ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है?

What is Options Trading in Hindi? ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है? कैसे करते हैं?
आप यहां तक आये हैं इसका मतलब है कि आप वाकई में Option Trading को लेकर सीरियस हैं। आजकल जहाँ लोग शारीरिक सुख प्राप्त करने के लिए भाग रहे हैं, आपने अपनी जिंदगी से जुड़ा अहम् फैसला लिया है, हम आपको उसकी बधाई देते हैं।
अब सवाल ये है कि क्या आप Option Trading कर सकते हैं?
जी बिलकुल कर सकते हैं पर उससे पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग को समझना होगा और सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ना होगा कि ये ट्रेडिंग कैसे काम करती है ताकि आगे जाकर आपको नुकसान न हो।
ऐसे में आपके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होगा लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ। इस प्रकार की ट्रेडिंग में पैसे बहुत जल्दी बढ़ते और कम होते हैं तो आपको अपने मन पर काबू पाना होगा।
Option Trading करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
आपको पहले से सचेत करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि इसमें आपके पैसे जा रहे हैं और आजकल पैसा ही सब कुछ है। आपको हर एक फैसला काफी सोच विचारकर करना होगा और शेयर मार्किट में अपने सफर की शुरुआत हमेशा कम से करें।
जैसे अगर आपके पास लगाने के लिए अगर ₹20,000 हैं तो उसका 25% ही लगाएं मतलब ₹5,000। ठीक वैसे ही अगर आपके पास घर के खर्चे पूरे होने के बाद ₹10,000 बचते हैं तो इसमें से केवल ₹2500 ऑप्शन ट्रेडिंग में इस्तेमाल करें।
अगर आपके पास इससे भी कम पैसे बच रहे हैं तो आप ऑप्शन ट्रेडिंग को छोड़कर Equity में इन्वेस्ट या ट्रेडिंग कर सकते हैं। ये आपको काफी सस्ता पड़ेगा और पूरी तरह टेक्निकल एनालिसिस करने के बाद आप यदि शेयर खरीदेंगे तो आपको फायदा होने के सम्भावना कई गुना बढ़ जाएगी।
Options Trading Kya Hai?
ऑप्शन ट्रेडिंग Buyer और Seller के बीच में एक ऐसा समझौता है जो Buyer को एक खास कीमत पर एक खास समय सीमा के भीतर किसी Underlying Asset को खरीदने या बेचने का अधिकार प्रदान करता है।
स्टॉक मार्किट में Options का काम खरीदने वाले को एक निर्धारित कीमत पर किसी निश्चित समय सीमा के लिए कोई सिक्योरिटी खरीदने का अधिकार देना है | समय कुछ मिनटों से लेकर 6 महीने तक हो सकता है लेकिन वह समय पूरा होने के बाद खरीदने वाले को पूरे पैसे चुकाने होंगे।
Option Trading में Premium क्या है?
अपना अधिकार पक्का करने के लिए buyer को कुछ मूल्य पहले से चुकाना होता है जिसे हम प्रीमियम कहते हैं। प्रीमियम की राशि उस ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? आधार पर निर्धारित की जाती है कि और कितने लोग उस कॉन्ट्रैक्ट को खरीद रहे हैं और आगे उसके बढ़ने की कितनी सम्भावना है।
ऑप्शन कितने प्रकार के होते है?
ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं: कॉल और पुट जिन्हें ब्रोकर्स द्वारा CE और PE से दर्शाया जाता है। यदि आपको आने वाले समय में शेयर की कीमत बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं तो आप कॉल ऑप्शन खरीदेंगे वहीँ दूसरी ओर अगर आपको लग रहा है कि ये शेयर डूबने वाला है तो पुट विकल्प खरीदना फायदेमंद हो सकता है।
फायदा ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? तभी होगा जब ऑप्शन का मूल्य आपके चुकाए गए प्रीमियम से ज्यादा होगा। अब शेयर मार्किट में कुछ भी काम करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट की जरुरत तो पड़ती ही है इसलिए एक अच्छा सा ब्रोकर ढूंढ़कर अपना डीमैट अकाउंट अवश्य खुलवाएं तभी आप ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? Option Trading की शुरुआत कर पाएंगे।
1. Call Option(CE)
मान लीजिये अभी बैंकनिफ़्टी 31900 चल रहा है और आपने Bank Nifty की 32000 की कॉल वाला एक lot (group of share) ख़रीदा जिसमे हर एक शेयर की कीमत 28 रूपये थी।
अब अगर बैंक निफ़्टी 32000 के पास जायेगा जैसे 31930, 31940 आदि तो लोट में ख़रीदे गए हर एक शेयर की कीमत में वृद्धि होगी। अब Bank Nifty आपके बताये गए मूल्य के जितना पास पहुंचेगा आपको उतना ज्यादा ही लाभ होगा।
वहीँ अगर BankNifty बढ़ने की बजाए घट गया, जैसा की अधिकतर लोगों के साथ होता है, तो आपको बहुत नुकसान होगा। उसके लिए भी तैयार रहना अनिवार्य है क्योंकि यही Option Trading की डार्क साइड है।
2. Put Option(PE)
वहीँ दूसरी तरफ पुट ऑप्शन आपको शेयर बेचने का अधिकार देता है जैसे कि आप एक बियर बन गए हैं | आपको बता दें बियर वे लोग होते हैं जो शेयर को शार्ट करके पैसे बनाते हैं।
जैसे कि BankNifty का CMP अभी 31000 चल रहा है और आपने बैंक निफ़्टी का 30900 की पुट वाला एक lot ख़रीदा और उसके बाद BankNifty अगर 31000 चला गया तो आपकी बल्ले बल्ले हो जाएगी।
अगर आपने पुट ऑप्शन ख़रीदा और शेयर उस ऑप्शन की कीमत आपकी बताई गयी कीमत मुताबिक गिर गयी तो आपको बहुत फायदा होगा पर अगर कीमत गिरते गिरते उछल गयी और आप अपने ऑप्शन को बेचने से चूक गए तो भारी घाटा करने के लिए तैयार रहिये।
क्या Option Trading बेकार है?
दुनिया के बड़े इन्वेस्टर जैसे वारेन बुफेट, चार्ली मंगर, राकेश झुनझुनवाला, राधाकिसन दमानी आदि सब Option Trading छोड़कर स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने का मौका ढूंढते हैं। क्योंकि वे जानते है कि ट्रेडिंग करके कुछ समय के लिए अमीर बना जा सकता है लेकिन इन्वेस्टिंग करके उम्र भर।
इसका ये मतलब नहीं है कि आप Option Trading को लात मार दें। यह भी एक विकल्प है और लोग इससे भी अमीर बनते हैं। लेकिन अगर आपने स्टॉक मार्किट के बारे अभी पढ़ना शुरू किया है और आप इस विकल्प से शुरुआत करना चाहते हैं तो शायद आप गलत हों।
आपको कम से कम 1 से 3 साल का समय देना होगा, Trading psychology books पढ़नी होंगी और मार्किट को समझना होगा। उदाहरण के लिए जब हम स्कूल जाते है तो पहले जमकर पढाई करते हैं और उसके बाद एग्जाम देते हैं।
यदि बिना पढ़ें परीक्षा देने जायेंगे तो जानते हैना आपका हाल कैसा होगा। ठीक वैसा ही तब होगा अगर आप इक्विटी से शुरुआत न करके सीधा ऑप्शन में घुस जायेंगे इसलिए पहले पढाई करिये और फिर Option Trading में शुरुआत कीजिये।
Options Trading: क्या होती है ऑप्शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्या हो आपकी रणनीति
Options Trading: निश्चित ही ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? कुछ ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)
ऑप्शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.
क्या है ऑप्शंस ट्रेडिंग?
Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्तेमाल किया जाता है स्ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में जाता हुआ देखते हैं.
जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.
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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.
ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.
जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.
इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.
होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.
ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.
ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
- समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
- अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
- प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.
नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर : प्रकाशित विचार एक्सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य लें.)
Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Options Trading in Hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग भारत में ही नहीं पूरी ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? दुनिया में बहुत ही लोकप्रिय है जिससे बहुत से लोग लाखो रूपये कमा रहे है तो आज हम Options Trading in Hindi लेख में Options Trading Meaning in Hindi, ऑप्शन कितने तरह के होते है और ऑप्शन में ट्रेड क्यों करना चाहिए आदि पहलुओं को समझेंगे।
चलिए Options Trading in Hindi लेख को शुरू करते है :
Options Trading Meaning in Hindi
ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसे खरीदने पर हमें किसी चीज को future में किसी fixed date पर एक price पर Buy or Sell करने का right मिलता है। लेकिन ये हम पर निर्भर करता है कि हम उस fixed date पर अपने right का इस्तेमाल करना चाहते है या नही और हम अपने Right का use तभी करना चाहेंगे जब हमें Profit होगा।
Example –
माना कि Mr. राहुल एक Businessman है और वो Mr. सूनील से एक एकड जमीन Buy करना चाहते है जिसकी Market Price अभी 20 लाख रुपयें है और जमीन के वारे में ऐसी खबर है कि Government जल्द ही उस से थोडी दूरी पर एक Metro project शुरु करेंगी। Mr. राहुल जानते है कि जैसे ही Government ये Decision लेगी उस जमीन की Price काफी बढ जायेगी।
इसी को देखते हुये Mr. राहुल चाहते है कि वो जमीन को अभी के Market Price यानी 20 लाख रुपये में खरीद ले और जैसे ही इसकी Price बढे तो इसको बेच कर मुनाफा कमायें। लेकिन Mr. राहुल के मन में एक doubt आता है कि अगर बहां पर Metro project शुरु नही हुआ तो मुझे भारी नुकसान हो जायेगा।
इसके लिए Mr. राहुल ने Mr. सूनील को पूरा पैसा ना देकर 1 लाख रुपयें का Token दिया और ये Contract किया कि 3 Month बाद वह उस जमीन को 20 लाख में खरीदेंगे। और अगर 3 महीने के बाद Mr. राहुल उस जमीन को न खरीदने का निर्णय लेते है तो Mr. सूनील उनके दिए Token Amount को रख सकते है।
इस तरह 1 लाख रुपयें देकर Mr. राहुल ने Mr. सूनील से एक Contract किया और इसी तरह के Contract को ऑप्शन कहते है। ऑप्शन Contract दो लोगो के बीच होता है जो ऑप्शन Contract को खरीदता है उसे ऑप्शन Buyer कहते है और जो ऑप्शन Contract को बेचता है उसे ऑप्शन Seller या ऑप्शन Writer कहते है।
ऑप्शन एक Financial Derivative जिसकी ट्रेडिंग Exchange पर होती है और यदि आपके ट्रेडेड शेयर या इंडेक्स की कीमत आपके पक्ष में है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको बड़ा लाभ कमाने में मदद कर सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यदि आप कोई Index (Nifty or Bank Nifty) खरीदना चाहते है तो आपको उसके लिए index के पूरे मार्जिन का भुगतान नहीं करना पड़ता है। सिर्फ Premium amount देकर हम ऑप्शन buy कर सकते है।
ऑप्शन कितने तरह के होते है?
1) Call ऑप्शन
2) Put ऑप्शन
कॉल ऑप्शन क्या है?
किसी भी Index या Stock के Call ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price बढने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price बढती है वैसे ही Call ऑप्शन की Price भी बढती है।
पुट ऑप्शन क्या है?
किसी भी Index या Stock के Put ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price गिरने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price गिरेगी है वैसे – वैसे Put ऑप्शन की Price भी बढेगी।
अभी तक आप Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन क्या होते है समझ गए होंगे अभी हम ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे, ये समझते है –
ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे?
