वैश्विक संकेतक

उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में हालांकि मजबूती दिखी। इसका कारण प्रमुख कंपनियों के शेयरों में मांग तथा अमेरिकी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में गिरावट के साथ रुपये में मजबूती तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों वैश्विक संकेतक की लिवाली है। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे यूरोप के प्रमुख बाजारों में भी शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजार सोमवार को नुकसान में थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.31 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने सोमवार को 2,320.61 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
ओईसीडी ने यूक्रेन को द्वितीय विश्व युद्ध की लागत की चेतावनी दी
एक निराशाजनक नई रिपोर्ट में, 38 देशों के संगठनों ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद, संघर्ष के कारण आर्थिक वस्तुओं का सबसे बड़ा संकेतक, वैश्विक स्तर पर 1.08%, यूरो का उपयोग करने वाले 19 यूरोपीय देशों में 1.4% और संयुक्त राज्य अमेरिका में 0.88% तक गिर जाएगा।
हालांकि, ओईसीडी ने कहा कि सरकारी खर्च और कर कटौती आंशिक रूप से नुकसान को सीमित कर सकती है।
रूस पर आक्रमण तब हुआ जब कोरोनोवायरस वैश्विक संकेतक वैश्विक संकेतक मंदी और आपूर्ति श्रृंखला में जटिलताएं होने के बाद अप्रत्याशित रूप से मजबूत वसूली के कारण कीमतें बढ़ीं। दिसंबर में, ओईसीडी ने भविष्यवाणी की थी कि इस साल वैश्विक मुद्रास्फीति 4.3% तक पहुंच जाएगी, और अगले साल, संघर्ष के कारण वैश्विक कीमतों वैश्विक संकेतक में 2.47% की वृद्धि होगी।
रूस और यूक्रेन में दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 2% से कम हिस्सा है, लेकिन वे ठोस कच्चे माल के महत्वपूर्ण उत्पादक हैं। उदाहरण के लिए, वे चिंता जताते हैं कि मिस्र और लेबनान जैसे देश, जो वैश्विक संकेतक दोनों दुनिया के 1/3 गेहूं का निर्यात करते हैं और रोटी और अन्य बुनियादी खाद्य पदार्थों के लिए सस्ते अनाज निर्यात पर भरोसा करते हैं, आने वाले महीनों में कमी का अनुभव कर सकते हैं।
Stock market में लगातार पांचवें दिन तेजी, सेंसेक्स, निफ्टी में मामूली बढ़त
मुंबई : उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को लगातार पांचवें दिन तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स लगभग 21 अंक की मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ। दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों, बिजली और ऊर्ज़ा शेयरों में तेजी से बाजार को समर्थन मिला। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 20.86 अंक यानी 0.04 प्रतिशत की तेजी के साथ 58,136.36 अंक पर बंद हुआ। यह कारोबार के दौरान ऊंचे में 58,328.41 अंक तक गया और नीचे में 57,744.70 अंक पर आया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 5.40 अंक यानी 0.03 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 17,345.45 अंक पर बंद हुआ।
Global Recession वैश्विक मंदी क्या है
ऐसी मंदी जो दुनिया भर के कई देशों को प्रभावित करती है और जिसमें आर्थिक उत्पादन में गिरावट आती है उसे वैश्विक आर्थिक मंदी या Global Recession कहते हैं। वैश्विक मंदी वैश्विक संकेतक में एक लंबे समय तक दुनिया भर में आर्थिक गिरावट देखी जाती है।
Global Recession meaning in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार वैश्विक संकेतक वैश्विक संकेतक यदि प्रति व्यक्ति वास्तविक विश्व जीडीपी (क्रय शक्ति समता भारित) में गिरावट को कहते हैं जिसके साथ ही वैश्विक संकेतक यदी सात अन्य वैश्विक वृहद आर्थिक संकेतकों औद्योगिक वैश्विक संकेतक उत्पादन, व्यापार , पूंजी प्रवाह, तेल की खपत, बेरोजगारी दर, प्रति व्यक्ति निवेश और प्रति व्यक्ति खपत में से किसी एक या अधिक में भी गिरावट दिखाई दे तो उसे Global Recession कहते हैं। क्रय शक्ति समता यानी Purchasing power parity में अलग अलग देशों में वस्तुओं की क्रय शक्ति के अनुसार गणना की जाती है।
IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की उपर दी गई परिभाषा के अनुसार जीडीपी में गिरावट के साथ साथ यदी अन्य आर्थिक संकेतक जैसे कि औद्योगिक उत्पादन, व्यापार , पूंजी प्रवाह, तेल की खपत, बेरोजगारी दर, प्रति व्यक्ति निवेश और प्रति व्यक्ति खपत भी मंदी का संकेत दें तो वैश्विक मंदी मानी जा सकती है। हालांकि IMF ने इसके लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं की है पर लगातार दो तीन तिमाही तक चलने वाली मंदी को ही वास्तविक मंदी माना जा सकता है। 1970 के बाद 1975, 1982, 1991 और 2009 में आईं मंदी को वैश्विक मंदी माना जाता है।
Coronavirus recession कोरोना वायरस मंदी
2020 में कोरोना वायरस के कारण विश्व भर के देशों में हुए लॉकडाउन के कारण गंभीर वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो चुका है। ना सिर्फ़ जी 7 देश अपितु कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण कई विकासशील देश भी कोरोना वायरस मंदी की चपेट में आ गए हैं। लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियाँ धीमी पड़ गईं, तेल की माँग बहुत तेज़ी से गिर गई जिसके कारण क्रूड की क़ीमतें धड़ाम से नीचे गिरने लगीं। बेरोज़गारी बढ़ गई और वस्तुओं की माँग में बेतहाशा कमी आई।
कोरोना वायरस ने लोगों के पैसा खर्च करने के तरीकों पर वैश्विक संकेतक भी असर किया है। लॉकडाउन के आदेश के कारण स्पष्ट रूप से कई प्रकार के व्यवसाय प्रभावित वैश्विक संकेतक हुए हैं। विशेष रूप से खुदरा स्टोर, रेस्तरां और होटल, जिम, मनोरंजन स्थल, थियेटर, सौंदर्य सैलून और स्पा आदि व्यवसाय बहुत दबाव में है। ट्रेवेल और परिवहन पर भी इसका बुरा असर हुआ है। होटल, पर्यटन और एयरलाइंस उद्योग पर भी इसकी मार पड़ी है।