वित्तीय प्रणाली के कार्य

वित्तीय प्रणाली के कार्य
सभी वर्गों के लिए वित्तीय समावेशन और बैंकिंग पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बैंकिंग प्रणाली वर्षों से विकसित हुई है। साथ ही भारत सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं जो व्यक्तियों और व्यवसायों को ऋण सुविधाएं प्रदान करती हैं।
बैंकिंग कार्यों और ऋण योजनाओं का अवलोकन
भारत में वित्तीय प्रणाली के कार्य बैंकिंग कार्यों और ऋण योजनाओं के बारे में जानें।
यह लेख बैंक के प्रमुख कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करता है और बैंकों के प्रकार, विभिन्न प्रकार के बैंक खातों और सरकार द्वारा दी जाने वाली ऋण योजनाओं के बारे में विवरण देता है।
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इस पहल के बारे में
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की इच्छा है कि सभी भारतीयों को भारत सरकार के राष्ट्रीय मिशन के अनुरूप आर्थिक रूप से साक्षर होना चाहिए वित्तीय साक्षरता या वित्तीय शक्ति जो जी -20 देशों द्वारा प्रवर्तित सबसे महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों में से एक है । वित्तीय प्रणाली के कार्य इस अभियान में इस समर्पित माइक्रो साइट के माध्यम से जागरूकता पैदा करना, सेमिनार और व्याख्यान आयोजित करना, पुस्तिकाओं और गाइडों का वितरण और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एक समुदाय को विकसित करना शामिल है जो कि वित्तीय मित्र के रूप में कार्य कर सकते हैं।
Super Exam Economics Financial Market / वित्तीय बाजार Question Bank
भारतीय पूंजी बाजार घोटालों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए भारत सरकार ने किसे नियामक शक्तियां सौंपी है?
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- |
1. सेंसेक्स बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में उपलब्ध 50 अधिकतम महत्वपूर्ण स्टॉकों पर आधारित होता है। |
2. सेंसेक्स के परिकलन के लिए सभी सेसेक्स स्टॉकों को आनुपातिक भारिता दी जाती है। |
3. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज विश्व की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है। |
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है? |
हाल ही में भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर-ऋणदाता करार पर हस्ताक्षर करने का क्या उद्देश्य था।
50 करोड़ या अधिक की दबावयुक्त परिसम्पत्तियों का जो सह संघ उधारी के अंतर्गत है, अधिक तेजी वित्तीय प्रणाली के कार्य से समाधान करने का लक्ष्य रखना। done clear
बंबई शेयर बाजार के साथ पंजीकृत एक कंपनी समूह से संबंधित सभी कंपनियों के शेयरों के मूल्य से चढ़ाव। done clear
भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण है |
1. विदेशी कोषों का अंतः प्रवाह और बाह्य प्रवाह |
2. विदेशी पूंजी बाजारों में उच्चावचन |
3. मौद्रिक नीति में परिवर्तन उपरोक्त कारणों में कौन-सा सही है? |
भारतीय रिजर्व बैंक में सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के अध्ययन तथा उस पर सुझावों हेतु एक समिति का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष थे-
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- |
1. यह नीति आयोग का एक अंग है। |
2. संघ का वित्त मंत्री इसका प्रमुख होता है। |
3. यह अर्थव्यवस्था के समष्टि सविवेक पर्यवेक्षण अनुवीक्षण करता है। |
उपर्युक्त कथनों में से कौन सही है? |
शाखा रहित क्षेत्र में व्यावसायिक संवाददाताओं की सेवाओं द्वारा लाभार्थियों को कौन-सी सुविधा प्राप्त होती है? |
1. यह लाभार्थियों को अपने गाँव में अपने सहाय और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने योग्य बनाती है। |
2. यह ग्रामीण क्षेत्र में लाभार्थियों को धनराशि जमा करने आहरण करने योग्य बनाती है। |
निम्न में से सही है |
भारत की निम्न वित्तीय संस्थाओं पर विचार करें |
1. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) |
2. भारतीय औद्योगिक प्रत्यय एवं निवेश निगम (आईसीआईसीआई) |
3. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आई डी बी आई) |
4. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) इन संस्थाओं की स्थापना का सही कालक्रम है |
5 मार्च, 2020 को सेबी ने एक मोबाइल एप सेबी स्कोर्स लॉन्च किया। इस एप के माध्यम से कौन अपनी शिकायत सेबी के पास आसानी से पहुँचा सकता है?
RBI ने हाल ही में शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी ढांचे को युक्तिसंगत बनाया है, जिसके तहत किसी शहरी सहकारी बैंक की निवल गैर-निष्पादकं अस्तियाँ उसे निवल उधारों के कितने प्रतिशत से अधिक होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्यवाही ढाँचे के अंतर्गत लाया जा सकता है?
