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निवेशकों के लिए असली परीक्षा

निवेशकों के लिए असली परीक्षा

भारत एक नई सोच

Captain Gopinath: कहानी भारत के सबसे सफल एयरलाइंस चलाने वाले ‘कैप्टन’ की, कभी बचपन में हांकते थे बैलगाड़ी

Captain Gopinath का जन्म कहां हुआ

रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ का जन्म वर्ष 1951 में कर्नाटक की गोरुर के निवेशकों के लिए असली परीक्षा एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके परिवार में 8 भाई थे। ऐसे में हर एक बच्चे की परवरिश पर बराबर का ध्यान देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल ही था। उनके पिता एक किसान, स्कूल शिक्षक व कन्नड़ उपन्यासकार थे। इसी वजह से Captain Gopinath की शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई। इसके बाद से पांचवी क्लास में पहली बार गोपीनाथ एक कन्नड़ स्कूल में पहुंचे।

पढ़ाई के साथ ही वह अपने पिता के काम में उनकी मदद भी करते थे। गोपीनाथ ने पिता को आर्थिक मदद देने के लिए बचपन में बैलगाड़ी चलाई। वह निवेशकों के लिए असली परीक्षा कहते हैं ना किसान के घर या तो किसान पैदा होता है या फिर सिपाही। Captain Gopinath ने किसानी निवेशकों के लिए असली परीक्षा तो कर ली थी। लेकिन अब बारी थी सिपाही बनने की। उन्होंने वर्ष 1962 में बीजापुर स्थित सैनिक स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी परीक्षा पास की। गोपीनाथ ने भारतीय सेना में 8 सालों तक अपनी सेवाएं दी और उन्होंने वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भी हिस्सा लिया। केवल 28 साल की उम्र में ही सेना से रिटायर हो गए।

Captain Gopinath का संघर्ष यहीं से शुरू हुआ

इसके बाद से ही शुरू हुआ असली संघर्ष। नौकरी छोड़ चुके थे पर परिवार चलाने के लिए आर्थिक जिम्मेदारी तो उन्हीं की थी। इसके साथ निवेशकों के लिए असली परीक्षा ही उनके सपने थे जो उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ते थे। गोपीनाथ ने डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, होटल, एनफील्ड बाइक डील, स्टॉक ब्रोकर, रेशम उत्पादन जैसी कई फील्ड में हाथ आजमाया पर कहीं भी खास सफलता नहीं मिली।

आम आदमी के लिए देखा सपना

अपनी पहली किताब में Captain Gopinath ने एक जगह का जिक्र किया है कि वह साल 2000 में परिवार के साथ अमेरिका के फिनिक्स में हॉलीडे पर थे। इस दौरान बालकनी में बैठे चाय पी रहे थे और उनके सिर के ऊपर से हवाई जहाज गुजरा। कुछ ही देर में एक और हवाई जहाज और फिर घंटे भर में चार से पांच हवाई जहाज गुजरे। ये उनके लिए आश्चर्य से भरा था क्योंकि उन दिनों भारत में हवाई सेवाएं इतनी सुदृढ़ नहीं थी।

उन्होंने फिनिक्स में एक स्थानीय एयरपोर्ट के बारे में पता किया। जो कि अमेरिका के टॉप एयरपोर्ट में शामिल भी नहीं था फिर भी वहां से एक हजार उड़ाने चलती थी और ये हर दिन लगभग एक लाख यात्रियों को सेवाएं देता था। अगर भारत के लिहाजा से देखा जाए तो उस समय भारत के 40 एयरपोर्ट मिलकर भी उतनी उड़ाने नहीं दे पाते थे। उस समय में अमेरिका में 1 दिन में 40000 कमर्शियल उड़ाने चलती थी। जबकि भारत में केवल 420।

डेक्कन एयर को सोच ने दिया जन्म

Captain Gopinath को यह आईडिया आया कि अगर बसों एवं ट्रेनों में चलने वाले तीन करोड़ लोगों में से सिर्फ पांच प्रतिशत लोग हवाई जहाजों से सफर करने लगे तो विमानन बिजनेस को वर्ष में 53 करोड़ उपभोक्ता मिलेंगे। Captain Gopinath ने इस हिसाब को ऐसे समझा कि अगर 53 करोड़ निवेशकों के लिए असली परीक्षा लोग हैं यानी कि 20 करोड़ मिडिल क्लास लोग हर वर्ष कम से कम 2 बार हवाई सफर करेंगे।