ट्रेडर्स, ऑप्शन ट्रेडिंग mainly दो reason की बजह से करते है।
Margin: – ऑप्शन ट्रेडिंग आपको इंडेक्स या शेयर की पूरी कीमत दिए बिना ही किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में Trade करने की अनुमति देता है।
Hedging:- मानलो यदि आपके होल्डिंग में कुछ Stocks हैं जो आपने long term के लिए खरीद कर रखे है और कुछ समय के बाद किसी कारण वस अचानक उस शेयर की कीमत बहुत गिरने लगती है, तो आप अपने होल्डिंग शेयरों का ऑप्शन Contract खरीद सकते हैं जिससे आपका भारी नुकसान होने से बच जायेगा और इस प्रक्रिया को Hedging कहा जाता है।
Options Trading Terminology
# 1 Premium: – Premium ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? वह होता है जो ऑप्शन Buyer ऑप्शन Seller को कॉन्ट्रैक्ट buy करने के लिए Pay करता है।
#2 Strike Price:- Strike Price वह Price होती है जिस पर ऑप्शन खरीदे या बेचे है और ये Price Stock Exchange द्वारा तय की जाती है। आप किसी भी Strike Price का कोई भी स्टॉक या इंडेक्स खरीद या बेच सकते हैं।
#3 Expiry: – भविष्य की वह तारीख जब ऑप्शन शुन्य हो जायेगा, क्योकि जिस भी Expiry का हम ऑप्शन buy करते है तो जैसे – जैसे ऑप्शन expiry के नजदीक जाता है वैसे – वैसे ऑप्शन की Price कम होने लगती है और expiry के दिन शुन्य हो जाती है।
ऑप्शन की तीन अलग-अलग अवधि होती है…
- Near Month (1 Month).
- Middle Month (2 Months).
- Far Month (3 Month)
#4 Lot Size :- Lot size का मतलब है Shares की एक निश्चित संख्या। ये एक्सचेंज द्वारा तय किए गए जाते है जिसमें हर एक Stock और Index के लिए Lot size अलग – अलग होता है।
#5 Contract Name :- Contract Name Stock ticker Symbol की तरह होता है जिसमें ऑप्शन Contract कुछ अक्षर और संख्या को मिला कर बनाया जाता है जैसे – Nifty 17500 PE
#6 Intrinsic Value : – Intrinsic Value किसी भी Stock या Index के current Price और Strike Price के बीच का अंतर होता है।
#7 Open Interest :- Open Interest किसी विशेष ऑप्शन Contract पर खरीदारों और विक्रेताओं की कुल संख्या को दर्शाता है।
निष्कर्ष
ऑप्शन ट्रेडिंग से आप बहुत जल्दी ही बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है लेकिन इसमें रिस्क भी ज्यादा है इसलिए ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत, ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझने के बाद ही करे।
हमें उम्मीद है कि Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन ट्रेडिंग से संबधित सभी सबालो के जबाव मिल गए होंगे, अगर फिर भी कोई सबाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है।
शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें।
Option Trading के बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट है जो विक्रेता द्वारा लिखा जाता है, जो खरीदार को अधिकार देता है कि वह भविष्य अपने कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आर्टिकल में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताया गया है। जानते हैं- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi.
Option trading in Stock market
शेयर मार्किट में वैसे को बहुत सारे तरीके हैं पैसे कमाने के उन्ही में से एक तरीका ऑप्शन ट्रेडिंग भीं है। शेयर मार्किट एक्सपर्ट अक्सर रिटेल ट्रेडर को ऑप्शन मार्केट से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडर भी ऑप्शन मार्केट को अच्छे से समझकर और सीखकर इससे थोड़े समय में ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। Price Action क्या है?
ऑप्शन एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जिसमे आपको केवल प्रीमियम देना होता है। जिसकी वैल्यू उसके Underlying asset में निहित होती है। डेरीवेटिव दो प्रकार के होते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शन। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख (Expiry Date) को एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार देता है लेकिन ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में ऐसा नहीं है, ऑप्शन कंट्रेक्ट में आप निश्चित तारीख (Expiry date) पर आप सौदा पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
उदाहरण के द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग को समझें
Option trading in Stock market को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझा जा सकता है- माना रमेश और आकाश दो दोस्त हैं। रमेश के पास दो बीघा जमीन है और वह उस जमीन को बेचना चाहता है। आकाश उस जमीन को खरीदना चाहता है, उस जमीन की कीमत मार्केट रेट के हिसाब से दस लाख रूपये है। आकाश दस लाख रूपये मैं उस जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन आकाश के पास अभी पूरे पैसे नहीं है। एल्गो ट्रेडिंग क्या है?