हाल ही में RBI में पहली बार किस वित्तीय प्रणाली के कार्य शहरी सहकारी बैंक को लघु वित्त बैंक में परिवर्तन हेतु लाइसेन्स जारी किया है?
किस एएमसी (एसेंटस मैनेजमेंट कंपनी) ने भारत का पहला कार्पोरेट बाण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (भारत बाण्ड ETF) लांच किया है?
Indian Financial System (भारतीय वित्त व्यवस्था)- अर्थ, संरचना, कार्य और इसकी PDF
Indian Financial System (भारतीय वित्त व्यवस्था) – अर्थ
भारतीय वित्त व्यवस्थादेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वह प्रणाली है जो लोगों और निवेशकों के बीच धन के प्रवाह का प्रबंधन करती है और इस प्रकार देश में पूंजी निर्माण में योगदान करती है।
भारतीय वित्त व्यवस्थाका गठन वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों, बीमा कंपनियों, पेंशन, फंड आदि द्वारा किया जाता है।
भारतीय वित्त व्यवस्था के घटक
भारतीय वित्त व्यवस्थाके चार मुख्य घटक हैं। वे हैं:
• वित्तीय संस्थान
यह निवेशक और उधारकर्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। जैसे : बैंक, बीमा, एनबीएफसी, म्युचुअल फंड आदि।
• वित्तीय परिसंपत्तियां
वित्तीय बाजार में कारोबार किए जाने वाले उत्पादों को वित्तीय परिसंपत्ति कहा जाता है। उदाहरण : कॉल मनी, ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाणपत्र आदि।
• वित्तीय सेवाएं
वित्तीय सेवाएं परिसंपत्ति प्रबंधन और देयता प्रबंधन कंपनियों द्वारा प्रदान की जाती हैं। जैसे : बैंकिंग सेवाएं, वित्तीय प्रणाली के कार्य बीमा सेवाएं, विदेशी मुद्रा सेवाएं आदि।
• वित्तीय बाजार: यहां क्रेता और विक्रेता एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और वित्तीय परिसंपत्तियों के व्यापार में भाग लेते हैं।
वित्तीय बाजार दो प्रकार के होते हैं:
- मुद्रा बाजार– यह केवल लघु अवधि के निवेश से संबंधित है। इसमें ज्यादातर सरकार, बैंकों और अन्य बड़े संस्थानों का वर्चस्व है। इसमें कम जोखिम और अत्यधिक तरल साधन शामिल हैं।
- पूंजी बाजार– यह उन लेन-देन से संबंधित है जो बाजार में एक वर्ष से अधिक समय से हो रहे हैं।
भारतीय वित्त व्यवस्था संरचना
यह धन के हस्तांतरण की सुविधा के लिए वित्तीय संस्थानों, वित्तीय बाजारों, वित्तीय साधनों और वित्तीय सेवाओं का एक नेटवर्क है। इस प्रणाली में बचतकर्ता, बिचौलिये, लिखत और निवेशक शामिल हैं।
भारतीय वित्त व्यवस्था के कार्य
- बचत जुटाने में मदद करता है।
- जमाराशियां जारी करना और एकत्र करना (मुख्य रूप से बैंकिंग संस्थानों द्वारा)
- एकत्रित धन (बैंकों) से ऋण की आपूर्ति
- वित्तीय लेनदेन का उपक्रम (जैसे म्यूचुअल फंड)
- शेयर बाजारों और अन्य वित्तीय बाजारों के विकास को बढ़ावा देना।
- कानूनी वाणिज्यिक संरचना की स्थापना।
भारतीय वित्त व्यवस्था संहिता (IFSC)
भारतीय वित्त व्यवस्था संहिता (IFS कोड या IFSC) एक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है जो भारत में इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर की सुविधा देता है। एक कोड विशिष्ट रूप से भारत में तीन मुख्य भुगतान और निपटान प्रणालियों में भाग लेने वाली प्रत्येक बैंक शाखा की पहचान करता है: नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) प्रणाली।
भारतीय वित्त व्यवस्था Pdf
भारतीय वित्त व्यवस्था के लिए पीडीएफ दिए गए लिंक से डाउनलोड किया जा वित्तीय प्रणाली के कार्य सकता है:
