक्सर साबित करना मुश्किल होता है।

Value-Investing

दूसरी ओर, मूल्य निवेश पूरी तरह से कानूनी है। ट्रेडिंग सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर की जाती है। निवेशकों को उन पंक्तियों के बीच पढ़ने में सक्षम होना चाहिए जिन्हें आम जनता नहीं देख सकती है। यह दूसरों के सामने स्टॉक में मूल्य देखने की क्षमता है।

मूल्य निवेश के लिए दिशानिर्देश

कंपाउंडिंग की शक्ति का प्रयोग करें

चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति का दोहन करने के लिए मूल्य निवेश एक आदर्श तरीका है। जब आपके मूल्य शेयरों से अर्जित लाभांश और रिटर्न का पुनर्निवेश किया जाता है, तो आपके मुनाफे में वर्षों से जबरदस्त वृद्धि होती है क्योंकि आपके पुनर्निवेशित धन से अपना खुद का उत्पादन होगाआय.

अपने मन की बात मानें

एक मूल्य निवेश रणनीति का पालन करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि झुंड की मानसिकता का पालन न करें। पूरा विचार उन शेयरों को ढूंढना और खरीदना है जिन्होंने अभी तक अन्य निवेशकों का ध्यान नहीं खींचा है।

धैर्य रखें

मूल्य निवेश करते समय याद रखने वाला एक और महत्वपूर्ण पहलू धैर्य रखना है। कंपनी के आंतरिक मूल्य को अनलॉक करने में कुछ समय लगता है।

लॉन्ग टर्म सोचें

चूंकि कंपनी के वास्तविक मूल्य को अनलॉक करने में समय लगता है, इसलिए मूल्य निवेश केवल लंबी अवधि के लिए निवेश करते समय ही किया जाना चाहिए।

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

आप अगर पहली बार शेयर बाजार में लगाने जा रहे हैं पैसा तो इन बातों का रखें ध्यान,हो जाएंगे मालामाल 1

शेयर बाजार दुनिया भर से लाखों लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यह केवल दिन के कुछ घंटों का निवेश करके घर बैठे पैसे कमाने का एक शानदार तरीका ही नहीं, बल्कि एक जोखिम भी है, जहां आपको नुकसान हो सकता है।

इसलिए शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले इसकी जानकारी बहुत जरूरी लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान है। आज के समय में शेयर बाजार की दुनिया में विभिन्न प्रकार के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म हैं जो व्यापारियों को अपनी सुविधानुसार ट्रेडिंग करने के लिए खाली जगह और अवसर प्रदान करते हैं। कई शेयर बाजार प्रशिक्षण संस्थान विभिन्न कोर्स के माध्‍यम से ऐसे लोगों को स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देते हैं, जो स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

आप अगर पहली बार शेयर बाजार में लगाने जा रहे हैं पैसा तो इन बातों का रखें ध्यान,हो जाएंगे मालामाल

बेस्‍ट स्टॉक मार्केट ट्रेनिंग सेंटर खोजते समय इन बातों का रखें ध्‍यान

संस्थानों और दी जाने वाली सेवाओं के बारे में अच्छी तरह से अध्ययन करें।

सेवाओं और संस्थानों की संक्षिप्त तुलना करें।

जांचें कि क्या आपकी आवश्यकताओं के अनुसार कोर्स मौजूद है।

उसी संस्थान में एक उन्नत कार्यशाला की तलाश करें।

ट्रेनिंग कोर्स करें

ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण
मूल्य चार्ट का रुझान विश्लेषण और लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान पैटर्न विश्लेषण।

सकारात्मक और नकारात्मक अंतर

शॉर्ट टर्म, मिडटर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट तकनीक।
धन प्रबंधन और रिस्‍क मिटिगेशन टेक्‍निक।

आप अगर पहली बार शेयर बाजार में लगाने जा रहे हैं पैसा तो इन बातों का रखें ध्यान,हो जाएंगे मालामाल

ट्रेडिंग से पहले ट्रेनिंग का महत्व

स्टॉक और ट्रेड मार्केट की दुनिया में सही सफलता पाने के लिए पूर्ण और गहरी समझ, ज्ञान होना बहुत जरूरी है।

इसमें लाभ और हानि दोनों होते हैं और नुकसान की संभावना अधिक होती है, यदि आप अच्छी तरह से प्रशिक्षित (trained) नहीं हैं या दिए गए आंकड़ों के आधार पर बाजार की अच्छी तरह से भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।

बहुत सारे लोग एक बड़ी गलती यह करते हैं कि पैसा कमाने के लालच में कम ज्ञान और समझ के साथ शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। इसके परिणामस्वरूप कम लाभ के साथ-साथ उन्‍हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।

शेयर बाजार में उतरने से पहले यदि ट्रेनिंग किसी अच्छे संस्थान से लिया गया है, तो आपको ट्रेडिंग स्टॉक, इसकी प्रवृत्ति और पैटर्न और अपेक्षित मूल्य का पूरा तकनीकी एनालिसिस नॉलेज होगा।

आप अगर पहली बार शेयर बाजार में लगाने जा रहे हैं पैसा तो इन बातों का रखें ध्यान,हो जाएंगे मालामाल

शेयर बाजार ट्रेनिंग का लाभ

ट्रेनिंग शेयर बाजार में ज्यादा मुनाफा कमाने की पूरी तकनीक को समझने में मदद करता है।

स्टॉक मूल्य मूमेंट की पहचान करने के लिए रुझानों और पैटर्न का गहन तकनीकी ज्ञान देता है।

शॉर्ट टर्म, मिड-टर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में पूरी जानकारी के साथ एक अच्छा ट्रेडर बनने में मदद करता है।
शेयर बाजार में जोखिम कम करने और अधिक लाभ हासिल करने के लिए ट्रेडिंग रणनीति बनाने में मदद करता है।

बिना किसी नुकसान के प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको मजबूत बनाता है।

आपको ट्रेडिंग के लिए बाजार के हिसाब से लचीला बनाता है।
शेयर और शेयर बाजार के हर क्षेत्र में विश्वास पैदा करने में मदद करता है।

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)

आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र

1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\

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