इस वजह से दोनों के बीच एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, कॉन्ट्रैक्ट एक सितंबर से तीस सितंबर तक का होता है। रमेश आकाश से एक लाख रूपये टोकन अमाउंट ले कर एक रिसीप्ट बनाता है। जिसमे उन दोनों के बीच यह समझौता होता है कि आकाश बाकी के पैसे कॉन्ट्रैक्ट की अवधि पूरी होने तक रमेश को दे देगा।
रमेश यह जमीन कॉन्ट्रैक्ट का समय पूरा होने तक किसी और को नहीं बेचेगा यह कॉन्टेक्ट दोनों को मंजूर होती है। इस बीच जमीन के भाव में परिवर्तन हो सकता है, कांटेक्ट का समय पूरा होने तक जमीन के भाव मार्केट रेट से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं।
यदि इस बीच जमीन के भाव दस लाख से बढ़कर बीस लाख रूपये हो जाते हैं। तो इसमें रमेश को नुकसान होगा अगर जमीन के भाव दस लाख रूपये से कम हो जाते हैं तो इसमें आकाश को नुकसान है। अगर आकाश कहता है कि मेरे एक लाख रूपये जाएं तो जाएं मुझे जमीन नहीं खरीदनी है तो आकाश ऐसा कर सकता है। उपर्युक्त उदाहरण में, तीस सितंबर एक्सपायरी डेट है, जमीन शेयर है, दस लाख रुपए शेयर का प्राइस है, एक लाख रुपए प्रीमियम है और दो बीघा क्वांटिटी है। स्टॉक चार्ट को कैसे समझें?
Option trading को ऑप्शन मार्केट भी बोल सकते हैं। ऑप्शन मार्केट एक हेजिंग बेस्ट प्रोडक्ट है. जैसे कि फ्यूचर मार्केट एक ट्रेडिंग बेस्ट प्रोडक्ट है। इसी तरह इक्विटी मार्केट एक इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है। हेजिंग से आप दोनों तरफ की पोजीशन पर प्रॉफिट कमा सकते हैं, जब मार्केट ऊपर जाता है तब भी और जब मार्केट नीचे जाता है तब भी आप ऑप्शन के द्वारा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ऑप्शन मार्केट में स्क्रिप्ट होती है उसका स्ट्राइक प्राइस होता है और उसका लॉट साइज और एक्सपायरी डेट होती है। इसमें भी तीन महीने तक और उससे भी ज्यादा की एक्सपायरी डेट होती है। सबसे कम समय की एक्सपायरी डेट एक सप्ताह की होती है जोकि प्रत्येक सप्ताह बृहस्पतिवार को एक्सपायर होती है। मंथली एक्सपायरी प्रत्येक महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को होती है। लॉट में शेयरों की संख्या फिक्स होती है, इसमें निफ़्टी इंडेक्स और बैंक निफ़्टी इंडेक्स के भी लॉट होते हैं जिनमें सबसे ज्यादा ट्रेडिंग होती है। Stock Broker and Brokrage fee
Option trading के लिए शेयर लॉट में खरीदे और बेचे जाते हैं, जितने शेयर लॉट में होंगे आपको उतने ही शेयर खरीदने पड़ेंगे। ऑप्शन मार्केट में काम करने के लिए दो ऑप्शन होते हैं Call option और Putt option अगर आपका किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर तेजी का रुख है तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए। इसी तरह अगर किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर आपका मंदी का है तो आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।
Call option और Putt option क्या हैं ?
Call option उसके होल्डर को शेयर खरीदने का अधिकार देता है, ऐसे ही Putt option उसके होल्डर को शेयर बेचने का अधिकार देता है। इसके लिए आपको शेयर की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, उसका केवल प्रीमियम चूकाना होता है। Option trader कॉल और पुट ऑप्शन को बेच भी सकता है। यदि आप भविष्य में अपने कॉल ऑप्शन के खरीदने के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको उसकी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान भी करना पड़ेगा, आपको यह बात भी ध्यान रखना चाहिए।
Option Trading में जोखिम भी शामिल होता है इसका भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण समझने वाली बात यह कि ऑप्शन पुट और कॉल खरीदने में नुकसान लिमिटेड होता है। आपने जितने का पुट या कॉल खरीदा है ज्यादा से ज्यादा उतने का ही नुकसान हो सकता है। किन्तु अगर आपने पुट या कॉल को बेच दिया तो आपको अनलिमिटेड नुकसान हो सकता है। इसलिए पुट या कॉल ऑप्शन बेचने से पहले सौ बार सोचें।
उम्मीद है आपको शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi. पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों से भी जरूर शेयर करें ताकि वह भी इससे लाभ उठा सकें। यदि आपके पास इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया कमेंट करके जरूर बताये। आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं।
कम समय में चाहते हैं मोटा मुनाफा, तो आप ट्रेडिंग ऑप्शन पर लगा सकते हैं दांव
शेयर ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? मार्केट में ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से मोटा मुनाफा संभव है.