Indian Financial System in hindi- FAQs
Q. अल्पावधि तरलता प्रवाह के लिए किस वित्तीय बाजार का उपयोग किया जाता है?
उत्तर. मुद्रा बाजार
Q. भारतीय वित्त व्यवस्थाके घटक क्या हैं?
उत्तर. वित्तीय बाजार, वित्तीय संस्थान, वित्तीय संपत्ति, वित्तीय सेवाएं।
Q. वित्तीय बाजार जहां धन का प्रवाह एक वर्ष से अधिक समय तक रहता है, कहलाता है?
वित्तीय उत्पाद
आईएफसीआई लि., देश के प्रथम विकास वित्तीय संस्थान, की स्थापना 1 जुलाई, 1948 को भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) के रूप में उद्योगों की दीर्घावधि वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य की गई थी । आरम्भ से ही आईएफसीआई ने व्यावसायिक रूप से संगत तथा बाजार के अनुरूप किए गए प्रयासों द्वारा भारतीय उद्योग के आधुनिकीकरण, निर्यात संवर्द्धन, आयात प्रतिस्थापन तथा ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।
उद्योग तथा समाज की आवश्यकताओं को लगातार पूरा करने के उद्देश्य से आईएफसीआई मुख्य रूप से निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है, जिन्हें मुख्यतः तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है - परियोजना वित्तपोषण, निगमित वित्त व समूचे उद्योगों, सेवाओं व कृषि वित्तीय प्रणाली के कार्य आधारित क्षेत्र के लिए संरचित वित्त ।
परियोजना वित्तपोषण
आईएफसीआई के व्यावसायिकों की टीम को अपने कार्यक्षेत्र की गहन वित्तीय प्रणाली के कार्य समझ है और परियोजनाओं के विभिन्न स्तरों - ग्रीनफील्ड परियोजनाएं, ब्राउनफील्ड, अवस्थापना तथा विनिर्माण क्षेत्रों में विद्यमान परियोजनाओं के विविधीकरण तथा आधुनिकीकरण के लिए बढ़ती हुई तथा विविध अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु वित्तीय सेवाओं को प्रदान करने की पूर्ण योग्यता है ।
परियोजना वित्त के अधीन विभिन्न क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा, दूर-संचार, सड़कें, तेल व गैस, बंदरगाह, जहाजरानी, मूल धातु, रसायन, फार्मास्यूटीकल्स, इलेक्ट्रोनिक्स, कपड़ा, अचल सम्पदा, स्मार्ट सिटिज तथा नगरीय अवस्थापना आदि सम्मिलित हैं ।
निगमित वित्त
आईएफसीआई लघु, मध्यम व बड़ी कम्पनियों के ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करता है । आईएफसीआई तुलन-पत्र निधिकरण, शेयरों के मद्दे ऋण, पट्टा किराया छूट, प्रवर्तक निधिकरण, दीर्घकालिक कार्यशील पूंजी अपेक्षाएं, पूंजी व्यय तथा नियमित रखरखाव कैपेक्स के माध्यम से निगमित वित्त के क्षेत्र में वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है ।
ब्रिज फाइनेंसिंग तथा अल्पकालिक कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं सहित आईएफसीआई विभिन्न कारोबारी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अल्पकालिक ऋण उत्पाद (एक वर्ष की अवधि तक) भी प्रदान करता है ।
समूहन व परामर्श
आईएफसीआई ने ग्राहकों के अनुकूल निगमित सलाहकारी सेवाएं देने की पहल की है और विभिन्न निगमित निकायों व कम्पनियों की वित्तीय संरचना को सुगम बनाया है । हम अपने परियोजना मूल्यांकन, दस्तावेजीकरण, समूहीकरण, उत्पाद डिजाइन के व्यापक व गहन अनुभव से कम्पनियों के लिए आरम्भ से अन्त तक ग्राहक अनुकूलित वित्तीय प्रणाली के कार्य समग्र वित्तीय समाधान प्रदान करते हैं । इसके अतिरिक्त, हम हमारी ग्राहक कम्पनियों के लिए ऋण तथा इक्विटी समूहीकरण व सलाहकारी सेवाएं भी प्रदान करते हैं ।
ग्राहकों के अनुकूल निगमित सलाहकारी सेवाओं को प्रदान करने के क्षेत्र में आईएफसीआई ने वित्तीय/निवेश मूल्यांकन, कारोबार पुनर्संरचना और सलाहकारी क्रियाकलापों से सम्बन्धित नए दत्तकार्य प्राप्त करने में सफल रहा है ।
संरचित उत्पाद
आईएफसीआई संरचित ऋण/मेजनीन उत्पाद की मार्फत अपने ग्राहकों को वित्त प्रदान करता है और अन्य के साथ-साथ प्रायोजक वित्तपोषण, अधिग्रहण वित्तपोषण, पूर्व अभिदान वित्तपोषण तथा तुलन-पत्र में न आने वाली संरचित सेवाओं सम्बन्धी विभिन्न आवश्यकताओं के वित्तपोषण को प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है ।