बस इन्हीं खयालो ने उन्हें एनिमेशन फील्ड में उतार दिया। जो सबसे ज्यादा मुश्किल काम था वह था पैसों का इंतजाम करना। गोपीनाथ की पत्नी ने उन्हें अपनी सारी सेविंग्स दे दी। दोस्तों ने एफबी से पैसा निकाल कर दिया एवं परिवार के पास जो था वह सब उन्हें दे दिया। कैप्टन गोपीनाथ वर्ष 1996 में डेक्कन एलिवेशन नाम से एक चार्टर्ड हेलीकॉप्टर सेवा शुरू कर चुके थे, अगस्त 2003 में कैप्टन गोपीनाथ ने 48 सीटों और दो इंजन वाले छह फिक्स्ड विंग टर्बोप्राॅप हवाई जहाजों के साथ ही एयर डेक्कन की स्थापना की। हालांकि पहली उड़ान दक्षिण भारतीय शहर हुबली से बेंगलुरु रही।

सब कुछ सही चल रहा था मैदान भी खाली था और गोपीनाथ के विमान हवा निवेशकों के लिए असली परीक्षा से बातें कर रहे थे। लेकिन वर्ष 2007 के अंत तक कई और कंपनियां भी एविएशन फील्ड में उतर आई। ये बात कहने में कोई हर्ज नहीं है कि उन्होंने भी शुरुआत में गोपीनाथ के फार्मूले को अपनाया एवं हवाई यात्राओं को आम नागरिकों की पॉकेट के हिसाब से सेट किया।

हालांकि एयर डेक्कन को दूसरी विमानन कंपनियों से टक्कर मिलना शुरू हो गया। कंपनी का घाटा बढ़ता गया निवेशकों के लिए असली परीक्षा और कंपनी के लिए बढ़ती कीमतों के साथ ही तालमेल बैठाना भी बहुत मुश्किल हो गया। जबकि सब कुछ पहले ही खत्म होता इसके पहले गोपीनाथ ने एयर डेक्कन निवेशकों के लिए असली परीक्षा का सौदा शराब के कारोबारी विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर से कर दिया। माल्या ने एयर डेक्कन को नया निवेशकों के लिए असली परीक्षा नाम दिया ‘किंगफिशर रेड’। गोपीनाथ को यह भरोसा था कि भले ही वह एयर डेक्कन के साथ नहीं है लेकिन उनका सपना हवाई उड़ान भरता रहेगा।

Captain Gopinath के सपने को माल्या संजो नहीं पाए

यह बात और ही है कि निवेशकों के लिए असली परीक्षा माल्या गोपीनाथ के सपने को संजो नहीं पाए और कंपनी वर्ष 2013 में बंद हो गई। वर्ष 2012 में कैप्टन जीआर गोपीनाथ ने बीबीसी से बात करते हुए यह कहा था कि माल्या के पास कंपनी के लिए कभी समय था ही नहीं। मेरा यह मानना है कि अगर उन्होंने कंपनी पर थोड़ा सा भी ध्यान दिया होता, तो इस क्षेत्र में उनसे बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता।

गोपीनाथ नई चीजें आजमाने से नहीं डरते

दरअसल गोपीनाथ कभी भी नहीं चीज आजमाने से नहीं डरे। कंपनी बंद होने के बाद से वर्ष 2014 में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा। यह और बात है कि वह सफल नहीं हुए। कई मीडिया हाउस के लिए कॉलम लिखने के बाद से वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी दूसरी किताब ‘यू मिस नॉट दिस फ्लाइट: ऐसेज ऑन इमर्जिंग इंडिया’ लिखी।

अब अपने परिवार के साथ बेंगलुरु में रहते हैं और यह कहते हैं कि एयर डेक्कन का सपना अब भी जीवित हैं व सस्ती उड़ान सेवा के लिए क्रांति अभी भी जारी है।

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