शेयर मार्केट के संबंध में अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. हालांकि, दोनों माध्यमों में निवेशकों का मकस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 11, 2022, 14:52 IST
नई दिल्ली . शेयर मार्केट संबंधित चर्चा होते ही अक्सर ट्रेंडिंग और निवेश शब्द सुनने को मिलते हैं. कई लोग ट्रेडिंग और निवेश में फर्क नहीं कर पाते हैं. तो आपको बता दें कि ट्रेडिंग और निवेश के बीच सबसे अहम अंतर समय अवधि का है. निवेश की तुलना में ट्रेडिंग में समय अवधि काफी कम होती है. ट्रेडिंग कई प्रकार की होतीं हैं और ट्रेडर्स स्टॉक में अपनी पॉजिशन बहुत कम समय तक रखते हैं, जबकि निवेश वे लोग करते हैं, जो स्टॉक को वर्षों तक अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं. अगर आप कम समय में मोटा मुनाफा चाहते हैं, तो ट्रेडिंग आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है.
सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं. फाइनेंसियल मार्केट की स्थिति और जोखिम के आधार पर ट्रेडिंग की विभिन्न स्ट्रेटेजी हैं. ट्रेडर्स अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से इनका चयन करते हैं. साथ ही विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क और लागत को भी ध्यान में रखते हैं. आइए, यहां हम उन लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की चर्चा करते हैं, जो अधिकतर ट्रेडर अपनाते हैं.
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इंट्राडे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में महज 1 दिन के कारोबार में भी मोटा प्रॉफिट कमाया जा सकता है. दरअसल, बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading) कहते हैं. इस स्ट्रेटेजी के तहत शेयर खरीदा तो जाता है, लेकिन उसका मकसद निवेश नहीं, बल्कि 1 दिन में ही उसमें होने वाली बढ़त से प्रॉफिट कमाना होता है. इसमें चंद मिनटों से ले कर कुछ घंटे तक में ट्रेडिंग हो जाती है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इंट्रोडे ट्रेडर्स को हमेशा प्रॉफिट ही होता हो. ट्रेडर्स अपना ट्रेड शेयर मार्केट बंद होने से पहले बंद करते हैं और प्रॉफिट या लॉस उठाते हैं. इसमें तेजी से निर्णय लेना होता है.
पॉजिशनल ट्रेडिंग
पॉजिशनल ट्रेडिंग (Positional trading) स्टॉक मार्केट की एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें स्टॉक को लंबे समय तक होल्ड किया जाता है. इस स्ट्रेटेजी के तहत ट्रेडर्स किसी स्टॉक को कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक के लिए खरीदते हैं. उसके बाद उस स्टॉक को बेच कर प्रॉफिट या लॉस लेते हैं. उनका मानना होता है कि इतनी अवधि में शेयर के दाम में अच्छी बढ़ोतरी होगी. निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल ग्राउंड को ध्यान में रखकर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल को ध्यान में रखकर यह स्ट्रेटेजी अपनाते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading) में टाइम पीरियड इंट्राडे से अधिक होता है. कोई स्विंग ट्रेडर अपनी पॉजिशन 1 दिन से अधिक से लेकर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी कम होने के साथ प्रॉफिट बनाने की संभावना काफी अधिक होती है. यही कारण है कि अधिकतर लोग इंट्राडे की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
टेक्निकल ट्रेडिंग
टेक्निकल ट्रेडिंग (technical trading) में निवेशक मार्केट में मूल्य परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए अपने टेक्निकल एनालिसिस ज्ञान का उपयोग करते हैं. हालांकि, इस ट्रेडिंग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है. इसमें पॉजिशन 1 दिन से लेकर कई महीने तक रखा जा सकता है. शेयर मार्केट में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकतर ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल का उपयोग करते हैं. टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी शेयर की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.
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